94वें जन्मदिन पर अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहा देश, पीएम ने भी दी श्रद्धांजलि
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विजय घाट पर बनी समाधि को सदैव अटल नाम दिया गया है। समाधि पर लोग उनकी प्रमुख रचनाओं को भी देख सकेंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विजय घाट पर बनी समाधि को 'सदैव अटल' नाम दिया गया है। समाधि पर लोग उनकी प्रमुख रचनाओं को भी देख सकेंगे। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के 94वें जन्मदिन पर समूचा देश उन्हें याद कर रहा है।
मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि 'सदैव अटल' पर जाकर पुष्प अर्पित किए। पीएम मोदी के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य अमित शाह ने भी अटल की समाधि पर श्रद्धांजलि दी।
अटल को याद करने वालों में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी शामिल रहे, जिन्होंने राष्ट्रीय स्मृति स्थल पहुंचकर अटल बिहारी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बता दें कि मनमोहन सिंह की अगवानी के लिए खुद अमित शाह पहुंचे और फिर उन्हें अटल की समाधि तक लेकर आए।
'सदैव अटल' के नाम से जानी जाएगी अटल की समाधि
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि विजय घाट पर बनाई गई है।
- समाधि को कमल के फूल के आकार में बनाया गया है।
- समाधि स्थल का डिजाइन कुछ अलग है।
- इसके चारों ओर तीन मीटर की नौ दीवारें बनाई गई हैं। जिन पर लगाए ग्रेनाइट पर सुनहरे अक्षरों में अटल जी की प्रमुख कविताओं की पंक्तियों को लिखा गया है।
- अटल की समाधि में 135 क्विंटल ग्रेनाइट लगा है। यह प्रयोग पहली बार किया गया है कि समाधि में ईटों का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया गया है। आंध्र प्रदेश से लाया गया उच्च गुणवत्ता वाला ग्रेनाइट।
- काले रंग के ग्रेनाइट से बनी समाधि के चारों ओर दूधिया रंग की इटैलियन टाइलें लगाई गई हैं जो गर्मी के समय न तो गर्म होंगी और ठंड के समय ठंडी भी नहीं लगेंगी।
- समाधि स्थल पर रोशनी के लिए सुंदर दिखने वाली लाइटें लगाई गई हैं।
- समाधि बनाने के लिए पर्यावरण का खास ध्यान रखा गया है। एक भी पेड़ नहीं काटा गया है। जिस वीआइपी रास्ते में पेड़ आ रहे थे तो पेड़ बचाने के लिए सड़क को मोड़ दिया गया है।
- समाधि स्थल के लिए डेढ़ एकड़ भूमि का उपयोग किया गया है।
- अटल जी का निधन गत 16 अगस्त को हो गया था। एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। राष्ट्रीय स्मृति में उनका अंतिम संस्कार 17 अगस्त को किया गया था।
- अटलजी की समाधि के पास पहले से ही पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और उनकी पत्नी ललिता शास्त्री की समाधि है।
- दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायणन, प्रधानमंत्री आई.के गुजराल, पी वी नरसिंहा राव व चंद्रशेखर की समाधि हैं।
समाधि के चारों ओर कविताओं की पंक्तियां लिखी हैं
- 'झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं। गीत नया गाता हूं।
- एक हाथ में सृजन, दूसरे में हम प्रलय लिए चलते हैं। सभी कीर्ति-ज्वाला में जलते हैं। हम अंधियारे में जलते हैं।
- आंखों में वैभव के सपने, पग में तूफानों की गति हो राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकना, आए जिस जिस की हिम्मत हो।
- जन्म दिवस पर हम इठलाते, क्यों न मरण त्योहार मनाते, अंतिम यात्रा के अवसर पर आंसू का अपशकुन होता है।
- बाधाएं आती हैं आएं, घिरे प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते हंसते, आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा।
- हमें चाहिए शांति, जिंदगी हमको प्यारी, हमें चाहिए शांति, सृजन की है तैयारी। हमने छेड़ी जंग भूख से, बीमारी से। आगे आकर हाथ बटाए दुनिया सारी। हरी भरी को खूनी रंग न लेने देंगे। जंग न होने देंगे।
समाधि पर अटल जी के विचार भी अंकित हैं
मेरे प्रभु। मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना। गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई भी मत देना।