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जमात-ए-इस्लामी पर बैन की चार्जशीट सार्वजनिक की जाए : महबूबा मुफ्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को जमात और जमीयत ए अहल-ए-हदीस के मौलवियों और उलमा की तत्काल रिहाई की मांग की है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 09:59 PM (IST)
जमात-ए-इस्लामी पर बैन की चार्जशीट सार्वजनिक की जाए : महबूबा मुफ्ती
जमात-ए-इस्लामी पर बैन की चार्जशीट सार्वजनिक की जाए : महबूबा मुफ्ती

 राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को जमात और जमीयत ए अहल-ए-हदीस के मौलवियों और उलमा की तत्काल रिहाई की मांग की है।

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उन्होंने कहा कि उस चार्जशीट को सार्वजनिक किया जाए, जिसके आधार पर जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाई गई है। महबूबा ने कहा कि हमने भाजपा की नाक में नकेल डाल उसे जम्मू कश्मीर में अपने हिसाब से चलाया था, लेकिन आज वह मदमस्त हाथी की तरह यहां सबकुछ कुचलने पर तुली है।

जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी के खिलाफ दक्षिण कश्मीर के खन्नाबल, अनंतनाग में पीडीपी की रोष रैली में भाग लेने के बाद महबूबा ने कहा कि दो साल तक हमारी सरकार रही, लेकिन हमने किसी पर पाबंदी नहीं लगाई। हमने एक माह की जंगबंदी की। 14 हजार एफआइआर वापस लिए। 2016 में मुझ पर भी जमात पर प्रतिबंध लगाने का दबाव बनाया गया था, लेकिन मैंने इन्कार कर दिया। यह भी एक वजह रही, जिससे भाजपा के साथ हमारी सरकार आगे नहीं चली।

 जमात-ए-इस्लामी के दफ्तरों को किया जा रहा सील, मजहब में दखलअंदाजी
महबूबा ने कहा कि आज यहां पकड़ धकड़ का माहौल है। सरहदों पर जंग का माहौल है। जमात-ए-इस्लामी के दफ्तरों को सील किया जा रहा है। जमात-ए-इस्लामी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है।

यह हमारे मजहब में दखलअंदाजी है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। जब से हमारी सरकार गई है, भाजपा यहां सबकुछ कुचल रही है। धारा 35-ए भी इसकी एक कड़ी है। जमात और जमीयत ए अहले हदीस के सभी बुजुर्ग नेताओं, मौलवियों और उलमा को जल्द रिहा किया जाए।

लोगों की सुरक्षा हमारे लिए अहम
चुनावों में भाग लेने पर उन्होंने कहा कि इस समय चुनाव नहीं लोगों की सुरक्षा हमारे लिए अहम है। चुनाव आते रहेंगे, लोग वोट डालने जाएंगे और नहीं भी जाएंगे। इस वक्त हमारा मसला है कि कैसे जम्मू कश्मीर को इस डर, पकड़-धकड़ और हिंसा के माहौल से बाहर निकाला जाए।

केंद्र सरकार ने गत सप्ताह ही जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है। केंद्र ने यह प्रतिबंध कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों में जमात की भूमिका के आधार पर लगाया है, लेकिन स्थानीय राजनीतिक, सामाजिक, मजहबी और व्यापारिक संगठन इसके खिलाफ लामबंद हो रहे हैं।


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