केजरीवाल के मंत्री का दावा, 4 महीनों के दौरान बदल जाएगी दिल्ली की परिवहन व्यवस्था
क्लस्टर योजना के तहत एक हजार स्टैंडर्ड बसें आनी हैं। ये बसें आनी शुरू हो गई हैं। 229 बसें आ गई हैं। चार माह में शेष आ जाएंगी।
नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। पड़ोसी राज्यों से पराली का धुआं पहुंच रहा है। इसके अलावा शहर में होने वाला दिल्ली का अपना अलग प्रदूषण है। इसे लेकर माहौल गरमाया हुआ है। दिल्ली में इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए। दिल्ली सरकार इसके लिए तमाम प्रयास कर रही है। इसके लिए पड़ोसी राज्यों और केंद्र सरकार से भी पराली पर जलाए जाने के मामलों पर रोक लगाने की मांग कर रही है। प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं और ऑड- इवेन कितना सफल रहा है। क्या इसे फिर से शुरू किए जाने की योजना है? परिवहन व्यवस्था कब सुधरेगी? इन्हीं सब मुद्दों पर वी के शुक्ला ने दिल्ली के परिवहन और पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत से बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।
1. AAP सरकार को दिल्ली में पांच साल होने जा रहे हैं, मगर सार्वजनिक परिवहन का बेड़ा मजबूत नहीं हो सका है?
- बसों की कमी जरूर है मगर बसों की कमी दूर करने के लिए हमने जी-जान लगा दी है। बहुत कोशिश की है। अड़चन आने पर हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं। जिसका नतीजा है कि बसें आनी शुरू हो गई हैं। अगले चार माह में ही परिवहन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव दिखेगा।
2. अगले चार माह में कितनी बसें आ जाने की उम्मीद है?
-क्लस्टर योजना के तहत एक हजार स्टैंडर्ड बसें आनी हैं। ये बसें आनी शुरू हो गई हैं। 229 बसें आ गई हैं। चार माह में शेष आ जाएंगी। क्लस्टर सेवा के तहत एक हजार एसी बसें आनी हैं। इनमें से 400 बसों के लिए सभी प्रक्रिया पूरी कर संबंधित कंपनी को ऑर्डर दे दिया गया है। ये बसें नीले रंग की होंगी। इसमें से 50 बसें इसी माह आ जाएंगी। इसके अलावा चार माह के अंदर ये बसें भी आ जाएंगी। इसके साथ ही 1300 इलेक्ट्रिक बसें आनी हैं। इसमें 1000 क्लस्टर सेवा की हैं और 300 बसें डीटीसी चलाएगी। इन बसों के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। दिसंबर के अंत तक ये बसें भी आनी शुरू हो जाएंगी।
3. दिल्ली के लोग मांग कर रहे हैं कि उनका डीटीसी का डेली पास क्लस्टर बसों में नहीं चलता है। इसके लिए क्या योजना है?
-मेरे पास भी कुछ लोगों ने इस बारे में शिकायत की थी। जिस पर प्रक्रिया शुरू की गई है। यह मामला अगले सप्ताह तक कैबिनेट में आ जाएगा। हम मंजूरी देकर इस व्यवस्था को जल्द ही लागू करने जा रहे हैं।
4. ऑड-इवेन को कितना सफल मान रहे हैं?
-सड़क से आधी कारें कम हुई हैं, प्रदूषण काफी कम हुआ। दिल्ली में इस बात की भी लोग चर्चा कर रहे हैं कि इस दौरान कई जगह जाम लगना बंद हो गया। दिल्ली के लोगों ने ऑड-इवेन का भरपूर समर्थन किया है और आगे भी लागू किए जाने की मांग की है। पिछले दो बार लागू हुए ऑड-इवेन की बात करें तो वाशिंगटन विश्वविद्यालय के अध्ययन में कहा गया था कि ऑड-इवेन से 15 फीसद तक प्रदूषण कम हुआ।
5. भाजपा का आरोप है ऑड-इवेन का कोई फायदा नहीं हुआ है?
- भाजपा के पास आरोप लगाने के अलावा कोई काम नहीं है। भाजपा के लोगों को चाहिए था कि वे इस योजना का समर्थन करते। यदि दिल्ली में प्रदूषण कम होता है तो क्या इसका लाभ भाजपा के लोगों को नहीं मिलेगा। हर किसी के लिए सांस लेना जरूरी है। इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि पड़ोसी राज्यों के प्रदूषण से दिल्ली का दम घुट रहा है और भाजपा के लोग इसके लिए कुछ नहीं करते। भाजपा ने ऑड-इवेन योजना में व्यवधान डालने का भी प्रयास किया। हम जो भी कर रहे हैं दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से बचाने के लिए कर रहे हैं और करेंगे। जनता सब देख रही है किस तरह जनता को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं का भाजपा विरोध कर रही है।
6. दिल्ली में पराली जलाने का प्रदूषण लगातार आ रहा है। इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
-हमारा पहला प्रयास यही है कि पड़ोसी राज्य और केंद्र सरकार पराली को जलाने से रुकवाएं। मुख्यमंत्री जी इसके लिए लगातार दूसरे राज्यों और केंद्र सरकार से अपील कर रहे हैं। हर मंच पर इसके लिए बात कर रहे हैं। दूसरा इसके प्रभाव को रोकने के लिए हम अपने स्तर पर कार्यक्रम चला रहे हैं।
7. दिल्ली सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है?
-दिल्ली सरकार अपने स्तर पर प्रदूषण रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। दिवाली पर पटाखे न जलाने की अपील कर कनॉट प्लेस में लेजर-शो का आयोजन किया गया। निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है। धूल से प्रदूषण न हो इसके लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। ऑड-इवेन सफल रहा है। स्कूली बच्चों को मास्क बांटे गए।
8. क्या भविष्य में दो पहिया वाहनों को ऑड-इवेन में शामिल किया जाएगा?
-यह एक मुद्दा जरूर है कि प्रदूषण में दो पहिया वाहन भी अपनी भूमिका निभाते हैं। मगर जब तक सार्वजिनक परिवहन का उचित प्रबंध नहीं हो जाता दो पहिया को ऑड-इवेन में शामिल नहीं किया जाएगा।
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