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AAP-कांग्रेस के इनकार व इकरार में फंसी भाजपा, जानिए- कैसे नामांकन में बचे सिर्फ 24 घंटे !

AAP-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों के देखते हुए अपन दांव खेलने वाली भारतीय जनता पार्टी भी अपने प्रत्याशियों को लेकर कोई निर्णय नहीं कर सकी है और समय घटता जा रहा है।

By Edited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 07:02 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 07:39 AM (IST)
AAP-कांग्रेस के इनकार व इकरार में फंसी भाजपा, जानिए- कैसे नामांकन में बचे सिर्फ 24 घंटे !
AAP-कांग्रेस के इनकार व इकरार में फंसी भाजपा, जानिए- कैसे नामांकन में बचे सिर्फ 24 घंटे !

नई दिल्ली (संतोष कुमार सिंह)। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव-2019 के तहत दिल्ली की सातों सीटों पर नामांकन में महज तीन दिन का समय बचा है, लेकिन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) व कांग्रेस (Congress) के बीच चुनावी गठबंधन को लेकर दिल्ली की सियासत में असमंजस की स्थित बनी हुई है। दोनों पार्टियों के नेता गठजोड़ को लेकर कभी इनकार करते हैं तो कभी इकरार। लगभग दस महीने से इनके बीच गठबंधन का खेल चल रहा है, लेकिन इसका परिणाम अबतक नहीं निकल सका है। इससे कार्यकर्ता भी ऊहापोह की स्थित में हैं। AAP-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों के देखते हुए अपन दांव खेलने वाली भाजपा भी अपने प्रत्याशियों को लेकर कोई निर्णय नहीं कर सकी है।

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भाजपा अपनी विरोधी पार्टियों की रणनीति के अनुसार अगला कदम रखना चाहती है। यदि गठबंधन नहीं होता है तो पार्टी अपने लगभग सभी मौजूदा सांसदों के साथ चुनाव मैदान में उतर सकती है। गठबंधन होने या कांग्रेस की ओर से किसी सेलेब्रिटी को मैदान में उतारने पर भाजपा भी अपनी रणनीति बदल सकती है।

पिछले वर्ष मई में कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के अन्य नेताओं के पहुंचने के बाद से ही AAP व कांग्रेस के बीच गठबंधन के कयास लगने लगे थे। इसको लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं ने कभी नरम रुख अख्तियार किया तो कभी एक-दूसरे के खिलाफ तीखे हमले भी किए। यह सिलसिला अभी तक चल रहा है। इसका असर भाजपा की सियासत पर भी पड़ रहा है।

यही कारण है कि लगभग एक माह पहले कवायद शुरू करने के बावजूदभाजपा अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर सकी है। इससे दावेदारों व कार्यकर्ताओं की बेचैनी भी बढ़ रही है। उन्हें उम्मीदवारों के नाम घोषित होने में हो रही देरी का असर चुनाव प्रचार पर पड़ने का डर सता रहा है।

पार्टी के नेता यह कहते हैं कि प्रत्याशियों की घोषणा में देरी से चुनाव प्रचार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि कार्यकर्ता पिछले कई महीने से इस काम में लगे हुए हैं और बूथ स्तर पर जनसंपर्क अभियान चल रहा है। प्रत्याशियों की घोषणा में हो रही देरी पर उनका कहना है कि चुनावी सियासत में विरोधी पार्टियों की रणनीति को भी ध्यान में रखना जरूरी है। सभी सांसद व वरिष्ठ नेता अपने क्षेत्र में मतदाताओं तक नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पार्टी जल्द ही अपने उम्मीदवारों की भी घोषणा कर देगी। बताया जा रहा है कि यदि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हुआ तो मौजूदा सांसदों को फिर से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।

दूसरी ओर गठबंधन होने की स्थिति में कई सीटों पर फेरबदल संभव है। गठबंधन नहीं होने की स्थिति में पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवारों की सियासी हैसियत का भी आकलन करेगी। यह चर्चा है कि कांग्रेस ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार को चुनाव मैदान में उतारेगी। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा उनकी राह रोकने के लिए किसी सेलेब्रिटी को उनके सामने खड़ा कर सकती है। इसी रणनीति के तहत पार्टी अबतक अपने प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दे सकी है। पार्टी के नेता यह भी कहते हैं कि जिस तरह से दोनों पार्टियां देर कर रही हैं, उसे देखते हुए भाजपा नेतृत्व शनिवार या रविवार को अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देगा।

प्रवीण शंकर कपूर (दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता) की मानें तो कांग्रेस से गठबंधन के लिए आम आदमी पार्टी किसी भी स्तर तक जा सकती है। अब लोगों को उस दिन का इंतजार है जब अर¨वद केजरीवाल लोकसभा चुानव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर कांग्रेस को समर्थन एवं अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने की घोषणा कर दें।

कहने को दिल्ली में नामांकन की अंतिम तिथि 23 अप्रैल और तीन दिन शेष हैं, लेकिन तकनीकी रूप से तीन दिन में से ऑफिस आवर में ही नामांकन होना है। प्रत्याशियों के पास शनिवार को शामिल करते हुए सिर्फ 24 घंटे ही शेष बचे हैं।


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