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उन्नाव कांड: न्यायाधीश ने कहा, सेंगर लोकसेवक था, लेकिन जनता के साथ विश्वासघात किया

सजा सुनाते वक्‍त न्‍यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि सेंगर को अपना शेष जीवन प्राकृतिक मौत तक जेल में बिताना हाेगा। इसके साथ ही सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 07:51 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 07:51 PM (IST)
उन्नाव कांड: न्यायाधीश ने कहा, सेंगर लोकसेवक था, लेकिन जनता के साथ विश्वासघात किया
उन्नाव कांड: न्यायाधीश ने कहा, सेंगर लोकसेवक था, लेकिन जनता के साथ विश्वासघात किया

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर को तीस हजारी अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा सुनाते वक्‍त न्‍यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि सेंगर को अपना शेष जीवन प्राकृतिक मौत तक जेल में बिताना हाेगा। इसके साथ ही सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की रकम एक महीने के भीतर अदा करनी होगी, नहीं तो उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य कोष से भुगतान करना होगा। सजा मिलने पर कुलदीप सेंगर के साथ उसके परिजन भी अदालत में रोये।

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काफी देर तक हुई बहस

कुलदीप सेंगर को सजा सुनाने के लिए मंगलवार के बाद शुक्रवार को भी काफी देर तक बहस हुई। दोपहर 12 बजे से लेकर करीब सवा एक बजे तक बहस चली और उसके बाद 2 बजे फैसला सुनाने का समय तय किया गया। ठीक 2 बजे न्यायाधीश अदालत में आए और उन्होंने सेंगर को पेश करने के साथ ही कहा कि 10 मिनट में फैसला सुनाया जाएगा।

लोकसेवक होने का उठाया गलत फायदा

10 मिनट के बाद फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि कुलदीप सेंगर ने एक लोकसेवक होने के नाते अपने आधिकारिक पद का लाभ उठाते हुए दुष्कर्म किया था। सेंगर जनता का सेवक था, लेकिन उसने लोगों के साथ विश्वासघात किया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता की मां को मुआवजे के तौर पर अतिरिक्त 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाए। अदालत ने कहा, पीड़ित परिवार दिल्ली महिला आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए मकान में एक साल तक रहेगा और उत्तर प्रदेश सरकार इसके किराये के लिए प्रतिमाह 15 हजार रुपये का भुगतान करे।

सीबीआइ को दिया निर्देश...

अदालत ने सीबीआइ को निर्देश दिया कि वह हर तीन महीने में पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का आकलन करती रहे। सुरक्षा के लिए सीबीआइ द्वारा पर्याप्त कदम उठाए जाएं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों का जीवन सुरक्षित रहे। पीड़ित परिवार किसी भी सहायता के लिए सीबीआइ, दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव या जिला गवाह सुरक्षा समिति दिल्ली से संपर्क कर सकते हैं।

दोनो पक्षों के बीच हुई जोरदार बहस

कुलदीप सेंगर को अधिकतम सजा देने की जहां पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने जोरदार अपील की, वहीं सेंगर के वकील तनवीर अहमद मीर दया मांगते रहे। अधिवक्ता मीर ने जुर्माना भी कम से कम करने की अपील की। उन्होंने अदालत में तर्क दिया कि सेंगर का परिवार मुश्किल से चल रहा है। बच्चों की फीस रिश्तेदारों से पैसा उधार लेकर देनी पड़ रही है। चुनाव के दौरान सेंगर ने जो संपत्ति का ब्यौरा दिया था, उससे पीड़िता का मुअावजा तय नहीं करना चाहिए। वहीं, पीड़िता के वकील द्वारा बार-बार कुछ तथ्यों को दोहराने पर न्यायाधीश ने उन्हें टोक भी दिया।

पॉक्सो के तहत ठहराया गया था दोषी

कुलदीप सेंगर ने जून, 2017 में पीड़िता के साथ अपने आवास पर दुष्कर्म किया था। इस मामले में सेंगर की सहयोगी शशि सिंह भी आरोपित थी, जिसे अदालत ने विगत सोमवार को बरी कर दिया था और सेंगर को दोषी ठहराया था। सेंगर को पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग से दुष्कर्म और भयावह अपराध के लिए दोषी करार दिया गया था। इस मामले में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है और पीड़ित पक्ष दोषी होने के बाद से ही लगातार अधिकतम सजा की मांग कर रहा था।

सीबीआइ की हुई खिंचाई

सेंगर को दोषी ठहराने के साथ ही अदालत ने जांच एजेंसी सीबीआइ की भी खिंचाई की थी। अदालत ने फैसला सुनाते वक्त कहा था कि जांच में भले कई तरह की कोताही बरती गई हो, लेकिन पीड़िता का बयान सत्य और बेदाग है। दुष्कर्म के इस मामले के साथ ही पीड़िता से ही सामूहिक दुष्कर्म, पीड़िता के पिता की हिरासत में हत्या और पीड़िता को ट्रक से कुचलने की कोशिश के मामले अभी इसी अदालत में विचाराधीन हैं। हिरासत में हत्या व पीड़िता को ट्रक से कुचलने की कोशिश के मामले में कुलदीप सेंगर भी आरोपित है।

पीड़िता को अदालत ने दिया न्‍याय 

यह ऐतिहासिक फैसला है। पीड़िता को अदालत ने न्याय दिया है। हमारी लड़ाई अन्य मामलों में न्याय दिलाने के लिए भी जारी रहेगी।

धर्मेंद्र कुमार मिश्रा, पीड़िता के वकील

होगी हाई कोर्ट में अपील
अदालत के इस फैसले के खिलाफ जल्द ही हाई कोर्ट में अपील की जाएगी।

-तनवीर अहमद मीर, दोषी के वकील


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