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भाजपा विधायक डा. राधा मोहन ने यूपी की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल, कहा- बदल दें शिक्षा अधिनियम Gorakhpur News,

नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अधिनियम-1921 को अव्यवहारिक बताते हुए इसमें संशोधन की मांग की है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 01:08 PM (IST)
भाजपा विधायक डा. राधा मोहन ने यूपी की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल, कहा- बदल दें शिक्षा अधिनियम Gorakhpur News,
भाजपा विधायक डा. राधा मोहन ने यूपी की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल, कहा- बदल दें शिक्षा अधिनियम Gorakhpur News,

गोरखपुर, जेएनएन। नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने आज प्रदेश की विधानसभा में नियम-51 के तहत, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अधिनियम-1921 को अव्यवहारिक तथा बहुत सी समस्याओं का कारण बताते हुए इसमें आमूल-चूल परिवर्तन करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने विषय को स्वीकार करते सरकार को जवाब देने के लिए निर्देशित किया है।

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नगर विधायक ने कहा कि शिक्षा अधिनियम गवर्नमेंट एडेड विद्यालयों को एक इकाई मानता है और उसके आधार पर नियुक्तियां की जाती है। एक ओर ऐसे बहुत से विद्यालय हैं जहां छात्र बहुत कम हैं लेकिन शिक्षकों के सृजित पद बहुत अधिक हैं और शिक्षक भी बहुत अधिक हैं। वे पढ़ाने के सिवाय सब करते हैं। और दूसरी ओर ऐसे बहुत से विद्यालय हैं जहां छात्र बहुत अधिक हैं लेकिन शिक्षक बहुत कम है और वंहा शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

यह है गोरखपुर की स्थिति

नगर विधायक ने गोरखपुर का उदाहरण देते हुए बताया कि कार्मल गर्ल्स में 233 छात्राओं पर 1, महात्मा गांधी इंटर कालेज में 118 पर 1 , एमपी आर्य कन्या में 97 पर 1, राष्ट्रीय बौलिया रेलवे में 86 पर 1, एडी गर्ल्स में 88 पर 1, राजकीय जुबिली में 65 पर 1 तथा एमएसआई कालेज में 62 छात्रों पर 1 शिक्षक हैं। भारत सरकार के मानक के अनुसार उच्चतम गुणवत्ता की शिक्षा देने के लिए छात्र शिक्षक अनुपात 30:1 होना चाहिए। इन विद्यालयों में न सिर्फ पद सृजित करने चाहिए, बल्कि अन्य विद्यालयों से फालतू पड़े शिक्षकों को यंहा स्थानान्तरित करना चाहिए।

नगर विधायक ने कहा कि दूसरी ओर डीबी इंटर कालेज में सिर्फ 3.34 छात्रों को पढ़ाने के लिए 1 शिक्षक, मौलाना आजाद नथमलपुर में 2.5 छात्र पर 1 शिक्षक, राम नरायन गर्ल्स में 9.21 छात्राओं पर 1 शिक्षक, गर्वनमेण्ट हाईस्कूल रेतवहिया में 8 छात्रों पर 1, शास्त्री उच्चतर माध्यमिक जटेपुर में 10.5 छात्रों पर 1 तथा विवेकानन्द शिक्षा निकेतन में 10.5 छात्रों पर 1 शिक्षक हैं। सरकार इन शिक्षकों मोटी-मोटी तनख्वाह देती है और इनके पास पढाने के लिए छात्र नहीं होते हैं।

माध्यमिक शिक्षा अधिनियम में संशोधन की जरूरत

नगर विधायक ने कहा कि इन समस्याओं के जड़ में 1921 का माध्यमिक शिक्षा अधिनियम है। जब 1971 में शिक्षा का राष्ट्रीयकरण हुए तो इसकी उपादेयता रही होगी लेकिन आज न सिर्फ इससे संसाधनों की बर्बादी हो रही है बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। नगर विधायक ने कहा कि इस अधिनियम में आमूल-चूल परिवर्तन करने की जरूरत है। कोई जरूरी नहीं है कि अगर छात्र नहीं हैं तो हर विद्यालय में हर विषय पढ़ाया जाये । विद्यालयों का वैशिष्ट्यीकरण किया जाना चाहिए। कुछ विद्यालय सिर्फ कला और दूसरे सिर्फ विज्ञान के हो सकते हैं। जंहा छात्र नहीं है वंहा से शिक्षकों के पद स्थानांतरित करके उन विद्यालयों को दे देना चाहिए जंहा छात्र अधिक है।

शिक्षा मंत्री से भी मिले विधायक

बाद में नगर विधायक प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री तथा माध्यमिक शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा से मिले और उनसे इस संबंध में विस्तृत रूप से बात की। दिनेश शर्मा ने नगर विधायक को आश्वस्त किया कि सरकार इसका अध्ययन करायेगी तथा तदनुसार उचित कदम उठायेगी।

गोरखपुर में नाले का मुद्दा भी उठाया

विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने नियम-51 के तहत गोरखपुर के बिछिया पूर्वी तथा पश्चिमी तथा जंगल हकीम के स्थाई जलजमाव की समस्या को उठाते हुए इन तीनों वार्डों से गुजरने वाले तीन किमी लंबे प्राकृतिक नाले को चिन्हित करके उसे अतिक्रमण से मुक्त करने तथा पक्का कराने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने विषय की गम्भीरता को स्वीकार करते सरकार को जबाब देने के लिए निर्देशित किया है। विधायक ने कहा कि यह दुखद है कि बिछिया से लेकर जंगल हकीम तक के खजुरहिया, अकलोहवा, काशीपुरम, हरिजन बस्ती, ताडीखाना, सर्वोदयनगर, आजादनगर, सरस्वती पुरम, पीएसी कैम्प के पीछे तक हमेशा जलजमाव की स्थिति बनी रहती है और बरसात के दौरान तो स्थिति नारकीय हो जाती है तथा सारे मकान 3-4 महीनें तक पानी में डूबे रहते हैं।

विधायक ने कहा कि इसका कारण इस क्षेत्र से होकर राप्ती नदी के तुर्रा नाले से कुसुम्ही जंगल तथा मोहनापुर और पादरी बाजार होकर आने वाला सैकड़ों वर्ष पुराना प्राकृतिक नाला है। आज इस नाले के दोनों ओर हजारों हेक्टेयर जमीन में सैकड़ों कालोनियां बस गईं और लाखों नागरिकों के घर बन गये। नगर विधायक ने कहा कि ईजमेंट ऐक्ट 1882 के तहत जिला प्रशासन और गोरखपुर नगर निगम का दायित्व था कि इस प्राकृतिक नाले पर किसी प्रकार का कब्जा न होने पाये और पूरे क्षेत्र की जलनिकासी अबाध जारी रहे। लेकिन इसका ठीक उल्टा हुआ। अधिकारियों की लापरवाही तथा संरक्षण में इस प्राकृतिक नाले पर भू-माफियाओं तथा कुछ विद्यालयों द्वारा लगातार कब्जा होता जा रहा है और लोगों ने नाले को मिट्टी पटवा कर बेच डाला है। नगर विधायक ने कहा कि प्राकृतिक नाले की जमीन पर उसका वैधानिक काश्तकार भी पाट नहीं सकता है । उन्होंने नगर विकास मंत्री ने मांग किया कि प्राकृतिक नाले की सारी जमीन चिन्हित की जाए। इस पर किये गये हर प्रकार के अतिक्रमण हटाये जाए और प्राकृतिक नाले की जगह स्थाई पक्का नाला बनवाया जाए।


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