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700 रुपये की नौकरी से अकूत संपत्ति के मालिक बने आनंद, सत्ता का उठाया जमकर फायदा

आनंद कुमार नोएडा विकास प्राधिकरण में महज दो सौ रुपये ग्रेड पे पर 1996 में जूनियर असिस्टेंट के पद पर तैनात हुए थे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 10:37 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 10:37 PM (IST)
700 रुपये की नौकरी से अकूत संपत्ति के मालिक बने आनंद, सत्ता का उठाया जमकर फायदा
700 रुपये की नौकरी से अकूत संपत्ति के मालिक बने आनंद, सत्ता का उठाया जमकर फायदा

नोएडा [कुंदन तिवारी]। आनंद कुमार नोएडा विकास प्राधिकरण में महज दो सौ रुपये ग्रेड पे पर 1996 में जूनियर असिस्टेंट के पद पर तैनात हुए थे। उस दौरान आनंद का मासिक वेतन महज सात सौ रुपये था, लेकिन वह सात वर्ष की छोटे समय की नौकरी में ही अचानक चर्चा में आ गए और आयकर विभाग ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की जांच शुरू कर दी। उस समय आनंद ने नोएडा के पॉश सेक्टर-44 में 1200 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 450 वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित कराया था। बाद में विवाद के कारण यह भूखंड प्राधिकरण में सरेंडर करना पड़ा। 2003 में नौकरी भी छोड़नी पड़ी। हालांकि इसके बाद आनंद ने खूब संपत्ति अर्जित की। वर्तमान में आनंद और उनकी पत्नी 12 कंपनियों के मालिक हैं, जिसमें से कई कागजों पर चल रही है।

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अधिकांश संपत्ति बसपा शासन काल में आवंटित हुई हैं। बिल्डरों को पहले भू आवंटन के दौरान 30 प्रतिशत राशि जमा करनी होती थी, बसपा शासन काल में इस दर को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया। इसका फायदा आनंद ने उठाया और आयकर व अन्य जांच एजेंसियों से बचने के लिए फर्जी नामों से संपत्ति बनाई गई।

ग्रेटर नोएडा में अकूत संपत्ति होने का अंदेशा 
मायावती के भाई व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद की ग्रेटर नोएडा में अकूत संपत्ति होने का अंदेशा है। बसपा शासन काल में आनंद की संपत्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ था। ग्रेटर नोएडा व उनके पैतृक गांव बादलपुर में करोड़ों रुपये की संपत्ति की उनके करीबियों के नाम से खरीद-फरोख्त की बात सामने आ रही है।

मामला पार्टी सुप्रीमो के भाई से जुड़ा होने से तत्कालीन अधिकारियों ने भी इस पर मुंह बंद रखा। अर्जित संपत्ति में से कुछ को बाद में अन्य को बेचकर जबरदस्त रकम कमाई गई। ग्रेटर नोएडा के एक नामी होटल को लेकर भी आनंद का नाम उछला था। बसपा शासन काल में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बड़े पैमाने में आवंटन किए थे। उस समय यह चर्चा जोरों पर थी कि यह आवंटन आनंद के इशारे पर किए जा रहे थे।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डर परियोजनाओं के लिए बंदर बांट 
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डर परियोजनाओं के लिए बंदर बांट भी बसपा शासनकाल में हुई थी। करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों तक में बदलाव कर दिया गया था। भूखंड की मात्र दस फीसद धनराशि लेकर बिल्डरों को आवंटन पत्र सौंपे गए थे। बताया जाता है कि आनंद के करीबियों के नाम पर भी फार्म हाउस आवंटित किए गए थे। जिन्हें बाद में बेच कर करोड़ों रुपये के वारे न्यारे कर लिए गए।

ग्रेटर नोएडा के पॉश इलाके में रिक्रिएशनल ग्रीन की करीब चालीस हजार वर्गमीटर जमीन भी उनके करीबियों के नाम आवंटित की गई थी। उस वक्त जमीन की कीमत मात्र सात से आठ हजार रुपये प्रति वर्गमीटर थी, जो वर्तमान में चार गुना से भी अधिक है। बादलपुर में भी बड़े पैमाने पर संपत्ति जुटाने की बात सामने आई थी। इस जमीन को प्राइम लोकेशन पर लाने के लिए प्राधिकरण ने मास्टर प्लान एवं अपने अधिसूचित क्षेत्र से बाहर जाकर करोड़ों रुपये खर्च कर ढांचागत विकास किया था।

ग्रेटर नोएडा के एक नामी होटल को लेकर भी आनंद का नाम खूब उछला था। होटल के आसपास के इलाके के चमकाने के लिए प्राधिकरण के खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। बाद में यह भी चर्चा खूब रही कि होटल को किसी दूसरे को बेचकर मोटा मुनाफा कमाया गया है।

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