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फारूक, उमर और महबूबा के खिलाफ याचिका सुनने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्कार किया

न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सही जगह पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 07:45 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 07:30 AM (IST)
फारूक, उमर और महबूबा के खिलाफ याचिका सुनने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्कार किया
फारूक, उमर और महबूबा के खिलाफ याचिका सुनने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्कार किया

नई दिल्ली, जेएनएन। नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) अध्यक्ष व सांसद फारूक अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती के खिलाफ दायर याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने सुनने से इन्कार कर दिया। जम्मू-कश्मीर के इन नेताओं को देश विरोधी बयानबाजी करने और ट्वीट करने के आरोप में लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेने से रोकने के लिए यह याचिका दायर की गई थी।

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शुक्रवार को न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सही जगह पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया। इससे पहले याचिका पर सुनवाई करने से न्यायमूर्ति एजे भंभानी ने खुद को अलग कर लिया था। अधिवक्ता संजीव कुमार की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि इन नेताओं ने हाल ही में कई ट्वीट करने के साथ बयान भी दिए हैं, जोकि देशविरोधी होने के साथ ही बेहद अपमानजनक हैं।

इसलिए एनसी एवं पीडीपी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। यह नेता अपनी पार्टी के शीर्ष नेता हैं और पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। फारूक अब्दुल्ला व उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में वजीर-ए-आजम एवं सदर-ए-रियासत की मांग की है, जोकि अस्वीकार्य है। वहीं, महबूबा मुफ्ती ने भी धारा-370 हटाने पर कश्मीर का भारत से रिश्ता तोड़ने की बात कही है।


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