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उन्नाव दुष्कर्म मामलाः MLA कुलदीप सिंह सेंगर पर 16 दिसंबर को कोर्ट सुना सकता है फैसला

Unnao case उन्नाव दुष्कर्म मामले में दिल्ली की अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट 16 दिसंबर से पहले अपना फैसला सुना सकता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 04:43 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 07:03 PM (IST)
उन्नाव दुष्कर्म मामलाः MLA कुलदीप सिंह सेंगर पर 16 दिसंबर को कोर्ट सुना सकता है फैसला
उन्नाव दुष्कर्म मामलाः MLA कुलदीप सिंह सेंगर पर 16 दिसंबर को कोर्ट सुना सकता है फैसला

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। उन्नाव कांड से जुड़े दुष्कर्म के मामले में तीस हजारी अदालत ने 16 दिसंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है। अगर दोनों पक्षों में से किसी की भी तरफ से किसी बिंदु पर नए सिरे से बहस की मांग नहीं की गई तो सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा 16 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे। दुष्कर्म के इस मामले में भाजपा से निष्कासित उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर और महिला शशि सिंह आरोपित हैं।

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तीस हजारी अदालत में गत पांच अगस्त को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी और 9 अगस्त को दोनों आरोपितों पर आरोप तय किए गए थे। कुलदीप सिंह सेंगर पर पॉक्सो अधिनियम समेत अन्य धाराओं में आरोप तय किए गए थे। वहीं, सह आरोपित उसकी सहयोगी शशि सिंह पर षड्यंत्र रचने व अपहरण के लिए आरोप तय किए गए थे।

इन मामलों में तय हुए थे आरोप

अदालत ने इस मामले में बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) की धारा 3 व 4 (नाबालिग से दुष्कर्म) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण एवं महिला पर विवाह के लिए दबाव डालना), 376 (दुष्कर्म) की प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।

अदालत ने आरोप तय करने के दौरान आरोपपत्र के आधार पर कहा था कि 4 जून 2017 को नौकरी दिलाने के नाम पर शशि सिंह के साथ मिलकर कुलदीप सेंगर ने साजिश रचने और परिजनों की सहमति के बगैर 16-17 साल की किशोरी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अपराध किया। इसके अलावा, किशोरी से दुष्कर्म करने और उसके परिजनों को नुकसान पहुंचाने की धमकी देने का भी आरोप तय किया गया था।

यह है उन्नाव कांड

आरोप है कि 4 जून 2017 को विधायक सेंगर ने नौकरी देने का वादा करके अपने आवास पर पीड़िता से दुष्कर्म किया था। इसके बाद पीड़िता से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात भी हुई थी, जिसमें तीन नामजद समेत छह आरोपित हैं। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था, जब पीड़िता और उसकी मां ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की थी।

पीड़िता के पिता के खिलाफ 3 अप्रैल 2018 को शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस हिरासत में अत्यधिक पिटाई के कारण उनकी मौत हो गई थी। 28 जुलाई को चाचा से मिलकर वापस लौटने के दौरान रायबरेली में पीड़िता की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। घटना के समय कार में पीड़िता की चाची, मौसी व वकील भी थे। इस घटना में उसकी चाची व मौसी की मौत हो गई थी, जबकि पीड़िता व उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तीस हजारी कोर्ट में चल रहा मामला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लखनऊ से दिल्ली लाकर घायलों को एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों तक इलाज चला था। सुप्रीम कोर्ट ने ही उन्नाव कांड से जुड़े सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी अदालत में स्थानांतरित किया था। तीस हजारी अदालत में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, पीड़िता के पिता पर झूठा केस दर्ज करने व उनकी हत्या के मामले की सुनवाई चल रही है। इसके अलावा, पीड़िता की कार को टक्कर मारने वाले केस का आरोप पत्र सीबीआइ दाखिल कर चुकी है, जिसपर अदालत संज्ञान लेकर जल्द ही सुनवाई शुरू करने वाली है। फिलहाल पीड़िता अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रह रही है, क्योंकि परिवार ने उन्नाव लौटने से इनकार कर दिया था।

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