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Sheila Dikshit: जानिए- क्या थी शीला दीक्षित की अंतिम इच्छा, जिसे श्मशान घाट पर बेटे ने किया पूरा

Sheila Dikshitशीला का पार्थिव शरीर निगम बोध घाट पहुंचा तो तेज बारिश शुरू हो गई। यह बारिश भी करीब घंटे भर तक चली इसके बावजूद वहां उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ कम नही हुई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 06:51 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 07:35 AM (IST)
Sheila Dikshit: जानिए- क्या थी शीला दीक्षित की अंतिम इच्छा, जिसे श्मशान घाट पर बेटे ने किया पूरा
Sheila Dikshit: जानिए- क्या थी शीला दीक्षित की अंतिम इच्छा, जिसे श्मशान घाट पर बेटे ने किया पूरा

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का रविवार को दिल्ली में यमुना किनारे बने निगम बोध घाट पर अंतिम विदाई दी गई। भारी बारिश के बीच राजकीय सम्मान के साथ सीएनजी शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। अंत्येष्टि में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत तमाम कांग्रेस नेता और केंद्र सरकार की ओर से गृहमंत्री अमित शाह मौजूद थे।

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दिल्ली में सीएनजी की शुरूआत दीक्षित ने ही की

दिल्ली में वायु प्रदूषण घटाने के लिए सीएनजी की शुरूआत शीला दीक्षित ने ही की थी और उनकी इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार भी सीएनजी शवदाह गृह में ही किया जाए। शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार सीएनजी शवदाह गृह में कराया। इससे पहले उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और बाद में तिरंगे में लिपटे उनके शव को कंधा देते उनके बेटे संदीप दीक्षित, लतिका सईद व अन्य उन्हें सीएनजी शवदाह गृह तक ले गए।

दिल्ली के प्रदूषण की चिंता शीला दीक्षित की जेहन में थी
दिल्ली के प्रदूषण की चिंता शीला दीक्षित की जेहन में अंतिम समय तक रही। इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि प्रदूषण मुक्त दिल्ली के लिए सार्वजनिक वाहनों को पेट्रोल व डीजल मुक्त किया और सीएनजी लेकर आई। दिल्ली परिवहन में सीएनजी लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है और इसी प्रदूषण की चिंता के कारण उनकी चिता लकड़ी की जगह सीएनजी से चलने वाली शवदाह गृह में जली। यही उनकी इच्छा भी थी।

शीला दीक्षित ने ऐसी इच्छा नहीं जताई थीं। बेटे ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया। दीक्षित ने सार्वजनिक परिवहन में सीएनजी लाने का विरोध भी झेला, लेकिन आज अपरिहार्य बन गया है। अपने इरादों पर अडिग रहने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तमाम विरोधों का सामना कर दिल्ली को हरा-भरा करने का कदम उठाती रही।

मूसलधार बारिश में गूंजा 'शीला दीक्षित अमर रहे'

 मूसलाधार बारिश के दौरान भी लोग 'शीला दीक्षित अमर रहे' और 'जब तक सूरज चांद रहेगा, शीला दीक्षित का नाम रहेगा' जैसे नारे लगा रहे थे। जब शीला का पार्थिव शरीर निगम बोध घाट पहुंचा तो तेज बारिश शुरू हो गई। यह बारिश भी करीब घंटे भर तक चली, लेकिन इसके बावजूद वहां उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ कम नहीं हुई।

शीला दीक्षित की याद में बड़े पार्कों में लगाए जाएंगे पेड़
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिवंगत नेता शीला दीक्षित की याद में राजधानी के बड़े पार्कों में पेड़ लगाया जाएगा। यह फैसला शीला दीक्षित के परिजनों ने लिया है। परिजनों का कहना है कि आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर दिल्ली के सभी बड़े पार्कों में पेड़ जाएगा। ताकि दिवंगत शीला की याद बनी रहे।

वहीं निगम बोध घाट पर सोमवार सुबह शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और बेटी लतिका 'फूल' चुनने के आयोजन में शामिल हुए। शीला दीक्षित के फूलों को प्रयागराज, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब में प्रवाहित किया जाएगा।

शीला दीक्षित का आखिर निर्देश था-भाजपा मुख्यालय घेरो

कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ राजनीति कर 81 साल की उम्र में अलविदा हुई शीला दीक्षित हर वक्त पार्टी की चिंता में डूबी रहीं। शुक्रवार-शनिवार को उप्र के मीरजापुर के चुनार गेस्ट हाऊस में जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी धरने पर बैठी तब भी उन्होंने दिल्ली के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया था, 'यदि उप्र में प्रियंका गांधी और प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध समाप्त नहीं होता है तो वे दिल्ली में भाजपा मुख्यालय को घेरे व वहां प्रदर्शन करें।' दिल्ली कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री व पूर्व मंत्री किरण वालिया ने बताया कि दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हारन युसूफ को भाजपा के खिलाफ इस आंदोलन का नेतृत्व करना था। वालिया ने नम आंखों से यह बात कही। 


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