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पुलिस-वकीलों की हिंसक झड़प पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, ताली एक हाथ से नहीं बजती

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की हड़ताल की आलोचना की जिसके चलते हाई कोर्ट और निचली अदालतों में न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 07:52 AM (IST)
पुलिस-वकीलों की हिंसक झड़प पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, ताली एक हाथ से नहीं बजती
पुलिस-वकीलों की हिंसक झड़प पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, ताली एक हाथ से नहीं बजती

नई दिल्ली, प्रेट्र। तीस हजारी अदालत में पुलिस और वकीलों के बीच संघर्ष की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती। समस्या दोनों तरफ से थी। हम इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे। अदालत ने वकीलों की हड़ताल पर भी नाराजगी जताई।

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जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने उड़ीसा हाई कोर्ट और जिला अदालतों में वकीलों की हड़ताल के मामले पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र ने इस मसले को उठाया था। मनन मिश्र ने वकीलों पर पुलिस अत्याचार का उल्लेख किया तब पीठ ने कहा, 'कभी-कभी हमारी चुप्पी ज्यादा बेहतर होती है। यह अच्छा होगा कि हम इस पर कुछ ना कहें। समस्याएं दोनों तरफ से थीं।'

वकीलों की हड़ताल की आलोचना

पीठ ने वकीलों की हड़ताल की भी आलोचना की, जिसके चलते हाई कोर्ट और निचली अदालतों में न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है। अदालत ने कहा कि इस घटना से निपटने के और भी तरीके हैं। बीसीआइ अध्यक्ष ने पीठ को भरोसा दिलाया कि एक से दो दिन के भीतर अदालतों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।

बता दें कि तीस हजारी अदालत में पार्किग को लेकर वकील और सिपाहियों के बीच हुए विवाद शुरू हुआ था। वकीलों के साथ ही पुलिसकर्मियों ने एक-दूसरे के खिलाफ मारपीट करने के आरोप लगाए हैं। वकीलों पर कई वाहनों को फूंकने का भी आरोप है।

पुलिसकर्मियों के समर्थन में आईं किरण बेदी

पूर्व आइपीएस अधिकारी और पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी दिल्ली पुलिस के समर्थन में आ गई हैं। एक संदेश के जरिये उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी ईमानदारी, सख्ती, निडरता और जिम्मेदारी से ड्यूटी करते हैं तो उन्हें अपने वरिष्ठों का संरक्षण मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों के पास जीवन और संपति की सुरक्षा व कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी है। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। सुरक्षा में नाकाम रहना, उपेक्षा, कायरता और सहना अपराध भी है।

किसी को भी बिना जांच के दोषी या अपमानित न किया जाए, ऐसा होने पर पुलिसकर्मी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और उनके परिवार को दुख होता है। इसके लिए पुलिस लीडरशीप को संवदेनशील होने की जरूरत है। विवादित प्रकरण पर तत्काल जांच जरूरी है। बता दें कि मंगलवार को आइटीओ स्थित दिल्ली पुलिस के पुराने मुख्यालय पर प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों ने किरण बेदी के समर्थन में नारे लगाए थे। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया था।

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