Move to Jagran APP

वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर केंद्र से भिड़ी केजरीवाल सरकार, दिया कानून का हवाला

केंद्र सरकार का तर्क है कि अगर ऐसा किया गया तो लोग इसका गलत इस्तेमाल करेंगे।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 08:08 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jan 2018 09:13 PM (IST)
वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर केंद्र से भिड़ी केजरीवाल सरकार, दिया कानून का हवाला
वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर केंद्र से भिड़ी केजरीवाल सरकार, दिया कानून का हवाला

नई दिल्ली (जेएनएन)। वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका पर दिल्ली सरकार की वकील नंदिता राव ने बृहस्पतिवार को पीठ के सामने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। यह धारा पति द्वारा किए ऐसे बुरे व्यवहार के खिलाफ है, जिससे महिला को शारीरिक व मानिसक हानि हुई हो।

loksabha election banner

वकील ने कहा कि पर्सनल लॉ व घरेलू हिंसा अधिनियम वैवाहिक दुष्कर्म को क्रूरता मानते हुए तलाक का आधार मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट अब इसमें कोई नई सजा को जोड़ नहीं सकती, क्योंकि यह विधायिका का विशेषाधिकार है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन व निजी स्वतंत्रता के अधिकार) के तहत महिला अपने पति को शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार कर सकती है।

वहीं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने इससे पहले वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की क्षेणी में रखने का विरोध करते हुए कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो लोग इसका गलत इस्तेमाल करेंगे।

हाई कोर्ट में आरटीआइ फाउंडेशन, ऑल इंडिया ड्रेमोकेटिक वूमेन्स एसोसिएशन समेत अन्य द्वारा दायर याचिकाओं में मांग की गई है कि आइपीसी के उस प्रावधान को खत्म किया जाए, जिसमें 15 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा जबरन संबंध दुष्कर्म के दायरे में नहीं होगा।

कैसे शुरू हुई मांग

दिसंबर 2013 में निर्भया कांड के बाद जस्टिस जेएस वर्मा कमिटी ने वैवाहिक दुष्कर्म को आपराधिक बनाने की सिफारिश की थी। इसमें कहा गया था कि रेप के दौरान शादी या अन्‍य रिश्‍ते आरोपी के बचाव का जरिया ना बने इसके लिए कानून होना चाहिए।


वैवाहिक दुष्कर्म पर केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्रीय महिला और बाल कल्‍याण विकास मंत्री मेनका गांधी ने वैवाहिक दुष्कर्म पर पिछले साल कहा था कि यह विदेशों में तो मान्‍य है लेकिन भारतीय संदर्भ में इसे लागू नहीं किया जा सकता। इसके कई कारण है जैसे अशिक्षा, गरीबी आदि। यही बात केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री हरीभाई परथीभाई चौधरी ने अप्रैल 2015 में राज्‍य सभा में कही थी।

विदेशों में वैवाहिक दुष्कर्म पर क्या है कानून

कई देशों ने अलग-अलग समय पर वैवाहिक दुष्कर्म पर को अपराध का दर्जा दिया है। तुर्की ने 2005, मलेशिया ने 2007 और बोलीविया ने 2013 में इसे अपराध माना है, वहीं अमेरिका में इसे 1970 में ही अपराध का दर्जा दे दिया गया था। वहीं चीन, अफगानिस्‍तान, पाकिस्‍तान और सऊदी अरब में यह अपराध नहीं है।

बता दें कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर वैवाहिक दुष्कर्म को गंभीर समस्‍या माना है। कोर्ट ने कहा कि यह समाज का अंग बन गया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसे अपराध नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने तो दो साल पहले 2015 में भी इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने उस समय कहा था कि एक आदमी के लिए कानून में बदलाव नहीं किया जा सकता.

यह है महिला संगठनों की मांग

महिला संगठन पुरजोर तरीके से वैवाहिक दुष्कर्म के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए हैं। इन संगठनों का कहना है कि शादी की आड़ में महिलाओं के साथ जबरदस्‍ती नहीं की जा सकती। महिला के नहीं कहने का मतलब न ही होना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.