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भागवत गीता को पाठ्यक्रम शामिल कर बच्चों को पढ़ाया जाए, भाजपा सांसद ने की मांग

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि गीता पलायन नहीं बल्कि कर्म करते हुए ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताती है। वह दूसरों की भलाई में जीवन लगाने की प्रेरणा देती है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 11:14 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 11:14 AM (IST)
भागवत गीता को पाठ्यक्रम शामिल कर बच्चों को पढ़ाया जाए, भाजपा सांसद ने की मांग
भागवत गीता को पाठ्यक्रम शामिल कर बच्चों को पढ़ाया जाए, भाजपा सांसद ने की मांग

नई दिल्ली, जेएनएन। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता और नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि गीता वैराग्य नहीं सिखाती है बल्कि कर्म के साथ कैसे जीना है उसका आधार बताती है। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वह खुद परेशान होती हैं तो गीता का कोई श्लोक पढ़ लेती हैं। इससे ऊर्जा मिलती है और वह अपने आपको तनाव से मुक्त पाती हैं।

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मीनाक्षी लेखी ने कहा कि गीता पलायन नहीं, बल्कि कर्म करते हुए ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताती है। वह दूसरों की भलाई में जीवन लगाने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

युवाओं को गीता से जोड़ा जाना चाहिए- मीनाक्षी

मीनाक्षी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित मालवीय स्मृति सदन में गीता और समग्र विकास विषय पर गोष्ठी को संबोधित कर रही थीं। गोष्ठी का आयोजन महामना मालवीय मिशन ने किया था। लेखी ने कहा कि बच्चों और युवाओं को गीता से जोड़ा जाना चाहिए। उन्हें गीता सहजता से उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि उनका व्यक्तित्व निर्माण बेहतर तरीके से हो सके। वह गीता पढ़ती थीं, जिसका लाभ उन्हें आज खुद के जीवन में समझ आता है।

गीता के कारण ही विपरीत विचारधारा के लोगों को अपना मित्र बनाया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अवध प्रांत के संघ चालक प्रभुनारायण ने कहा कि गीता के कारण ही वह विपरीत विचारधारा के लोगों को अपना मित्र बना पाए। गीता को केवल समझने की ही नहीं, बल्कि जीवन में उतारने की जरूरत है। दुनिया की मानव सभ्यताएं गंभीर संक्रमण में हैं, जिसे गीता ही दूर कर सकती है।

सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक डॉ. परेश सक्सेना ने कहा कि कुछ लोग दुष्प्रचार करते हैं कि गीता महज दर्शन है, जबकि इसका वैज्ञानिक आधार है। इसमें जीवन और समाज के हर पहलुओं को वैज्ञानिक ढंग से स्पर्श किया गया है। विदेशी मत बिना लाभ के कर्म से जुड़ाव न होने की बात कहता है, जबकि गीता हमें बिना किसी लाभ के ही कर्म करने को कहती है। सांसारिक लाभ प्राप्त कर लेना ही विकास की परिभाषा नहीं, गीता हमें आंतरिक विकास की ओर ले जाती है। इसके साथ ही इससे समाज में संस्कारों को भी मजबूती मिलती है।

महामना मालवीय मिशन के महासचिव हरिशंकर सिंह ने कहा कि मदनमोहन मालवीय ने गीता के संदेशों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) जैसे विश्वविख्यात शैक्षणिक संस्थान की स्थापना की। गोष्ठी में बीएचयू से पढ़े कई छात्र भी मौजूद रहे।

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