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पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला पहुंचा कोर्ट

पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला पहुंचा कोर्ट इंदौर

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 10:47 AM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 10:47 AM (IST)
पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला पहुंचा कोर्ट
पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला पहुंचा कोर्ट

इंदौर (भोपाल) । प्रदेश सरकार ने साधु-संतों को लेकर बड़ा फैसला किया है। राज्य सरकार ने प्रदेश के 5 बड़े संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। दरअसल ये सभी संत सरकार द्वारा गठित विशेष समिति के सदस्य हैं और इसी के तहत उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।

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प्रदेश सरकार ने नर्मदा क्षेत्र और विशेष चिह्नित क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जनजागरूकता का अभियान लगातार चलाने के लिए विशेष समिति बनाई है।

इस समिति में 5 संत नर्मदानंद, हरिहरानंद, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पं. योगेंद्र महंत को शामिल किया है। इन सभी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। राज्य सरकार ने इस बारे में आदेश जारी कर दिए हैं और आदेश प्रभावशाली भी हो गया है। मध्‍यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेच में इस संबंध में एक याचिका दायर की गई है। वहीं भय्यू महाराज ने आज एक टीवी चैनल पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उन्‍हें अभी इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।

संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देकर सरकार और बढ़ा रही बोझ

पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। मामले को लेकर याचिका दायर हुई है। इसमें सरकार के कदम की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए हैं। कहा है कि प्रदेश की जनता पर पहले से 90 हजार करोड़ का कर्जा है। पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देकर सरकार जनता पर कर का बोझ और बढ़ा रही है।

यह याचिका रामबहादुर वर्मा ने एडवोकेट गौतम गुप्ता के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा है कि पहले से मंत्री परिषद गठित होने के बावजूद पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया। इससे प्रदेश की जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

सर्वे के मुताबिक राज्य के हर नागरिक पर औसतन 14 हजार रुपए कर्जा है। संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के साथ ही उन्हें भत्ते व अन्य सुविधाएं भी मिलने लगेंगी। इसका आर्थिक बोझ प्रदेश की जनता पर आएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि राज्यमंत्री का दर्जा देने के लिए किस आधार पर चयन किया गया। जिन संतों को यह दर्जा दिया गया है वे कुछ दिन पहले तक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। एडवोकेट गुप्ता ने बताया कि याचिका पर इस सप्ताह के अंत तक सुनवाई होने की संभावना है।

खजराना पहुंचे कम्प्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत

राज्यमंत्री का दर्जा पाने के बाद बुधवार को महामंडलेश्वर कम्प्यूटरबाबा और पं. योगेंद्र महंत बुधवार को खजराना गणेश मंदिर पहुंचे। यहां सभी साधु-संतों की मौजूदगी में प्रदेश के विभिन्ना चिन्हित क्षेत्रों में विशेषत: नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण व स्वस्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने की शपथ भी ली।

इसके साथ ही पं. महंत और कम्प्यूटर बाबा ने सभी समाजों के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारियों को भी इस अभियान से जुडने का आग्रह किया। इसके बाद राजबाडा पर मां अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। मल्हारगंज के व्यापारियों संगठनों द्वारा महंत कॉम्पलेक्स में उनका सम्मान किया गया। इसके पश्चात एरोड्रम रोड स्थित अखंड धाम पर सभी साधु-संतों का आशिर्वाद प्राप्त कर उन्हें भी इस अभियान से जुडने के लिए आग्रह किया।

कंप्यूटर बाबा ने गाड़ी पर चिपकाया राज्यमंत्री का पर्चा

राज्य सरकार द्वारा पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के आदेश जारी होने के बाद नर्मदा यात्रा घोटाला का ऐलान करने वाले कंप्यूटर बाबा ने तो बुधवार सुबह ही अपनी गाड़ी पर पर्चा चिपका लिया। उन्होंने अपनी गाड़ी एमपी 09 सीडब्ल्यू 1127 जिसकी नंबर प्लेट पर लाल रंग की प्लेट पर महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा लिखा है, उसके कांच पर यह पर्चा चिपकाया था। इसमें महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा (राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त) सदस्य जनजागरूकता अभियान समिति मध्यप्रदेश शासन लिखा था।

हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास

समाज का हर वर्ग विकास और जन कल्याण के काम से जुड़े इसलिए सभी को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। -शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मप्र


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