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Rajasthan Political Crisis: विधायकों का फोन टेपिंग कांड गहलोत सरकार के लिए बना मुसीबत, विधायकों ने जताई नाराजगी

Rajasthan Political Crisisकांग्रेस के ही 19 विधायकों की बगावत के चलते सरकार बचाने को लेकर जूझ रही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के सामने नई मुसीबत उत्पन्न हो गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 09:43 AM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 02:28 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: विधायकों का फोन टेपिंग कांड गहलोत सरकार के लिए बना मुसीबत, विधायकों ने जताई नाराजगी
Rajasthan Political Crisis: विधायकों का फोन टेपिंग कांड गहलोत सरकार के लिए बना मुसीबत, विधायकों ने जताई नाराजगी

जयपुर, जागरण संवाददाता। कांग्रेस के ही 19 विधायकों की बगावत के चलते सरकार बचाने को लेकर जूझ रही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के सामने नई मुसीबत उत्पन्न हो गई है। जैसलमेर के सूर्यगढ़ होटल में ठहरे गहलोत खेमे के विधायकों के फोन टेपिंग की सूची सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस की आंतरिक राजनीति तेज हो गई। इस सूची में जिन विधायकों के नाम है, उन्होंने जमकर नाराजगी जताई है।

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सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे व चारों राष्ट्रीय सचिवों की मौजूदगी में इन विधायकों ने अपना विरोध दर्ज कराया और कहा कि वे खुलकर सीएम गहलोत के साथ है, फिर उनके फोन टेप कराना गलत है। उन्होंने अपनी नाराजगी पार्टी के संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल तक भी पहुंचाई। इन विधायकों ने जैसलमेर से जयपुर जाने तक की चेतावनी दे दी।

हालांकि वेणुगोपाल व अविनाश पांडे द्वारा की गई काफी मान-मन्नोवल के बाद ये विधायक वहीं रूकने के लिए राजी हुए । राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की गई समझाने के बाद स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने मीडिया में एक बयान जारी कर कहा कि फोन टेपिंग की बात गलत है। यह अफवाह भाजपा ने फैलाई है। इस सूची में धारीवाल का भी नाम है । इनमें से एक विधायक ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सोशल मीडिया पर सूची जारी होने के बाद हमने अपने संपर्क के आला पुलिस अधिकारियों से सच्चाई पूछी तो उन्होंने सभी विधायकों पर खुफिया पुलिस द्वारा निगरानी रखे जाने की बात कही। अधिकारियों ने फोन टेपिंग की बात का खंडन भी नहीं किया है।

सूत्रों के अनुसार फोन टेपिंग का मामला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक पहुंच गया है ।फोन टेप किए जाने वालों की सूची में शामिल विधायक जैसलमेर में गहलोत खेमे के हैं । लेकिन ये वही विधायक हैं जिन पर गहलोत समर्थकों को शक है कि ये पाला बदल कर सचिन पायलट खेमे में जा सकते हैं। फोन टेपिंग की सूची में विधायक बलजीत यादव, जाहिदा और रोहित बोहरा का नाम है। ये तीनों ही पायलट के संपर्क में रहे हैं। हालांकि अब गहलोत खेमे में हैं।

पुलिस दे रही बार-बार सफाई

फोन टेपिंग को लेकर विधायकों की नाराजगी को देखते हुए पुलिस बार-बार सफाई दे रही है। पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव ने जैसलमेर के सूर्यगढ़ होटल में फोन टेपिंग की बात को नकारते हुए कहा कि यह आधारहीन बात है। उन्होंने साइबर पुलिस थाने में दर्ज मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने जयपुर पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्त को तत्काल जांच पूरी करने के लिए कहा है। उल्लेखनीय है कि फोन टेपिंग मामले में यह आरोप लगे थे कि जयपुर के मानसरोवर में बैठकर पुलिस के उच्च अधिकारी प्राइवेट टेलिफोन कंपनियों के अफसरों के साथ मिलकर विधायकों के फोन टेप कर रहे हैं।

पूरी जांच ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी

हैरानी की बात ये है कि कि जिस राजद्रोह की धारा में सीएम गहलोत अपने विरोधी सचिन पायलट सहित बागी विधायकों और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का शिकार करने चले थे। अब यही राजद्रोह की धारा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए गले की हड्डी बन गई है। यही वजह है कि उन्हें न सिर्फ राजद्रोह के तीनों केस वापस लेने पड़े, बल्कि बागी विधायकों और शेखावत का वाइस सैंपल लेने के लिए छापेमारी कर रही एसओजी को जांच से भी हटाना पड़ा। अब हालत ये हो गई कि टेपिंग और ओडियो रिकोर्डिंग के इस केस की जांच से न सिर्फ एसओजी को पीछे किया, बल्कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की जांच भी ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी हो रही है राजद्रोह का मामला होने के कारण एनआईए द्वारा जांच किए जाने की संभावना को देखते हुए गहलोत सरकार ने यूटर्न लिया और इन तीनों ही मामलों में एफआर लगा दी, यानी केस ही बंद कर दिए। 


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