अब पंजाब की राजनीति में 'छाया' अफीम का नशा, मंत्री हुए आमने-सामने
पंजाब की राजनीति में अफीम से गर्मी आ गई है। राज्य में पोस्त की खेती के मुद्दे पर सियासत चरम पर है। इस मुद्दे पर नवजोत सिंह सिद्धू अौर दो वरिष्ठ मंत्री आमने-सामने अा गए हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब में अब अफीम पर सियासत गर्मा गई है। राज्य में पोस्त की खेती की अनुमति को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू और दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं। इस तरह कांग्रेस व कैप्टन सरकार के मंत्री ही इस मुद्दे पर बंट गए हैैं। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने खसखस (पोस्त) की खेती का समर्थन किया था। पोस्त के डोडे के रस से अफीम बनाई जाती है। सिद्धू इस मुद्दे पर अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैैं। सेहत मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा और शहरी विकास मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने अफीम की खेती का विरोध किया है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि इस पर राष्ट्रीय नीति बनाई जानी चाहिए।
अफीम की खेती का समर्थन कर नवजोत सिद्धू पड़े अलग-थलग, दो मंत्री विरोध में उतरे
नवजोत सिद्धू पहले मंत्री हैं जिन्होंने खुलकर पोेस्त की खेती का समर्थन किया है। सरकार के कुछ मंत्री भले ही सिद्धू पर निशाना साधने में जुट गए हैं, लेकिन हकीकत यह भी है कि कांग्रेस का ही एक बड़ा तबका इस बात का समर्थन करता है। उसका मानना है कि सिंथेटिक नशे के मकड़जाल से युवाओं को बाहर निकालने के लिए यह आवश्यक है कि पारंपरिक नशों से राेक हटे।
पिछले दिनों जब पंजाब में ड्रग्स से हो रही मौतों को लेकर यह मुद्दा गर्म था तब भी कांग्रेस विधायकों के शिष्टमंडल ने यह मांग उठाई थी। इसके लिए बाकायदा एक पूर्व मंत्री ने मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार से मुलाकात कर पारंपरिक नशों को छूट देने की मांग की थी। पटियाला से आम आदमी पार्टी के बागी सांसद डा. धर्मवीर गांधी लगातार पारंपरिक नशों की खेती में छूट की मांग करते रहे हैैं।
सिद्धू की हो सकती है व्यक्तिगत राय : मोहिंदरा
दूसरी ओर, स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा पारंपरिक नशों के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अफीम को लेकर सिद्धू ने जो भी बयान दिया है वह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है। मोहिंदरा ने कहा, मेरा मानना है कि नशे की चपेट में आ चुकी नौजवान पीढ़ी को अब किसी और नशे में धकेलना गलत होगा। पंजाब में नशे की सप्लाई लाइन सरकार ने काट दी है। वक्त का तकाजा है कि केंद्र एक ड्रग पॉलिसी बनाए ताकि नशे से प्रभावी तौर पर लड़ाई लड़ी जा सके।
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शहरी विकास मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने भी कहा है कि सरकार एक नशे को खत्म करने के लिए दूसरे नशे को बढ़ावा नहीं देगी। सरकार पंजाब में नशे की खेती नहीं होने देगी। इसकी अनुमति देना बहुत घातक और नशे को बढ़ावा देने वाला कदम है।
आसान नहीं होगा पारंपरिक नशों को वैध करना
पंजाब में भले ही पारंपरिक नशों को वैध करने को लेकर बहस शुरू हो गई है, लेकिन हकीकत यह है कि सिंथेटिक ड्रग्स की लॉबी हरसंभव कोशिश करेगी कि ऐसा न होने पाए। पारंपरिक नशा वैध होने से सिंथेटिक ड्रग्स के करोड़ों रुपये के कारोबार को झटका लगेगा।
सिद्धू ने फिर किया समर्थन
उधर, नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर पोस्त की खेती को वैध करने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने संगरूर में कहा कि चिट्टा, हेरोइन या अन्य सिंथेटिक ड्रग्स के मुकाबले अफीम मेडिकल वैल्यू के तौर पर बेहतर है। केंद्र सरकार इस पर राष्ट्रीय ड्रग नीति बनाए, जिसका पंजाब सरकार भी समर्थन करेगी। पंजाब सरकार प्रदेश में खसखस की खेती पर विचार करेगी। अफीम का नशा करने वाला व्यक्ति अन्य प्रकार के नशों से दूर रहता है और कड़ी मेहनत भी करता है।
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सभी पार्टियां एकजुट हों : खैहरा
मोगा में आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल ङ्क्षसह खैहरा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सांसद धर्मवीर गांधी की खसखस की खेती की बात पर सभी पार्टियों को एकजुट होकर बैठक करनी चाहिए। हो सकता है इस प्रोजेक्ट के अच्छे नतीजे सामने आएं।
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अफीम का विरोध करने वाले ड्रग्स माफिया के समर्थक : सांसद गांधी
पटियाला। आप के बागी सांसद धर्मवीर गांधी ने खसखस की खेती को लेकर अपने खिलाफ दर्ज डीडीआर पर कहा है कि सरकार ने नौकरशाही वाले तरीके से काम किया है। यदि उनको इस बारे में समन मिलता है तो इस मुद्दे पर कोर्ट में पक्ष रखने का अवसर मिलेगा। उन्होने कहा कि 1985 में बने एनडीपीएस एक्ट को हौवा बनाकर पेश किया गया है। दूसरे कई राज्यों को खसखस की खेती करने की इजाजत है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में इसकी खेती का विरोध करने वाले राजनेता ड्रग्स माफिया के समर्थक हैं। खसखस की खेती पंजाब के हित में है। इससे पंजाब की आर्थिकता मजबूत होगी। केमिकल नशों की दलदल में फंसे पंजाब को अफीम की खेती से राहत मिलेगी।
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उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से अपील करते हैं कि इस बारे में प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजें। वह उनके इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि 1947 तक अंग्रेजों ने अफीम की खेती को अपने अधिकार में रखा। देश आजाद होने के बाद राजस्थान, उप्र, मध्य प्रदेश सहित कई और राज्यों में अफीम की खेती को मंजूरी मिली।
गांधी ले कहा कि पंजाब में एनडीपीएस एक्ट के तहत अफीम, भुक्की को लाकर युवाओं को हानिकारक केमिकल नशे की दलदल में धकेल दिया गया। एनडीपीएस एक्ट से एक डर बना हुआ है, जो केमिकल नशे को प्रोत्साहित करता है और इससे कई परिवारों के चिराग बुझ चुके हैं।
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ऐसे तैयार होती है अफीम
अफ़ीम का वैज्ञानिक नाम लच्रीमा पापावेरिस (lachryma papaveris) है। अफ़ीम पैपेवर सोमनिफेरम (पोस्त) के 'दूध' को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है। इसके सेवन से मादकता आती है। इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नीद आती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अफीम में 12 प्रतिशत तक मार्फीन पाई जाती है। इस मार्फीन को प्रॉसेस कर हेरोइन तैयार की जाती है।
अफीम बनाने के लिए पाेस्त के फल का दूध निकालने के लिए उसमें एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद इसके दूध को जाम कर उसे सुखाया जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। यह लसीला होता है