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Shiv Sena Meeting: सीएम के पद पर अड़ी शिवसेना, भाजपा से मांगा लिखित आश्वासन

Shiv Sena Meeting मातोश्री में आयोजित शिवसेना की बैठक में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा से हमें लिखित में आश्वासन चाहिए।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 10:07 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 12:14 PM (IST)
Shiv Sena Meeting: सीएम के पद पर अड़ी शिवसेना, भाजपा से मांगा लिखित आश्वासन
Shiv Sena Meeting: सीएम के पद पर अड़ी शिवसेना, भाजपा से मांगा लिखित आश्वासन

मुंबई, राज्य ब्यूरो। शिवसेना ने अपने तेवर और सख्त कर लिए हैं। ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद और बराबरी के मंत्रालय का वह भाजपा से लिखित आश्वासन चाहती है। इस पर सहमति न बनने की स्थिति में उद्धव ठाकरे ने दूसरे विकल्प खुले होने के संकेत भी दे दिए हैं। पार्टी विधायकों ने भाजपा के साथ बातचीत कर अंतिम फैसले का अधिकार पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सौंप दिया है।

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सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी और सीएम पद दोनों महत्त्वपूर्ण

शनिवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के निवास ‘मातोश्री’ पर करीब एक घंटे चली शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक के बाद ठाणे से चुनकर आए विधायक प्रताप सरनाईक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ उद्धव ठाकरे की बातचीत में 50-50 के फार्मूले पर फैसला हुआ था। ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद उसी फार्मूले का हिस्सा था।

विधानसभा चुनाव में हम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के आग्रह पर इस फार्मूले पर नहीं अड़े और कम सीटों पर लड़ने को तैयार हो गए। लेकिन अब हमारे लिए सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी और मुख्यमंत्री पद दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। सरनाईक के अनुसार उपमुख्यमंत्री पद अब हमारे लिए गौड़ हो गया है। वह कहते हैं कि अब हम तभी कोई निर्णय करेंगे, जब भाजपा सरकार बनाने का फार्मूला लिखित में देगी। नवनिर्वाचित शिवसेना विधायकों में से कई ने आज आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी बैठक में उठाई। अपने विधायकों की बात से सहमति जताते हुए उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि यदि भाजपा हमारी बात नहीं मानती, तो हमारे पास दूसरे विकल्प भी खुले हैं।

मिलकर ही फैसले करने होंगे

संभवतः दूसरे विकल्पों से उद्धव ठाकरे का आशय कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बनाने का है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण एवं स्वयं कुछ राकांपा नेताओं ने शिवसेना को इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित भी किया है। लेकिन राकांपा के ही प्रवक्ता नवाब मलिक ने कल ही साफ कर दिया था कि इस बार कांग्रेस-राकांपा और भाजपा-शिवसेना एक-दूसरे से गठबंधन करके चुनाव लड़ी हैं। इसलिए गठबंधन की पार्टियों को साथ मिलकर ही फैसले करने होंगे।

मलिक के अनुसार 2014 में सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं। तब वह अकेले कोई भी फैसला करने के लिए स्वतंत्र थीं। नवाब मलिक ने साफ कहा है कि इस चुनाव में सरकार बनाने का जनादेश भाजपा-शिवसेना को मिला है। यदि वह सरकार बनाने में सफल नहीं होते तभी हम प्रयास करेंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राव साहब दानवे ने कहा है कि दीवाली के बाद भाजपा नेता शिवसेना से बातचीत शुरू करेंगे। भाजपा अपना विधायक दल का नेता 30 अक्तूबर को चुनेगी। इसके लिए उस दिन एक बजे विधानभवन में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई गई है।


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