राजभवन और सरकार में टकराव, राज्यपाल ने विश्वास प्रस्ताव और कोरोना को लेकर मांगा स्पष्टीकरण
राज्यपाल ने रविवार को विधि सचिव सहित अन्य विधिवेत्ताओं से चर्चा के बाद सोमवार सुबह यह प्रस्ताव लौटा दिया। राज्यपाल ने दो बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में पिछले 18 दिनों से चल रहा सियासी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर राज्य सरकार द्वारा भेजी गई फाइल को सोमवार को लौटा दिया। राज्यपाल ने दूसरी बार मंत्रिमंडल द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव को लौटाया है। राज्य सरकार ने शनिवार आधी रात बाद विधानसभा का संक्षिप्त सत्र बुलाने को लेकर मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा था।
राज्यपाल ने रविवार को विधि सचिव सहित अन्य विधिवेत्ताओं से चर्चा के बाद सोमवार सुबह यह प्रस्ताव लौटा दिया। राज्यपाल ने दो बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। नतीजन अभी तक विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को पार्टी विधायकों से कहा,मैने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है। उन्होंने कहा कि मैने पीएम से राज्यपाल कलराज मिश्र के बर्ताव के बारे में बताया। इसके साथ ही मेरे द्वारा पीएम को सात दिन पहले लिखे गए पत्र को लेकर भी चर्चा की। उधर कांगेस विधायक एवं संबद्ध विधायकों की ओर से सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति दिलाने का आग्रह किया गया है। विधायकों ने ज्ञापन में कहा कि राज्य सरकार कोरोना महामारी सहित प्रदेश की विभिन्न आर्थिक समस्याओं के बारे में विधानसभा में सभी दलों से चर्चा कर के उचित फैसला करना चाहते हैं। लेकिन राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने दिया जा रहा। सब तरफ हमारे सैंविधानिक अधिकारों व कोशिशों को विफल किया जा रहा है। राज्यपाल अपने पद की गरिमा की रक्षा किए बिना सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर संविधान की ओर अवहेलना कर रहे हैं। इस कारण हमारे पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचा कि हम इस संबंध में सारी स्थिति आपके समक्ष रखें।
ज्ञापन में कहा गया कि पिछले कुछ समय से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई राज्य सरकारों को हॉर्स ट्रेडिंग व अन्य भ्रष्ट आचरणों के माध्यम से अपदस्थ करने का प्रयास भाजपा नेताओं द्वारा किया जा रहा है। विधायकों की खरीद-फरोख्त व भ्रष्ट आचरण के प्रथम दृष्टि के प्रमाण पाये जाने के बावजूद केंद्रीय मंत्रियों को मंत्रिमंडल से नहीं हटाया जा रहा है।
राज्यपाल ने इन दो बिन्दुओं पर मांगा स्पष्टीकरण
विधानसभा-सत्र बुलाने को लेकर राजभवन की ओर से लौटाई गई फाइल के साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत सरकार से दो बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो राज्यपाल ने पूछा है कि क्या आप ''विश्वास प्रस्ताव'' लाना चाहते हैं ? मिश्र ने कहा कि क्योंकि प्रस्ताव में आपने इसका ज़िक्र नहीं किया, जबकि आप पब्लिक और मीडिया में कह रहे हैं कि आप ''विश्वास प्रस्ताव'' लाएंगे। राज्यपाल ने इस बात पर भी अशोक गहलोत सरकार स्पष्टीकरण मांगा है कि कोरोना की वजह से इतने कम समय में सभी विधायकों को विधानसभा सत्र के लिए बुलाना मुश्किल होगा। क्या आप विधानसभा-सत्र बुलाने को लेकर 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं ? अब इस पर गहलोत सरकार को राज्यपाल को जवाब देना है।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने राज्य सरकार की सत्र आहूत करने संबंधी फाइल सोमवार को वापस लौटा दी। राजभवन के अधिकारियों ने संसदीय कार्य विभाग से मांगे गई जानकारी देने के लिए कहा है। इससे पहले 24 जुलाई को भी राज्यपाल ने मंत्रिमंडल द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने संबंधि प्रस्ताव को लौटा दिया था। उस समय राजभवन की तरफ से कहा गया था कि प्रस्ताव में सत्र बुलाए जाने के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया। इस पर गहलोत मंत्रिमंडल ने शनिवार को दूसरी बार प्रस्ताव भेजा था।
राज्यपाल नाराज हैं
राजभवन के सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह कांग्रेस विधायकों द्वारा राजभवन में आकर धरना देने व नारेबजाी करने के कारण राज्यपाल नाराज है। राज्यपाल की नाराजगी का एक बड़ा कारण मुख्यमंत्री का वह बयान भी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जनता राजभवन घेर लेगी तो हम भी कुछ नहीं कर सकेंगे। राज्यपाल ने रविवार को पुलिस महानिदेशक व मुख्य सचिव को बुलाकर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा की थी।