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हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला की रिहाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 12:39 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 12:39 PM (IST)
हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला की रिहाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला की रिहाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। शिक्षक भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। ओपी चौटाला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उम्र और दिव्यांगता के आधार पर जेल से रिहाई की मांग की थी।

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अधिवक्ता अमित साहनी के माध्यम से दायर याचिका में ओपी चौटाला ने केंद्र सरकार के 18 जुलाई 2018 की अधिसूचना के हवाले से दलील दी थी। अधिसूचना के तहत 60 साल से ज्यादा उम्र पार कर चुके पुरुष, 70 फीसदी वाले दिव्यांग व बच्चे अगर अपनी आधी सजा काट चुके हैं तो राज्य सरकार उसकी रिहाई पर विचार कर सकती है। याचिका में चौटाला ने कहा कि उनकी उम्र 83 साल की हो गई है और भ्रष्टाचार के मामले में वे सात साल की सजा काट चुके हैं।

याचिका में चौटाला ने कहा था कि वह अप्रैल 2013 में 60 फीसदी दिव्यांग हो चुके थे और जून 2013 में पेसमेकर लगाए जाने के बाद से वह 70 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग हो चुके हैं। इस तरह से वे केंद्र सरकार के जल्दी रिहाई की सभी शर्तों को पूरा कर रहे हैं। इसे देखते हुये कोर्ट सरकार को निर्देश दे कि वह उन्हें अब रिहा कर दे। इसका विरोध करते हुए दिल्ली सरकार ने सुनवाई में कहा था कि क्योंकि यह भ्रष्टाचार का मामला है और भारत सरकार की जिस अधिसूचना के तहत चौटाला राहत की मांग कर रहे हैं वह इस पर लागू नहीं होता। चौटाला के अधिवक्ता अमित साहनी ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को अधिसूचना का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी सात साल की सजा पूरी हो चुकी है।

ऐसे में समयपूर्व रिहाई करने की मांग को दिल्ली सरकार द्वारा खारिज करना न्यायसंगत नहीं है। वर्ष 2000 के 3206 शिक्षक भर्ती मामले में विशेष सीबीआइ अदालत ने 2013 में ओम प्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला समेत 53 लोगों के खिलाफ सजा सुनाई थी। इसमें तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा के निदेशक आइएएस अधिकारी संजीव कुमार भी शामिल थे।

क्या है पूरा मामला

जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने किया था। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जांच की मांग की थी। कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच 2003 में शुरू की। जांच में नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली सामने आयी। इसके बाद सीबीआइ ने जनवरी 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला, सीएम के तत्कालीन विशेष कार्य अधिकारी विद्याधर, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बड़शामी समेत 62 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सबसे बड़ी बात यह रही कि घोटाले को उजागर करने वाले संजीव कुमार के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। सीबीआइ के अनुसार, संजीव भी इस घोटाले में भागीदार रहे। अन्य लोगों से विवाद होने पर ही उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई।

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