Viral Video की इनसाइड स्टोरी, पढ़िए क्यों दो माह बाद फिर निकला जामिया का जिन्न
जामिया के दो वीडियो वायरल हुए। इसमें एक में दिल्ली पुलिस के जवान लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों की पिटाई कर रहे वहीं दूसरा वीडियो में छात्र हाथ में पत्थर लिए दिख रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जामिया समन्वय समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वीडियो वायरल किए हैं। इनमें दिख रहा है कि दिल्ली पुलिस और पैरा मिलिट्री के जवान जामिया विश्वविद्यालय के अंदर लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों की डंडे से पिटाई कर रहे हैं। दो माह बाद वीडियो वायरल करने से सवाल उठ रहे हैं कि यह शाहीन बाग मामले को फिर तूल देने की कोशिश तो नहीं है।
जांच के दायरे में आएंगे दोनों वीडियो
क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन का कहना है कि एसआइटी की जांच दायरे में अगर ये वीडियो नहीं हैं तो इन्हें भी शामिल कर लिया जाएगा। शनिवार रात 9 बजे समिति ने ट्विटर पर पहले 59 सेकेंड का एक वीडियो अपलोड किया, फिर रविवार सुबह 38 सेकेंड का दूसरा वीडियो डाला। दोनों वीडियो 15 दिसंबर की शाम छह बजे की है। उस दिन सीएए के विरोध में जामिया के छात्रों के साथ हजारों लोगों ने शाहीन बाग, जामिया, बटला हाउस, अबुल फजल एंक्लेव आदि इलाकों में उपद्रव किया था। डीटीसी की तीन बसों में आग लगा दी थी। पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया था। पुलिस ने जब उनको खदेड़ कर जामिया की तरफ भगा दिया तो वे तब उपद्रवी विश्वविद्यालय के अंदर घुस गए थे और अंदर से भी पथराव शुरू कर दिया था। इसके बाद पुलिसकर्मियों व पैरा मिलिट्री के जवानों को विश्वविद्यालय में घुसना पड़ा था, ताकि उन्हें भगाया जा सके।
उपद्रवी लाइब्रेरी में घुसे
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उपद्रवी लाइब्रेरी के अंदर घुस गए थे। वहां उन्होंने बेंचों पर बैठकर किताबें खोल पढ़ने का ढोंग किया था। वीडियो में साफ देखा जा रहा है कि सभी के चेहरे ढंके हैं। उस दिन रविवार भी था। इस दिन लाइब्रेरी नहीं खुलती है।
पुलिस पर लगाए थे आरोप
घटना के बाद छात्र-छात्राओं के साथ जामिया प्रशासन ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिसकर्मियों ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्र-छात्राओं की बुरी तरह पिटाई की है।
जामिया प्रशासन ने नहीं सौंपी फुटेज
क्राइम ब्रांच ने 19 दिसंबर को लाइब्रेरी के फुटेज सौंपने का अनुरोध किया था, लेकिन जामिया प्रशासन ने इंकार कर दिया था। अब दो महीने बाद समिति ने एक-दो वीडियो को एडिट कर केवल उसी हिस्से को वायरल किया जिसमें जवान छात्रों की पिटाई कर रहे हैं। क्राइम ब्रांच का कहना है कि वे छात्र नहीं उपद्रवी हैं।
विश्वविद्यालय ने पल्ला झाड़ा
इस संबंध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मीडिया समन्वयक अहमद अजीम का कहना है कि डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी में पुलिस की बर्बरता के संबंध में कुछ वीडियो वायरल किए गए हैं। विश्वविद्यालय ने इन्हें जारी नहीं किए हैं। जहां तक जामिया समन्वय समिति का सवाल है तो यह छात्रों की संयुक्त समन्वय समिति है। यह विश्वविद्यालय का आधिकारिक निकाय नहीं है। उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वाले सोशल मीडिया पर जामिया मिल्लिया के नाम का उपयोग कर रहे हैं, जिससे भ्रम पैदा हो रहा है।