Move to Jagran APP

जानिए- दिल्ली कांग्रेस में फूट से क्यों चिंतित है भारतीय जनता पार्टी, AAP हो रही खुश

दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 (Delhi Assembly Election-2020) में की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेस का कमजोर होना चिंता का सबब है। इसके कई उदाहरण पार्टी के पास हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 03:19 PM (IST)
जानिए- दिल्ली कांग्रेस में फूट से क्यों चिंतित है भारतीय जनता पार्टी, AAP हो रही खुश
जानिए- दिल्ली कांग्रेस में फूट से क्यों चिंतित है भारतीय जनता पार्टी, AAP हो रही खुश

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। लोकसभा चुनाव के बाद से दिल्ली कांग्रेस में शुरू हुए घमासान ने भाजपा की भी चिंता बढ़ा दी है। भाजपा के नेता कांग्रेस में चल रही अंदरूनी लड़ाई पर नजर रख रहे हैं। उन्हें इस बात का डर है कि यदि कांग्रेसियों के बीच लड़ाई ज्यादा बढ़ी तो इसका खामियाजा कहीं उन्हें विधानसभा चुनाव में न भुगतना पड़े। दरअसल, आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) के उदय के बाद दिल्ली की चुनावी सियासत में त्रिकोणीय मुकाबला होने लगा है। वर्ष 2013 से लेकर अबतक हुए सभी चुनावों में AAP, भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबले हुए हैं। इन चुनावों में कांग्रेस की कमजोरी का सीधा लाभ AAP को मिला है और यही समीकरण भाजपा रणनीतिकारों के लिए चिंता का सबब है। 

loksabha election banner

दिल्ली में परंपरागत रूप से भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता था, लेकिन अब यहां का सियासी समीकरण बिल्कुल बदल गया है। आप जहां दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने में सफल रही है तो 15 वर्षों तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस हाशिये पर चली गई है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा दिल्ली की सातों सीटें जीतने में सफल रही थी, लेकिन उसके कुछ माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में उसे मात्र तीन सीटें नसीब हुई थी।

कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुल सका था। दूसरी ओर AAP 70 में 67 सीटें जीतकर दिल्ली की सत्ता तक पहुंच गई। हालांकि, बाद में हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा शानदार जीत हासिल करने के साथ ही इस लोकसभा चुनाव में भी बड़े अंतर से दोबारा सातों सीटें जीतने में सफल रही है। अब उसकी नजर दिल्ली की सत्ता पर टिकी हुई है।

भाजपा विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संगठन को मजबूत करने में लगी हुई है। इस बीच कांग्रेस में शुरू हुई लड़ाई से पार्टी नेताओं की धड़कन बढ़ी हुई है। इसके कारण भी हैं। यह माना जाता है कि कांग्रेस के परंपरागत वोटरों को अपने साथ करके AAP ने पिछले विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। हालांकि, उसके बाद हुए नगर निगम चुनाव व लोकसभा चुनाव में उसका ग्राफ नीचे गिरा है, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला है। नगर निगम चुनाव में जहां तीनों दलों में वोट बंटवारे से भाजपा तीनों नगर निगमों में हैट्रिक लगाने में सफल रही थी।

वहीं, लोकसभा चुनाव में भाजपा लगभग 57 फीसद वोट हासिल करने में सफल रही। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। यदि इसी तरह से विधानसभा चुनाव में भी AAP व कांग्रेस के बीच मतों का बंटवारा हुआ तो भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव का सफर आसान हो जाएगा। इस सियासी समीकरण को भाजपा के रणनीतिकार भी समझते हैं और वह कांग्रेस की कमजोरी को अपने लिए नुकसानदेह मान रहे हैं।

दिल्ली-NCR की ताजा खबरें और स्टोरीज पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.