अर्श से फर्श पर Yes Bank: अखिलेश यादव ने सरकार पर कसा तंज, बोले-अब ये 'नो' बैंक UP News
Yes Bank अखिलेश यादव ने यस बैंक के संकट पर कहा कि यह तो मोदी सरकार की देन है। जो भी यहां पर अच्छी स्थिति में रहा उसकी हालत खराब होती जा रहा है।
लखनऊ, जेएनएन। देश के शीर्ष बैंक में शामिल रहा यस बैंक सिर्फ 17 वर्ष में अर्श से फर्श पर आ गया। बैंक की इस हालत के कारण विपक्ष को मोदी सरकार पर तंज कसने का मौका भी मिल गया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यस बैंक की हालत खराब होने पर इसको सरकार की नाकामी बताया और यस बैंक को 'नो' बैंक का दर्जा दे दिया।
अखिलेश यादव ने यस बैंक के संकट पर कहा कि यह तो मोदी सरकार की देन है। जो भी यहां पर अच्छी स्थिति में रहा, उसकी हालत खराब होती जा रही है। ताजा उदाहरण यह बैंक है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यस बैंक संकट पर ट्वीट करते हुए सरकार को घेरा। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि मोदी सरकार ने पहले गरीबों का बैंक में खाता खुलवाया और पैसा जमा करवाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी में सबका पैसा बैंक पहुंचाया गया फिर वहां से निकालकर अमीर दोस्तों के साथ बांटकर खाया गया और फिर उन्हें फुर्र करवाया गया और जब लोग अपना पैसा निकालने बैंक गये तो उनको धन निकासी पर 'यस' की जगह 'नो' कह दिया गया। अब लोग अपनी मेहनत की कमाई से भी हाथ धोने की कगार पर है। सरकार लोगों को इसी तरह से तबाह करने में लगी है।
दरअसल रिजर्व बैंक ने गुरुवार को संकट में फंसे यस बैंक पर मौद्रिक सीमा लगा दी। इसके तहत खाताधारक अब यस बैंक से 50 हजार रुपये से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकेंगे। जिसके बाद बैंक के खाताधारकों में खलबली मच गई। निकासी की यह सीमा 3 अप्रैल, 2020 तक लागू रहेगी। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल के अधिकारों पर रोक लगाते हुए एक महीने के लिए एसबीआई के पूर्व डीएमडी और सीएफओ प्रशांत कुमार की प्रशासक के रूप में नियुक्ति भी कर दी है।
Chronology समझिए: पहले गरीबों का खाता खुलवाया गया फिर उनका पैसा जमा करवाया गया, नोटबंदी में सबका पैसा बैंक पहुँचाया गया फिर वहां से निकालकर अमीर दोस्तों के साथ बाँटकर खाया गया फिर उन्हें फुर्र करवाया गया और जब लोग अपना पैसा निकालने बैंक गये तो YES की जगह NO का ठेंगा दिखाया गया| pic.twitter.com/e6v4IULUj3 — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 6, 2020
कभी था निजी क्षेत्र का पसंदीदा बैंक
निजी क्षेत्र का यस बैंक कभी निवेशकों का सबसे पसंदीदा हुआ करता था और उसके शेयर आसमान छू रहे थे। रिजर्व बैंक की ओर से फंसे कर्ज (एनपीए) का खुलासा हर तिमाही करने के नए नियम से यस बैंक की मुश्किलें धीरे-धीरे बढऩे लगीं और पिछले दो वर्ष में इसके प्रबंधन की पोल खुल गई। रिजर्व बैंक की पैनी नजर काफी समय से इसपर बनी हुई थी और गुरुवार को उसने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। यस बैंक को संकट से निकालने के लिए आरबीआई के कदम के बावजूद इसके शेयर शुक्रवार को 70 फीसद से अधिक टूट चुके हैं। यह 52 हफ्ते के अपने सबसे निचले स्तर पर है।
एसबीआई बोर्ड ने नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक में निवेश के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के केंद्रीय बोर्ड ने गुरुवार को एक बैठक में मामले पर चर्चा की। देर शाम, एसबीआई बोर्ड ने शेयर बाजारों को सूचित किया, यस बैंक से संबंधित मामले पर गुरुवार को बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में चर्चा की गई और बोर्ड ने बैंक में निवेश अवसर तलाशने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।
नहीं प्रभावित होगा कोई खाताधारक : वित्त मंत्री
यस बैंक पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि यस बैंक में जमा राशि और देनदारियां प्रभावित नहीं होंगी। कम से कम एक साल के लिए बैंक में काम करने वालों का रोजगार और वेतन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही खाताधारकों को सभी सुविधा भी मिलेगी।