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मायावती-राजकुमार सैनी की गठजोड़ पर चलती रही बात और बसपा नेताअों को भनक तक नहीं लगी

हरियाणा में नए राजनीतिक समीकरण को लेकर चौंकानेवाला खुलासा हुआ है। मायावती व राजकुमार सैनी के बीच गठजोड़ पर वार्ता होती रही, लेकिन हरियाणा बसपा के नेताअों को इसकी भनक तक नहीं लगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 01:52 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 05:03 PM (IST)
मायावती-राजकुमार सैनी की गठजोड़ पर चलती रही बात और बसपा नेताअों को भनक तक नहीं लगी
मायावती-राजकुमार सैनी की गठजोड़ पर चलती रही बात और बसपा नेताअों को भनक तक नहीं लगी

चंडीगढ़, जेएनएन। भाजपा से अलग नई पार्टी बनाने वाले सांसद राजकुमार सैनी ने हरियाणा की राजनीति नया समीकरण बनाने का खेल बेहद सधे तरीके से खेला। दाेनों दलों में गठजोड़ को लेकर सैनी और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती के बीच बातचीत की हरियाणा बसपा के नेताओं की भनक तक नहीं लगी।

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बसपा को साथ मिलने के आप व जेजेपी के प्रयास नहीं चढ़ सके सिरे

चुनाव से पहले हरियाणा की राजनीति लगातार करवट ले रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तमाम राजनीतिक दल अपनी पार्टियों के कील-कांटे दुरुस्त करने में जुटे हैं, वहीं हर रोज नए समीकरण भी बन-बिगड़ रहे हैं। प्रदेश में आम आदमी पार्टी, जननायक जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच महागठबंधन नहीं हो पाने के कारण अब इन दलों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ रही है।

अखिलेश यादव और अर‍विंद केजरीवाल कर रहे थे माया को महागठबंधन में लाने की कोशिश

प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि आप, जेजेपी और बसपा मिलकर महागठबंधन बना सकते हैं। बताया जाता है कि इसके लिए बसपा सुप्रीमो मायावती से लगातार संपर्क साधा जा रहा था। जेजेपी नेताओं ने इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को सौंप रखी थी। जींद उपचुनाव के नतीजों की रिपोर्ट मायावती के पास पहुंचते ही पूरा गेम बदल गया।

बताया जा रहा है कि मायावती ने खुद राजकुमार सैनी से संपर्क किया, जिसके बाद दोनों दलों के बीच बात बन गई। बसपा की प्रांतीय इकाई हालांकि इस हक में नहीं थी और न ही उसे मायावती व राजकुमार सैनी के बीच बढ़ रहे संपर्क की कोई भनक तक लग पाई। बसपा हाईकमान से उन्हें अचानक निर्देश मिले तो वह राजकुमार सैनी के मंच पर दिखाई दे गए।

राजनी‍तिक क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर हरियाणा की राजनीति में बसपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठबंधन क्या गुल खिलाएगा। राज्‍य की राजनीति के जानकारों का कहना है कि दोनों दल दलित व पिछड़ों के साथ-साथ गैर जाट की लामबंदी कर नया चुनावी फार्मूला बनाना चाहते हैं। दरअसल जाटों को भला बुरा कहकर राजकुमार सैनी चर्चा में आए और पिछड़ों के वोट बैंक के अपने साथ करने की कोशिश की। ऐसे में यह गठबंधन जाटों के साथ-साथ गैर जाटों की राजनीति करने वाले दलों की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

उधर, जेजेपी के लिए आम आदमी पार्टी का साथ बेहद सुकून और राजनीतिक लाभ देने वाला साबित हो सकता है। केजरीवाल हरियाणा में माहौल बना चुके हैं। उनका वैश्य, ब्राह्मणों और गैर जाटों में खासा असर है। आप को साथ जहां जेजेपी को लाभ होगा, लेकिन बसपा का साथ नहीं मिलने से उसे बड़ा झटका सहन करना पड़ सकता है।


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