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ब्यूरोक्रेसी में छाप छोड़ने के बाद हरियाणा की राजनीति में कदम रखेंगे धनपत

वर्ष 2014 व 2019 के विधानसभा चुनावों से पूर्व इनके इस्तीफा देकर राजनीति में आने की चर्चा चली मगर तब धनपत ऐसे सवालों पर बस मुस्कराते रहे।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 03:15 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 03:15 PM (IST)
ब्यूरोक्रेसी में छाप छोड़ने के बाद हरियाणा की राजनीति में कदम रखेंगे धनपत
ब्यूरोक्रेसी में छाप छोड़ने के बाद हरियाणा की राजनीति में कदम रखेंगे धनपत

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। दुर्लभ सम्मान के साथ सेवानिवृत्ति। यहां के छोटे से गांव रोलियावास के साधारण परिवार में पले-बढ़े असाधारण प्रतिभाके धनी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी धनपत सिंह की राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पद से विदाई हुई तो प्रोदेश के हरियाणा मंत्रिमंडल ने भी प्रस्ताव पारित करके उनकी सेवाओं की सराहना की। सेवानिवृत्ति के लगभग एक माह बाद मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने प्रस्ताव की लिखित जानकारी धनपत सिंह को भेजी है। ब्यूरोक्रेसी में छाप छोड़ने के बाद धनपत अब राजनीति में कदम रखेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) के रूप में विभाग स्तर के सर्वोच्च पद पर पहुंचे धनपत इससे पूर्व पंचकुला व महेंद्रगढ़ में उपायुक्त सहितकई पद संभाल चुके थे। भारत सरकार में डेपुटेशन पर रहते हुए उनके पास भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक की जिम्मेदारी थी। चंडीगढ़ में रहकर उन्होंने राजस्व के अलावा कई विभागों के एसीएस और वित्तायुक्त की जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2014 व 2019 के विधानसभा चुनावों से पूर्व इनके इस्तीफा देकर राजनीति में आने की चर्चा चली, मगर तब धनपत ऐसे सवालों पर बस मुस्कराते रहे। सार्वजनिक तौर पर उन्होंने सोमवार को दैनिक जागरण से बातचीत में पहली बार माना कि राजनीति से जुड़कर बेहतर सेवा की जा सकती है।

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प्रेरक है शिखर का सफर

पिता मक्खनलाल व मां मिश्री देवी अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे, मगर उन्होंने पढ़ाई का महत्व समझा। धनपत सहित सभी बच्चों को उच्च पदों परपहुंचने के काबिल बनाया। पिता मक्खनलाल व मां को बेटे धनपत को पढ़ाने के लिए मजदूरी करनी पड़ी। संतान को शिक्षित करने की उनकीउपलब्धि को सम्मान देते हुए केंद्र सरकार ने मिश्री देवी को श्रेष्ठ मां का खिताब दिया था। संप्रति धनपत की दोनों बेटियां जहां इंजीनिय¨रगग्रेजुएट हैं वहीं बेटे दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफन कालेज से ग्रुेजुएट के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी कर चुके हैं।

धनपत सिंह (पूर्व एसीएस) का कहना है कि राजनीति में रहकर आप आम लोगों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मेरी राजनीति में रुचि है, मगर अभी कुछ तय नहीं किया है। अभी 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए हैं। शुभचिंतकों से राय लेंगे। अगर चुनाव लड़ना पड़ा तो लड़ेंगे क्योंकि आम जनता के हितों के लिए लड़ना ही अब जीवन का ध्येय रहेगा। सेवाओं की सराहना करने के लिए मंत्रिमंडल का धन्यवाद करता हूं। 


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