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मायावती ने संगठन में किए बदलाव : दानिश फिर संसदीय दल नेता, मुनकाद की कुर्सी सलामत

मुस्लिमों की नाराजगी भांप डैमेज कंट्रोल में जुटी बसपा प्रमुख। समीक्षा बैठक में दलित-मुस्लिम गठजोड़ की मजबूती पर जोर।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 07:18 AM (IST)
मायावती ने संगठन में किए बदलाव : दानिश फिर संसदीय दल नेता, मुनकाद की कुर्सी सलामत
मायावती ने संगठन में किए बदलाव : दानिश फिर संसदीय दल नेता, मुनकाद की कुर्सी सलामत

लखनऊ, जेएनएन। उपचुनावों में करारी हार के लिए मुसलमान वोटों में भारी विभाजन को जिम्मेदार मानते हुए बहुजन समाज पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। बुधवार को समीक्षा बैठक में दलित मुस्लिम समीकरण को ताकत देने और बूथस्तरीय संगठन को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। मुस्लिमों को साधे रखने के लिए प्रदेश अध्यक्ष और संसदीय दल नेता जैसे महत्वपूर्ण पदों पर मुसलमान नेताओं को आसीन किया गया। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर मुनकाद अली को बनाए रखने के साथ संसदीय दल नेता पद पर दानिश अली को तैनात किया है।

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माल एवेन्यू स्थित कार्यालय में मायावती ने करीब दो घंटे चली बैठक में उपचुनाव में हार को बसपा कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिराने के लिए सपा-भाजपा की मिलीजुली साजिश करार दिया। उनका कहना था, गत लोकसभा चुनाव में दलित- मुस्लिम गणित कामयाब रहने से उक्त दोनों दलों ने बसपा को एक सीट भी नहीं जीतने दी। उपचुनावी विश्लेषण से स्पष्ट हुआ कि सपा- भाजपा अंदर अंदर एक होकर बसपा के खिलाफ मिलकर लड़े थे।

श्याम सिंह यादव की छुट्टी

करीब एक माह पूर्व संसदीय नेता पद पर नियुक्त किए गए जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव को हटाकर मायावती ने फिर से अमरोहा सांसद दानिश अली को संसदीय दल नेता बनाया। श्याम सिंह को हटाने की एक वजह उनका सपा के कार्यक्रम में शामिल होना व पार्टी लाइन के अलग बयानबाजी करना भी माना जा रहा है। नसीमुद्दीन की बगावत के बाद मायावती के सबसे विश्वसनीय लोगों में माने जाने वाले मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखकर मायावती ने मुस्लिमों में यह संदेश भी दिया कि समाजवादी पार्टी कभी किसी मुस्लिम नेता को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाती है।

मुस्लिमों को अहमियत देने का वादा

अनुच्छेद 370 समाप्त करने पर बसपा प्रमुख ने एक बार अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर बाबा साहब की सोच के आधार पर फैसला लिया गया था, भाजपा के कहने पर नहीं। उनका कहना था कि विरोधी पार्टियां धर्म का प्रयोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही करती रही हैैं। बसपा संविधान की मूल भावना सदैव सम्मान करती है और आगे करती रहेगी। मंदिर मुद्दे पर मायावती ने विवादित स्थल का ताला खुलवाने और ढांचा गिराने का घटनाक्रम विस्तार से बताते हुए मुस्लिम समाज को पार्टी में अहमियत देते रहने का वादा भी किया।


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