मायावती के 'तिलक-तराजू...' से मुकरने पर ब्राह्मण व व्यापारी संगठनों का पलटवार, कहा- भूले नहीं हम
बसपा प्रमुख मायावती द्वारा तिलक-तराजू... वाले नारे से मुकरने पर यूपी के कई ब्राह्मण और व्यापारी संगठनों ने उन्हें निशाने पर ले लिया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की राजनीति में भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाने को लेकर बयानों की आंच अभी धीमी भी नहीं पड़ी थी कि अब बसपा प्रमुख मायावती द्वारा 'तिलक-तराजू...' वाले नारे से मुकरने पर यूपी के कई ब्राह्मण और व्यापारी संगठनों ने उन्हें निशाने पर ले लिया है। एक दिन पहले इस बाबत किए गए मायावती के ट्वीट पर पलटवार करते हुए विभिन्न संगठनों ने कहा कि जिन वर्गों को सार्वजनिक मंचों से गालियां दी जाती थीं, वह इसे भूले नहीं हैं। बसपा को अपने पुराने बयानों पर ग्लानि हो रही है तो उसे उसी अंदाज में सार्वजनिक माफी भी मांगनी चाहिये।
बसपा प्रमुख मायावती ने 'तिलक-तराजू...' वाले नारे को लेकर अपनी सफाई देते हुए कहा था कि उनकी पार्टी ने कभी ऐसा नहीं कहा और न बाबरी मस्जिद के स्थान पर शौचालय बनाने जैसी बात कही। विरोधियों ने इसे जबरन बीएसपी से जोड़ा है। इस पर युवा ब्राह्मण जागृति संगठन के संयोजक रमणकांत शर्मा ने कहा कि या तो बसपा प्रमुख मायावती की याददाश्त कमजोर हो चुकी है या वह सत्ता पाने की छटपटाहट में अपने कारनामों पर झूठ की परत चढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। शर्मा ने कहा कि समाज को जातिवादी विद्वेष के दलदल में फंसा देने वाली मायावती को इसका प्रायश्चित करना होगा।
दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश व्यापारी संगठन के संयोजक विनीत अग्रवाल का कहना है कि आम सभाओं में कुछ जाति विशेष को गालियां देकर राजनीतिक शुरुआत करने वाली बसपा प्रमुख को अब अपने किए पर मलाल हो रहा है। यह हालात तब बने हैं जब उनको उनके समाज ने भी नकार दिया है। अग्रवाल ने कहा कि सब कुछ लुटा के होश में आने से बसपा को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।
परशुराम सेना के महासचिव राजू पंडित ने आरोप लगाया कि बसपा का मूल चरित्र ही अपने किए से मुकर जाना है। गालियों व तिरस्कार की राजनीति करने वाली मायावती को वास्तव में अपने कहे पर ग्लानि है तो सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। मायावती के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सिकंदराबाद के राजकुमार अग्रवाल लिखते हैं- 'कैसे सफेद झूठ बोलते हैं ये नेता लोग, क्या जनता को स्वार्थ के लिए बरगलाना ही सियासत है'।
तिलक तराजू की बात कभी नहीं कही
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधानसभा में विपक्ष को आड़े हाथ लेने पर बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने तिलक तराजू नारे को लेकर अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने कभी ऐसा नहीं कहा। न बाबरी मस्जिद के स्थान पर शौचालय बनाने जैसी बात कही। विरोधियों ने इसे जबरन बीएसपी से जोड़ा है। शनिवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि ब्राह्मण समाज के प्रति बीजेपी की जातिवादी कार्यशैली से दुखी होकर लोग अब इस पार्टी से अलग हो रहे हैं। इसलिए भाजपा अब 'तिलक-तराजू व तलवार...' की बात कर रही है। हालांकि, यह समाज काफी बुद्धिमान है और किसी के बहकावे में नहीं आएगा। जग जाहिर तौर पर तिलक, तराजू आदि की बात बीएसपी ने कभी नहीं कही और न ही बाबरी मस्जिद के स्थान पर कभी शौचालय बनाने की भी बात कही है।