भारतनेट के जरिए गांवों को मार्च तक मिलेगी मुफ्त वाई-फाई सेवा
केंद्रीय संचार सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में अभी 1.30 लाख ग्राम पंचायतें भारतनेट से जुड़ चुकी हैं।
रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। सरकार अगले चार महीने तक भारतनेट के जरिए देश के 48000 गांवों में मुफ्त वाई-फाई उपलब्ध कराएगी। मार्च 2020 तक जितने गांवों तक इस सेवा का विस्तार होगा, वहां भी इस सुविधा का लाभ उठाया जा सकेगा। सरकार का इरादा एक लाख गांवों को डिजिटल गांव में तब्दील करने का है। केंद्रीय संचार, सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में अभी 1.30 लाख ग्राम पंचायतें भारतनेट से जुड़ चुकी हैं।
बुधवार को हरियाणा के रेवाड़ी स्थित गुरावड़ा गांव को डिजिटल गांव घोषित करते हुए कहा कि सीएससी के जरिए सरकार हर गांव में बैंकिंग सेवाएं भी उपलब्ध कराएगी। इसकी तैयारी की जा रही है। हरियाणा के इस गांव में प्रदेश सरकार की सभी सेवाएं सीएससी के जरिए उपलब्ध हैं। इनमें बैंकिंग से लेकर पेंशन तक के लिए लोगो को शहर नहीं जाना पड़ता। प्रसाद ने कहा कि सीएससी ने शहरी सेवाओं को गांव में ला दिया है। प्रसाद ने गुरावड़ा में सीएससी चला रही महिला सोनू बाला को सम्मानित भी किया।
भारत नेट योजना के तहत सरकार देश की ढाई लाख पंचायतों और उससे जुड़े गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ रही है और वहां पर तेज गति वाई—फाई सेवा देने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस सुशासन दिवस पर इस गांव को डिजिटल गांव में बदलकर उन्हें खुशी हो रही है। इसकी वजह यह है कि स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी का कहना था कि लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रशासन को उत्तरदायी बनाना होगा। डिजिटल सशक्तता से यह काम काफी सरल होगा। एक क्लिक पर आम नागरिक कोई भी सरकारी सेवा हासिल कर पाएगा।
कॉमन सर्विस सेंटर के सीईओ डा. दिनेश त्यागी ने कहा कि डिजिटल गांव की घोषणा 2015—16 के बजट में की गई थी। हमने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पांच गांवों को डिजिटल बनाया। उसकी सफलता को देखते हुए सरकार ने हमें देश के हर जिला में , 700 जिला, में एक— एक डिजिटल गांव बनाने का दायित्व दिया है। इसके माध्यम से लोगों को उनके गांव में बैंकिंग सेवा, टेलीमेडिसन, टेलीएजुकेशन सहित सैकड़ों सेवाएं दी जाती हैं।
लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने का भी कार्य किया जाता है। इसके अलावा यहां पर एलईडी बल्ब, सैनेटरी नैपकिन, पेपर बैग बनाने का भी कार्य किय जाता है। जिससे डिजिटल गांव के प्रशासनिक खर्च को पूरा किया जा सके। सबसे खास बात यह है कि इंटरनेट की पहुंच से लोग डिजीटली सशक्त हो रहे हैं।