किसी का दिल दुखाया हो तो क्षमा करना, जानिए केजरीवाल ने ऐसा क्यों कहा
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि मैं उन सभी से क्षमा मांगता हूं जिनका मैंने मन कर्म व वचन से कभी किसी का दिल दिखाया हो।
नई दिल्ली, जेएनएन। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं उन सभी से क्षमा मांगता हूं, जिनका मैंने मन, कर्म व वचन से दिल दुखाया हो। केजरीवाल ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि मुझे सभी लोग दिल से क्षमा कर देंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में आयोजित राष्ट्रीय क्षमावाणी पर्व में बोल रहे थे। इसका आयोजन विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल की ओर से किया गया था। कार्यक्रम में जैन मुनि महाप्रज्ञ सागर महाराज व आचार्य लोकेश मुनि भी मौजूद थे।
इस मौके पर भारी तादाद जैन धर्मावलंबी उपस्थित थे। लोगों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि तीन साल पहले मैंने अपने घर पर क्षमा पर्व मनाया था, तब जगह कम पड़ गई थी। उसके बाद से यह आयोजन दिल्ली विधानसभा में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आप सभी लोग अपने अपने तरीके से धर्म का काम करते हैं। आप लोगों ने मुझे अपना प्रतिनिधि चुना है। आप लोगों की तरह मैं भी धर्म का काम कर रहा हूं। आप लोग व्यापार करते हैं। उसमें कुछ पैसा धर्म के लिए भी खर्च करते हैं। आप की तरह ही हम आप के पैसे से धर्म का काम कर रहे हैं। हम सरकार धर्म के नाते चला रहे हैं।
केजरीवाल ने किया ये वादा
केजरीवाल ने कहा कि आप के टैक्स के पैसे से हम ने मंदी के इस दौर में गरीब लोगों के लिए बिजली और पानी मुफ्त और सस्ते कर दिए हैं। इसके अलावा गरीबों को मुफ्त में अच्छी शिक्षा दी जा रही है। आप के टैक्स के पैसे से ही मैं मोहल्ला क्लीनिक चला रहा हूं कि गरीब लोगों का इलाज हो सके। इसका पुण्य आप लोगों को ही मिल रहा है।
इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि क्षमा मांगने का काम केवल जैन समाज के लोग ही क्यों करें। इसे सभी धर्म के लोगों को करना चाहिए। कार्यक्रम में नरेन भीखू राम जैन व सुभाष ओसवाल आदि मौजूद थे।
महाप्रज्ञ सागर महाराज ने रखी मांग
जैन मुनि महाप्रज्ञ सागर महाराज ने मांग रखी कि दिल्ली में किसी भी त्यौहार के आयोजन पर बूचड़खाने बंद होने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म का त्योहार हो उस दिन दिल्ली में किसी जानवर की बलि नहीं ली जाए। इसके अलावा दिल्ली में एक गांव ऐसा जरूर बनाएं जो पूर्णरूप से शाकाहारी हो। स्कूलों के आसपास मांस व मदिरा की दुकानें न हों।