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नोएडा-ग्रेटर नोएडा में करोड़ों के घोटाले की फाइलें गायब, औद्योगिक विकास विभाग में तलाश शुरू...

राज खुला है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण और संपत्ति आवंटन से संबंधित औद्योगिक विकास विभाग में फाइलें गायब कर दी गई हैं। अब खलबली मची है तो तलाश शुरू हुई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 06:07 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 06:08 PM (IST)
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में करोड़ों के घोटाले की फाइलें गायब, औद्योगिक विकास विभाग में तलाश शुरू...
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में करोड़ों के घोटाले की फाइलें गायब, औद्योगिक विकास विभाग में तलाश शुरू...

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) और ग्रेटर नोएडा में हुए हजारों करोड़ रुपये के घोटाले ने यूपी में शासन स्तर तक खलबली मचा दी है। उस दौर में प्रभावशाली पदों पर रहते हुए सरकारी धन की लूट मचाने वालों की जड़ें औद्योगिक विकास विभाग में इतनी गहरी हैं कि घोटाले की पत्रावलियां ही यहां से गायब करा दी गईं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने ऑडिट के लिए 45 अभिलेख मांगे थे, जिसमें से मात्र तीन ही उपलब्ध कराए गए हैं।

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नोएडा और ग्रेटर नोएडा का ऑडिट सीएजी से करा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा सदन में स्पष्ट कह चुके हैं कि 2007 से 2017 तक के नोएडा के ऑडिट में तीस हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। वहीं, औद्योगिक विकास विभाग में सीएजी ने प्रारंभिक रिपोर्ट दे दी है। जहां सीएजी को गड़बड़ियां मिली हैं, उनसे संबंधित दस्तावेज विभाग से मांगे हैं।

इसी जांच-पड़ताल में राज खुला है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण और संपत्ति आवंटन से संबंधित ऐसी फाइलें गायब कर दी गई हैं। अब खलबली मची है तो तलाश शुरू हुई है। गौरतलब है कि जिन दस सालों के कार्य की ऑडिट हो रही है, उनमें वर्ष 2007 से वर्ष 2012 तक बसपा और वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक सपा की सरकार रही।

छुट्टी में खुलवाया सचिवालय, खंगाली फाइलें

28 फरवरी, 2020 को औद्योगिक विकास अनुभाग-3 के स्टाफ को इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया। इसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ऑडिट टीम द्वारा 45 अभिलेखों की मांग की गई थी, जिसमें से मात्र तीन अभिलेख उपलब्ध कराए गए हैं। इस संबंध में उच्च स्तर पर हुई बैठक में औद्योगिक विकास विभाग द्वारा ऑडिट में सहयोग नहीं दिए जाने की बात कही गई। साथ ही प्रमुख सचिव का हवाला देते हुए कर्मचारियों को निर्देश दिए गए कि पत्रावलियां 'ट्रेस' करने के लिए 29 फरवरी (शनिवार) को कार्यालय खोला जाएगा। कर्मचारियों ने बताया कि कार्यालय खोलकर शाम तक फाइलें खंगाली भी गईं।

कई आइएएस-पीसीएस अफसरों की गर्दन पर तलवार

माना जा रहा है कि भूमि अधिग्रहण और संपत्ति आवंटन से जुड़े रहे उस वक्त के आइएएस और पीसीएस अधिकारियों की गर्दन इसमें फंस सकती है। उसमें शासन स्तर पर बैठे कर्मियों की संलिप्तता की भी आशंका है, जिसके चलते पत्रावलियां छिपा दी गई हैं। औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि अभी फाइलें नहीं मिली हैं। फिर से रिव्यू करेंगे और फाइलें नहीं मिलती हैं तो जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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