JNU sedition case: चार्जशीट दाखिल की मंजूरी लेने में दिल्ली पुलिस की भूमिका अब खत्म: कोर्ट
जेएनयू देशद्रोह मामले में शनिवार को पटियाला हाउस के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई हुई।
नई दिल्ली, जेएनएन। जेएनयू देशद्रोह मामले में शनिवार को पटियाला हाउस के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि आरोपितों पर केस चलाने से संबंधित मंजूरी लेने में अब दिल्ली पुलिस की भूमिका खत्म हो गई और अब इस बारे में दिल्ली सरकार से पूछा जाएगा।
वहीं अदालत में पेश हुए स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने कहा कि मंजूरी लेने के लिए पुलिस की तरफ से दिल्ली सरकार से गुजारिश की जा चुकी है। यह प्रशासनिक प्रक्रिया है और इसके बिना भी आरोप पत्र दायर किया जा सकता है।
बता दें कि शुक्रवार को डीसीपी के पेश न होने पर अदालत ने लताड़ लगाई थी। गत 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने करीब 1200 पन्ने का आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद व इतिहास विषय के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्या को मुख्य आरोपित बनाया था।
वहीं, सात अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बसरत अली व खालिद बशीर भट शामिल हैं। इसके अलावा आरोप पत्र के कॉलम नंबर 12 में संदिग्धों में रामा नागा, आशुतोष, शहला राशिद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को रखा गया है।
बता दें कि आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद पुलिस ने अदालत को बताया था कि इस मामले में मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी लेनी होगी। इधर दिल्ली सरकार ने कहा था कि कानून विभाग इस मामले का अध्ययन कर रहा है। कानून विभाग की राय के मुताबिक ही दिल्ली सरकार इस मामले में मुकदमा चलाए जाने को लेकर निर्णय लेगी। जेएनयू देशद्रोह मामले में अदालत ने कहा कि अब आरोपितों पर मुकदमा चलाए जाने को लेकर दिल्ली सरकार से पूछा जाएगा
... इसलिए फंसा पेंच
स्पेशल सेल ने दाखिल की गई चार्जशीट में जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा-124ए लगाई है। ऐसे में कोर्ट इस धारा में सीआरपीसी की धारा-196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिले। अगर दिल्ली सरकार ने समय से अनुमति नहीं दी तो कोर्ट देशद्रोह की धारा-124ए पर संज्ञान नहीं लेगा और ये धारा स्वत: ही खत्म हो जाएगी।
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