जानिए- क्यों कटघरे में हैं दिल्ली के 16000 गेस्ट टीचर, मनीष सिसोदिया ने LG को लिखा खत
अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए आयोजित परीक्षा में 21 हजार 135 परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया और इसमें से 16 हजार 383 लोग पास होने के लिए न्यूनतम अंक भी नहीं ला पाए।
नई दिल्ली, जेएनएन। अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए आयोजित परीक्षा में 21 हजार 135 परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया और इसमें से 16 हजार 383 लोग पास होने के लिए न्यूनतम अंक भी नहीं ला पाए। दिल्ली हाई कोर्ट में यह जानकारी देते हुए दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने कहा कि शिक्षा निदेशालय के साथ काम कर रहे अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन काफी खराब है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी।
गैर सरकारी संगठन सोशल जूरिस्ट की अवमानना याचिका के जवाब में शपथ पत्र दाखिल कर डीएसएसएसबी ने कहा कि उसने 2019-20 सत्र के लिए नियमित शिक्षक देने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन काफी खराब रहा। याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल ने याचिका में आरोप लगाया था कि राजनीतिक दबाव में डीएसएसएसबी नियुक्ति में देरी कर रहा है और इससे छात्रों को परेशानी हो रही है। इससे पहले हाई कोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को नियमित करने पर जोर देने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी। पीठ ने कहा था कि अगर अतिथि शिक्षक सक्षम हैं तो वह परीक्षा पास कर लेंगे।
अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर सिसोदिया गंभीर, एलजी को लिखा पत्र
वहीं, उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर मंगलवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दो साल से एक भी बार आपने अतिथि शिक्षकों के मुद्दों पर बातचीत नहीं की। क्या आप इस स्थिति से अवगत हैं कि 22 हजार अतिथि शिक्षक जो आज सड़कों पर हैं, वह दिल्ली सरकार के स्कूलों में कुल 38 फीसद हैं।
उन्होंने कहा कि एक मार्च से दिल्ली के सरकारी स्कूल बिना अतिथि शिक्षकों की सेवाओं के संचालित हो रहे हैं। जबकि बोर्ड की वार्षिक 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं हो रही हैं। इस महीने परीक्षाओं के अलावा शिक्षकों को उत्तर पुस्तिकाओं को भी चेक करना पड़ता है, ताकि वह नतीजों को तैयार कर सकें। जिससे वह अगले शैक्षिक सत्र की तैयारी कर सकें। क्या आप उम्मीद कर रहे हैं कि अतिथि शिक्षकों के अलावा बचे हुए 62 फीसद शिक्षक अपने हिसाब से यह तैयार करें? नया अकादमिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है। बिना इन 22 हजार अतिथि शिक्षकों के शिक्षा की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता। 15 लाख छात्र स्कूलों में पढ़ते हैं। क्या आपके पास इसके लिए कोई योजना है?
उपराज्यपाल सर, 25 अक्टूबर 2018 को दिल्ली उच्च न्यायलय ने आदेश पारित किया था कि मौजूदा अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 28 फरवरी 2019 तक जारी रहे। लेकिन अब जो संकट हमारे सामने है उस पर क्या करेंगे? हरियाणा सरकार ने अतिथि शिक्षकों को सेवानिवृत तक सेवाएं जारी रखने के लिए अपनी विधानसभा में बिल पास कर दिया था। हमारी सरकार ने भी 2017 में दिल्ली विधानसभा में इसी आधार पर बिल पास किया था। यह बिल अब भी आपकी सहमति का इंतजार कर रहा है। मैंने इस मामले में मुख्यमंत्री से आपातकालीन कैबिनेट की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। जिससे अतिथि शिक्षकों की सेवाओं के लिए बिना किसी रोक के नीति को स्वीकृति दी जा सके।
मनीष सिसोदिया ने पत्र को ट्वीट करते हुए एलजी से सवाल किया। लिखा कि वह बताएं कि शिक्षामंत्री अब स्कूलों को कैसे चलाए? आज 38 फीसद अतिथि शिक्षक आपकी नीतियों के कारण निकाल दिए गए। पता नहीं कि परीक्षाओं को लेकर बुधवार को कितने शिक्षक उपलब्ध होंगे। उनकी नियुक्ति का निर्णय आप लेते हैं। कुछ जिम्मेदारी भी लीजिए। वहीं, कई दिनों से उपमुख्यमंत्री के मथुरा रोड स्थित आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों ने मंगलवार को विरोध जताते हुए अपने सिर मुंडवा दिए।