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जानें क्या होता है संसदीय सचिव का पद और 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' का क्या है मामला

जिस मामले में केजरीवाल के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया जा रहा है। आइए जानें क्या होता है वह संसदीय सचिव का पद और क्यों है यह लाभ का पद।

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 04:21 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 08:57 AM (IST)
जानें क्या होता है संसदीय सचिव का पद और 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' का क्या है मामला
जानें क्या होता है संसदीय सचिव का पद और 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' का क्या है मामला

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। भ्रष्टाचार के खिलाफ देश और दिल्ली में लोगों के गुस्से की सवारी कर दिल्ली की सत्ता तक पहुंचे अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को करारा झटका लगा है। अब उनके 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित करने की शिफारिश की है। राष्ट्रपति की मुहर लगते ही इन 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाएगी।

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भ्रष्टाचार के खिलाफ एलान-ए-जंग करने वाली आम आदमी पार्टी के लाभ के पद का मामला एक तरह से भ्रष्टाचार ही है और चुनाव आयोग ने भी इसे इसी नजरिए से देखा है। दरअसल इन सभी को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और चुनाव आयोग ने इसे लाभ का पद माना है। जबकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इसे लाभ के पद की श्रेणी से हटाने की हर संभव कोशिश की है। आइए जानें क्या होता है संसदीय सचिव का पद और क्यों यह लाभ का पद होता है।

क्या होता है संसदीय सचिव

संसदीय सचिव का पद वित्तीय लाभ का पद है और वह जिस भी मंत्री के साथ जुड़ा होता है उसके कार्यों में उसकी मदद करता है। इसके बदले में उसे तनख्वाह, कार और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवायी जाती हैं। एक तरह से संसदीय सचिव जिस मंत्री के साथ जुड़ा होता है उसके लगभग सभी कार्यों में उसकी मदद करता है। मंत्री किसी भी व्यक्ति को अपना संसदीय सचिव नियुक्त कर सकता है।

क्या होता है ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले को इन चार उदाहरणों से समझ सकते हैं। पहला यह कि सरकार नियुक्ति को नियंत्रित करती है, व्यक्तियों को हटाने या उनके परफॉर्मेंस को नियंत्रित करती है तो। दूसरा अगर इस पद के साथ तनख्वाह या पारिश्रमिक जुड़ा हो तो भी यह लाभ के पद का मामला बनता है। तीसरा अगर जिस जगह यह नियुक्ति हुई है वहां सरकार की ऐसी ताकत हो जिसमें फंड रिलीज करना, जमीन का आवंटन और लाइसेंस देना शामिल हो और चौथा अगर पद ऐसा हो कि वह किसी के निर्णय को प्रभावित कर सकता है तो उसे भी लाभ का पद माना जाता है।

क्यों फंसे आप के 20 विधायक

यह बात सच है कि मंत्री अपने संसदीय सचिव के रूप में किसी भी व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है। लेकिन यह बात भी सही है कि कोई विधायक या संसद सदस्य इस पद पर नहीं हो सकता है। क्योंकि विधायक या संसद सदस्य चुने जाने की योग्यता में एक शर्त यह भी है कि वह किसी लाभ के पद पर आसीन न हो। दिल्ली सरकार में किसी मंत्री का संसदीय सचिव बनने के साथ ही आम आदमी पार्टी के इन 20 विधायकों ने अपनी इसी योग्यता को खो दिया। इसलिए उनकी सदस्यता को रद करने की सिफारिश चुनाव आयोग ने की है।

'आप' का क्या है तर्क

आम आदमी पार्टी ने अपने 20 विधायकों का बचाव करते हुए कहा कि उन पर लाभ के पद का मामला बनता ही नहीं है। पार्टी का तर्क है कि संसदीय सचिव बनाए गए इन विधायकों को इसके बदले न तो वेतन दिया गया और न ही कार या अन्य कोई सुविधा।

सदस्यता बचाने को आप की तिगड़म

जब विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के बाद जब लाभ के पद का मामला सामने आया तो दिल्ली में प्रचंड बहुमत से जीती आम आदमी पार्टी की सरकार ने जून 2015 में 'दिल्ली असेंबली रिमूअल ऑफ डिस्क्वालिफिकेश एक्ट 1997' में संशोधन कर दिया। इस संशोधन को पास तो जून 2015 में किया गया, लेकिन लागू मार्च 2015 से (यानी पिछली तारीख से) करा दिया। जिसे लेकर विपक्षी पार्टियों खासकर भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की जमकर आलोचना की। चुनाव आयोग ने भी दिल्ली सरकार के इस कानूनी संशोधन को तवज्जो नहीं दी।


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