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Jharkhand Assembly Election 2019: मोदी के 370 मास्‍टर स्‍ट्रोक से BJP की राह आसान, विपक्ष परेशान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इसे राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है जिससे बीजेपी को फायदा होगा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 06:47 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: मोदी के 370 मास्‍टर स्‍ट्रोक से BJP की राह आसान, विपक्ष परेशान
Jharkhand Assembly Election 2019: मोदी के 370 मास्‍टर स्‍ट्रोक से BJP की राह आसान, विपक्ष परेशान

रांची, [आलोक]। बस अब चंद महीनों की बात है, जब चुनाव आयोग (Election Commission of India) झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2019) के तारीखों की घोषणा करेगा। संभवत: नवंबर महीने में वोट डाले जाएं। महाराष्‍ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावाें (Maharashtra and Haryana Assembly Election 2019) को भी झारखंड (Jharkhand) के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में माथे पर चुनाव हो, तैयारियां की जा रही हों, और देश-दुनिया के स्‍तर पर पार्टी की ओर से एक ऐसा मास्‍टर स्‍ट्रोक (Modi MASTER STROKE) खेला जाए, जिसकी विपक्षी दलों के पास कोई काट न हो। तो पलड़ा अपने आप विरोधियों की तुलना में कई गुणा भारी हो जाता है। निश्चित ही झारखंड विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के ऐतिहासिक फैसले से भाजपा (BJP) को वापसी करने में मदद मिलेगी।

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झारखंड भाजपा की बाछें खिलीं, विधानसभा चुनाव के लिए मिली संजीवनी
मुस्लिम महिलाओं की गैरबराबरी को लेकर पहले ही तीन तलाक कानून को लागू कर कांग्रेसनीत विपक्षी महागठबंधन पर भारी बढ़त ले चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बीते दिन सोमवार को अपने एक साहसिक निर्णय से राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सबको चौंका दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्यसभा में जैसे ही अनुच्‍छेद 370 (Article 370) को खत्म करने की घोषणा की तो चुनावों की तैयारियों में जुटी झारखंड की भाजपा प्रदेश इकाई की बाछें खिल गईं।

एंटी एंकम्‍बैंसी के नकारात्‍मक प्रभावों से कमोबेश हलकान बीजेपी को तो मानों जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले से संजीवनी मिल गई हो। झारखंड भाजपा के नेता अब आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दोहरा दम भरते नजर आ रहे हैं। सत्‍ता में फिर से वापसी करने को बेहद मुखर दिख रहे मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने अनुच्‍छेद 370 को लेकर ताबड़तोड़ पांच ट्वीट कर अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी।

मोल-भाव और प्रेशर पॉलिटिक्‍स पर ब्रेक
बहरहाल झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर मोल-भाव और प्रेशर पॉलिटिक्‍स में जुटे भाजपा (BJP) के सहयोगी भी पीएम मोदी के इस फैसले से सकते में हैं। संभव है कि जदयू और लोजपा की ओर से बार-बार धमकाने के अंदाज में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने सरीखे बयान भी अब अनुच्‍छेद 370 के खत्‍म होने के साथ ही दफन हो जाए। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड सिर्फ बिहार में साथ होने की बात करती रही है, ऐसे में आए दिन झारखंड चुनावों की तैयारी के नाम पर यहां लकीर खींचने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में अनुच्‍छेद 370 का मास्‍टर स्‍ट्रोक अब बड़ा काम करेगा।

विधानसभा चुनाव में दिखेगा जबर्दस्‍त असर
लोकसभा चुनावों में पहले ही झारखंड की 14 में से 12 सीटों पर कब्‍जा जमाकर अपना इरादा जाहिर कर चुकी भाजपा के बारे में चुनाव विश्‍लेषक कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले का निश्चित ही हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में व्‍यापक असर दिखेगा। अब बीजेपी चुनाव में सहयोगी दलों से अपनी शर्तों पर समझौता कर सकेगी। कोई भी सहयोगी अपनी मनमानी करने की कोशिश नहीं कर सकेगा। जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार के इस कदम का भाजपा को आगे राजनीतिक लाभ ही लाभ होगा। टिकट को लेकर अब उम्‍मीदवार भी प्रदेश नेतृत्‍व को आंख नहीं दिखा पाएंगे। ऐन चुनाव के समय अब पार्टी को दलबदल या बड़ा नुकसान का भी कोई डर नहीं होगा।

370 के शोर में फीका पड़ा प्रमुख विपक्षी दल झामुमो का चुनावी आगाज
दूसरी तरफ झारखंड में भाजपा की सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी दिशोम गुरु शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी बीते दिन अपनी चुनावी तैयारियों को परखने के लिए राजधानी रांची में आक्रोश मार्च निकाला। पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई में झामुमो ने आक्रोश मार्च के जरिये बड़ा आगाज करने की कोशिश की, लेकिन अनुच्‍छेद 370 के शोर में आक्रोश की आवाजें दब सी गईं। आज की तारीख में 370 मास्‍टर स्‍ट्रोक के शोर में प्रमुख विपक्षी दल झामुमो का चुनावी आगाज फीका पड़ता दिख रहा है। इस मुद्दे पर जिस प्रकार से लोगों में ध्रुवीकरण हो रहा है वैसे में अगर भाजपा अकेले ही चुनाव में जाए तो बहुमत का आंकड़ा पाने में उसे मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, पार्टी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि आजसू या अन्‍य सहयोगी दलों के बिना चुनाव में जाने के विकल्प पर नेतृत्‍व फिलहाल विचार नहीं कर रहा है।

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