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सिख दंगा मामले में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के खिलाफ फिर से होगी जांचः सिरसा

भाजपा-अकाली विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि वर्ष 1984 के सिख दंगा मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भूमिका की जांच होगी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 04:25 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 04:25 PM (IST)
सिख दंगा मामले में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के खिलाफ फिर से होगी जांचः सिरसा
सिख दंगा मामले में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के खिलाफ फिर से होगी जांचः सिरसा

नई दिल्ली, एएनआइ। सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के अध्यक्ष और दिल्ली की राजौरी गार्डन से भाजपा-अकाली विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि वर्ष 1984 के सिख दंगा मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भूमिका की जांच होगी। उन्होंने कहा कि हमने 1984 के सिख दंगा मामले में गठित एसआइटी के प्रमुख से मुलाकात की है और दो गवाहों के बयान दर्ज करने की मांग है। इसके अलावा एसआइटी से कमलनाथ के भूमिका की भी जांच करने की मांग की है।

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मनजीत सिंह सिरसा ने बताया कि 1984 सिख दंगा मामले को कमलनाथ से जुड़े मामले को दोबारा से खोलने और उनकी भूमिका की जांच करने का एसआइटी प्रमुख ने भरोसा दिया है।

इससे पहले अभी हाल में ही मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक प्रेसवार्ता मे सिरसा ने कहा था कि गृह मंत्रालय के आदेश के बाद अब एसआइटी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ भी जांच कर सकेगी, क्योंकि सिख दंगों में कमलनाथ के शामिल होने के पर्याप्त साक्ष्य हैं।

उन्होंने बताया था कि वर्ष 1984 के सिख दंगा मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एसआइटी अब उन मामलों की भी जांच कर सकेगी, जो मामले या तो बंद हो चुके हैं या फिर उनका ट्रायल पूरा हो गया है। हालांकि, उन्हीं मामलों को जांच के लिए फिर से खोला जा सकेगा, जिसमें कोई नया साक्ष्य सामने आया हो।

कांग्रेस पर कमलनाथ को बचाने का आरोप

प्रेस कांफ्रेंस में सिरसा ने कहा था कि संजय सूरी नाम के पत्रकार ने दो नवंबर 1984 के अंक में घटना की खबर छापी थी। डीएसजीपीसी के कर्मचारी मुख्तार सिंह ने भी उस समय हुआ दंगा अपनी आंखों से देखा था। इसके बावजूद कांग्रेस और गांधी परिवार 35 वर्षो तक कमलनाथ को बचाता रहा और कोई जांच तक नहीं होने दी गई। सिरसा ने एसआइटी से मांग की है कि सिख दंगों में दर्ज एफआइआर संख्या 601/84 में कमलनाथ का भी नाम शामिल किया जाए और उनको गिरफ्तार किया जाए।

सिरसा ने कहा कि एक नंवबर 1984 को दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज की गई एफआइआर में पांच दोषियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी, लेकिन कमलनाथ को जानबूझकर छोड़ दिया गया था। पांचों दोषियों की रिहायश का पता कमलनाथ के रिहायश के पते वाला ही पाया गया था।

2018 में एसआइटी के समक्ष उठाया था मुद्दा
सिरसा ने बताया कि वर्ष 2018 में एसआइटी के समक्ष जब उन्होंने यह मुद्दा उठाया था तो उसने इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर होने की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिसंबर 2018 में पत्र लिखकर कमलनाथ के मामले पर कार्रवाई की मांग की थी। पत्र का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कमलनाथ के मामले की जांच करने के साथ ही एसआइटी के जांच के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने का आदेश जारी किया है।
 

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