Move to Jagran APP

नहीं होगा पवार की पार्टी का कांग्रेस में विलय, एनसीपी की निगाहें विधानसभा चुनाव पर टिकी

राहुल ने राक्रांपा के कांग्रेस में विलय का प्रस्ताव दिया है। इसका एक बड़ा कारण नेता विरोधी दल का पद दोबारा हाथ से निकलना भी माना जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 01:30 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 01:30 PM (IST)
नहीं होगा पवार की पार्टी का कांग्रेस में विलय, एनसीपी की निगाहें विधानसभा चुनाव पर टिकी
नहीं होगा पवार की पार्टी का कांग्रेस में विलय, एनसीपी की निगाहें विधानसभा चुनाव पर टिकी

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राक्रांपा) ने साफ कर दिया है कि उसका कांग्रेस पार्टी में विलय नहीं होगा। राक्रांपा अपना पृथक अस्तित्व बरकरार रखते हुए केंद्र और राज्य में जरूरत के मुताबिक कांग्रेस से तालमेल करती रहेगी।

loksabha election banner

दरअसल, लोकसभा चुनाव में दोबारा मिली पराजय के बाद दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में शरद पवार के घर जाकर मुलाकात की थी। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल ने राक्रांपा के कांग्रेस में विलय का प्रस्ताव दिया है। इसका एक बड़ा कारण नेता विरोधी दल का पद दोबारा हाथ से निकलना भी माना जा रहा है।

लोकसभा में नेता विरोधी दल का पद पाने के लिए कम से कम 55 सांसद होने चाहिए। जबकि कांग्रेस इस बार भी 52 पर ही रुक गई है। दूसरी ओर राक्रांपा को महाराष्ट्र में पिछली बार की तरह चार सीटें हासिल हुई हैं। अमरावती से निर्दलीय उम्मीदवार नवनीत राणा उनके सहयोग से जीती हैं। यदि राक्रांपा का कांग्रेस में विलय हो जाए तो कांग्रेस की संख्या 57 पर पहुंच सकती है।

अजीत पवार बोले-विलय की अफवाहों पर भरोसा नहीं करें
दोनों पार्टियों के विलय के कयासों पर शनिवार को मुंबई में राक्रांपा की बैठक के बाद विराम लग गया। बैठक में तय हुआ कि किसी भी परिस्थिति में राक्रांपा का किसी अन्य दल में विलय नहीं होगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वह विलय की किसी अफवाह पर भरोसा नहीं करें। शरद पवार ने भी कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनाव में जुटने को कहा।

1986 से अलग है आज की स्थिति
1986 में शरद पवार अपनी समाजवादी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय कर चुके हैं। यह विलय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उपस्थिति में औरंगाबाद में हुआ था। हालांकि तब दिल्ली में कांग्रेस की भारी बहुमत वाली सरकार थी और उस सरकार से शरद पवार का भी स्वार्थ सिद्ध होना था। जबकि आज कांग्रेस में विलय से राक्रांपा को कोई लाभ नहीं होना है।

विधानसभा चुनावों में राक्रांपा कर सकेगी अच्छा मोलभाव
लोकसभा में कांग्रेस को महाराष्ट्र में सिर्फ एक और राक्रांपा को पांच सीटें मिली हैं। विधानसभा चुनावों में सीटों का समझौता भी इसी ताकत के आधार पर होगा। ऐसी स्थिति में राक्रांपा अधिक सीटों पर लड़कर मुख्यमंत्री पर अपना दावा मजबूत करना चाहेगी। जबकि विलय की स्थिति में सारे निर्णय कांग्रेस कार्यसमिति और कांग्रेस अध्यक्ष के पाले में चले जाएंगे। राक्रांपा फिलहाल ऐसी बलि देने को तैयार नहीं दिखती है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.