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Delhi Police vs Lawyers Protest: धरने में शामिल पुलिसवालों पर FIR के लिए सुप्रीम पहुंचे वकील

Delhi Police vs Lawyers Protest LIVE कुछ वकीलों ने याचिका में SC से मांग की है कि 5 नवंबर को प्रदर्शन में शामिल पुलिस कर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जाएं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 11:36 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 03:00 PM (IST)
Delhi Police vs Lawyers Protest: धरने में शामिल पुलिसवालों पर FIR के लिए सुप्रीम पहुंचे वकील
Delhi Police vs Lawyers Protest: धरने में शामिल पुलिसवालों पर FIR के लिए सुप्रीम पहुंचे वकील

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/एएनआइ। Delhi Police vs Lawyers Protest: दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट परिसर में 2 नवंबर को दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर बृहस्पतिवार को भी गतिरोध बरकार है। लगातार चौथे दिन भी दिल्ली की सभी 6 जिला अदालतों में कामकाज ठप है। 

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वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील जीएस मणि समेत कुछ अन्य वकीलों ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एक याचिका दायर कर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि 5 नवंबर को प्रदर्शन में शामिल पुलिस कर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जाएं। इसके साथ यह भी मांग की गई है कि ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए, जो पुलिस मुख्यालय पर धरने में शामिल थे।

मीडिया को दिशा निर्देश देने के लिए याचिका दायर

उधर, दिल्ली के वकीलों में शुमार पवन कुमार पटनायक और प्रकाश शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट में बृहस्पतिवार को ही एक याचिका दायर कर 2 नवंबर को दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच संघर्ष को लेकर निष्पक्ष रिपोर्टिंग की मांग की है। इससे पहले कुछ वकीलों ने सुप्रीमो कोर्ट में याचिका दायर कर मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन की मांग की, लेकिन कोर्ट उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अपील की थी।

इस बीच दिल्ली के एक वकील विनोद यादव ने गृहमंत्रालय, दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास सूचना के अधिकार (Right to Information) के तहत याचिका डालकर पूछा है कि क्या पांच नवंबर को दिल्ली पुलिस कर्मियों और अफसरों का प्रदर्शन कानून सम्मत था या नहीं? और ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

वहीं, मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार शाम को जिला अदालतों की कॉर्डिनेशन कमेटी ने बैठक की थी, जिसमें सभी बार एसोसिएशनों के अध्यक्षों ने सभी निचली अदालतों में हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में सभी जिला अदालतों में बृहस्पतिवार को कामकाज ठप है।

Delhi Police vs Lawyers:

  • दिल्ली की सभी जिला अदालतों में काम काज ठप
  • किसी को भी कोर्ट के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है

तीस हजारी कोर्ट : यहां बुधवार की तरह बृहस्पतिवार को भी बड़ी संख्या में वकील जमा हैं और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।

साकेत कोर्ट : बृहस्पतिवार को बुधवार की तुलना में ज्यादा जोरदार विरोध हो रहा है।

पटियाला हाउस कोर्ट : यहां पर भी वकील प्रदर्शन कर रहे हैं।

रोहिणी कोर्ट : यहां पर बुधवार को दो वकीलों ने पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर आत्महत्या की कोशिश की थी।

कड़कड़डूमा : पूर्वी दिल्ली की इस कोर्ट पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है भारी संख्या में वकील जमा होकर विरोध कर रहे हैं।

द्वारका कोर्ट : यहां पर भी कामकाज ठप है। 

इससे पहले आइटीओ स्थित पुराने पुलिस मुख्यालय पर मंगलवार को दिनभर चले पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन के बाद बुधवार को वकीलों ने दिल्ली की निचली अदालतों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। उनकी हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही। सभी छह जिला अदालतों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। रोहिणी जिला अदालत परिसर में एक वकील ने आक्रोशित होकर अपने ऊपर तेल डालकर आत्मदाह की कोशिश की, जबकि एक अधिवक्ता विरोधस्वरूप छत पर चढ़ गए। साकेत और पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य गेट भी बंद रखे गए और आम लोगों को अंदर नहीं जाने दिया गया। तीस हजारी कोर्ट में भी वकीलों ने प्रदर्शन किया, हालांकि यहां आम लोगों को कोर्ट परिसर में जाने से नहीं रोका गया। वकीलों की हड़ताल बृहस्पतिवार को भी जारी है।

वकीलों का आक्रोश बुधवार को सभी जिला अदालतों में नजर आया। रोहिणी कोर्ट परिसर में वकील आशीष चौधरी ने सुबह करीब 10 बजे गेट नंबर-चार के समीप केरोसिन डालकर आत्मदाह का प्रयास किया। समय रहते वहां मौजूद अन्य वकीलों ने उन्हें बचा लिया, लेकिन गुस्साये वकीलों ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस घटना के करीब दस मिनट बाद एक अन्य वकील रोहित ने रोहिणी कोर्ट परिसर में चैंबरों के सबसे ऊपरी तल पर चढ़ गए, लेकिन दूसरे वकीलों ने उन्हें समझा-बुझाकर नीचे उतार लिया। रोहिणी कोर्ट के वकील संजीव कुमार ओझा ने कहा कि वकीलों के खिलाफ प्रयोग हो रहे अपशब्दों के कारण उनका मन आक्रोशित है।

सभी बार एसोसिएशन की कोआर्डिनेशन कमेटी के महासचिव धीर सिंह ने कहा कि अगर अदालतों में लोगों को नहीं जाने दिया जा रहा है, तो ऐसा कोर्ट परिसर में पुलिस की मौजूदगी न होने की स्थिति में सुरक्षा कारणों के चलते किया गया है ताकि कोई शरारती तत्व अप्रिय घटना को अंजाम न दे सके। वहीं, एक अन्य वकील ने कहा कि जब तक गोली चलाने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

जिला न्यायाधीश ने जारी किया नोटिस

तीस हजारी अदालत के जिला न्यायाधीश एवं सभी निचली अदालतों के प्रशासनिक मुखिया गिरिश कठपालिया ने सभी के लिए नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी किसी भी तरह की विषयवस्तु या वीडियो सोशल मीडिया में शेयर नहीं करेगा। अगर किसी के पास कोई वीडियो है तो अपने जिला न्यायाधीश को दें। सभी अदालतों में जो भी अधिकारी तैनात हैं, उन्हें यह हिदायत दी गई है।

सुनवाई और पेशी पर आने वाले लोगों को हुई परेशानी

वकीलों की हड़ताल से मामलों की सुनवाई और पेशी पर आने वाले लोगों को काफी परेशानी हुई। लोगों ने गेट खुलने का घंटों इंतजार किया, लेकिन आखिर में मायूस होकर घर लौटना पड़ा। हालांकि उन्हें अगली तारीख मिल गई है। पटियाला हाउस और साकेत कोर्ट परिसर के गेट बंद होने से वहां लोग अंदर नहीं जा सके। द्वारका और रोहिणी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में लोगों को अगली तारीख दी गई। इनमें से अधिकांश ऐसे लोग थे जो दिल्ली के बाहर के थे। उन्हें दिल्ली में वकीलों की हड़ताल के बारे में पता नहीं था।

कड़कड़डूमा कोर्ट में न्यायाधीशों ने कोर्ट में पहुंचकर काम किया, लेकिन कोई भी वकील कोर्ट रूम में नहीं गया। बहुत ही कम संख्या में वे लोग पहुंचे, जिनके केस कोर्ट में चल रहे हैं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई किए बिना ही उन्हें केस की अगली तारीख दे दी।


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