यहां पढ़िए कॉलोनियों को पूरी तरह नियमित करने में कहां फंसेगा पेंच, लंबी है अभी लड़ाई
विभिन्न कानूनी और तकनीकी अड़चनों के चलते इन कॉलोनियों को पूर्णत नियमित कर पाना संभव नहीं लग रहा। डीडीए भी इस कड़वी सच्चाई से इनकार नहीं कर रहे हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता] सियासी स्तर पर दावे भले जो किए जा रहे हों, लेकिन दिल्ली की जिन 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की बात हो रही है, फिलहाल उनका नियमितिकरण सिर्फ मालिकाना हक तक सीमित रहेगा। विभिन्न कानूनी और तकनीकी अड़चनों के चलते इन कॉलोनियों को पूर्णत: नियमित कर पाना संभव नहीं लग रहा। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के अधीन दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) भी इस कड़वी सच्चाई से इनकार नहीं कर रहे हैं।
नियमित करने के लिए कुछ मानक हैं तय
जानकारी के मुताबिक किसी भी कॉलोनी को नियमित करने के लिए उसका कुछ मानकों पर खरा उतरना अनिवार्य है। मसलन, उस कॉलोनी का एक लेआउट प्लान होना चाहिए, जिसमें इस बाबत सारी जानकारी हो कि उस कॉलोनी में कहां सड़कें होंगी व कहां घर, कहां अस्पताल होगा और कहां पार्क, कहां सामुदायिक भवन होगा और कहां स्कूल इत्यादि। इसके अलावा सड़कों की चौड़ाई, आपदा और आपात हालात में बचाव कार्य सुनिश्चित हो सके, इसकी बुनियादी व्यवस्था होना भी उतना ही अनिवार्य है। लेकिन उक्त सभी कॉलोनियों को लेकर ऐसा कुछ न तो अभी है अौर न निकट भविष्य होने की संभावना लग रही है।
बेतरतीब ढंग से बसी हैं कॉलोनियां
दरअसल, डीडीए अधिकारियों का कहना है कि यह सभी कॉलोनियां बहुत ही बेतरतीब ढंग से बसी हुई हैं। बुनियादी सुविधाओं के लिए भी कहीं जगह नहीं छोड़ी गई है। न कहीं पार्क बन सकता है, न कहीं स्कूल। न कहीं अस्पताल बनाने की जगह है और न ही सामुदायिक भवन। इन सभी सुविधाओं की जगह पर भी मकान बना लिए गए हैं। आलम यह है कि अगर रिक्टर स्केल पर अच्छी- खासी तीव्रता वाला भूकंप आ जाए अथवा कहीं कोई बड़ी आग ही लग जाए तो वहां फैले अतिक्रमण और अवैध कब्जों के कारण बचाव कार्य कर पाना भी सहज नहीं है।
सेटेलाइट मैपिंग कराकर बनेगी चहारदीवारी
अधिकारी बताते हैं कि इन कॉलोनियों की सेटेलाइट मैपिंग कराकर इनकी चहारदीवारी कराने के लिए तो प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अगर वहां मकानों के नक्शे पास करने एवं कॉलोनी का लेआउट प्लान बनाने का पेच डाल गया तो सारा मामला खटाई में पड़ जाएगा।
मौजूदा हालात में संभव नहीं
इन कॉलोनियों में यह सब कर पाना मौजूदा हालात में संभव ही नहीं है। इसलिए जो प्रक्रिया तैयार की गई है और जो पोर्टल तैयार किया जा रहा है, वह भी इसी हिसाब से हो रहा है कि इन कॉलोनियों में रहने वालों को फिलहाल उनकी संपत्तियों का मालिकाना हक मिल जाए, बस। जिसके पास भी अपनी संपत्ति के कागजात होंगे, उसे अगले कुछ ही माह में उसका मालिकाना हक दे दिया जाएगा।
डीडीए का पक्ष
मौजूदा हालात में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए फिलहाल यहां मालिकाना हक देने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। सेटेलाइट मैपिंग और चहारदीवारी इसलिए जरूरी है कि इन कॉलोनियों को एक पहचान दी जा सके। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इन सभी कॉलोनियोें को पूर्णतया नियमित करने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।
तरुण कपूर, उपाध्यक्ष, डीडीए।