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Mann Ki Baat : पीएम नरेंद्र मोदी की अब चीन के खिलौना बाजार पर नजर, बोले- वाराणसी भी हो टॉय क्लटर

PM Modi Mann Ki Baat नरेंद्र मोदी की इच्छा है कि भारत टॉय हब बने। इसके लिए उन्होंने वाराणसी को भी बड़े टॉय क्लटर के रूप में विकसित करने की इच्छा जताई है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 05:29 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 06:46 AM (IST)
Mann Ki Baat : पीएम नरेंद्र मोदी की अब चीन के खिलौना बाजार पर नजर, बोले- वाराणसी भी हो टॉय क्लटर
Mann Ki Baat : पीएम नरेंद्र मोदी की अब चीन के खिलौना बाजार पर नजर, बोले- वाराणसी भी हो टॉय क्लटर

लखनऊ, जेएनएन। चीन के मोबाइल तथा इलेक्ट्रानिक बाजार को बड़ी चोट देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर अब चीन के खिलौना बाजार पर है। पीएम मोदी ने रविवार को 'मन की बात' में इसका साफ संकेत दिया है। आत्मनिर्भर तथा मेक इन इंडिया पर बेहद जोर देने वाले पीएम नरेंद्र मोदी की इच्छा है कि भारत टॉय हब बने। इसके लिए उन्होंने वाराणसी को भी बड़े टॉय क्लटर के रूप में विकसित करने की इच्छा जताई है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 68वें संस्करण में स्वदेशी खिलौने और कंप्यूटर गेम बनाने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में गेम्स के साथ खिलौना सेक्टर को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं। जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों। उन्होंने कहा कि खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है।

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है। असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही हमें आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है। उन्होंने कहा कि करीब 100 वर्ष पहले, राष्ट्रपिता गांधी जी ने लिखा था कि असहयोग आंदोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है। आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री अहम है। खिलौना वो हो जिसे बचपन खेले भी, खिलखिलाए भी। अब तो कंप्यूटर गेम्स का दौर है। इनमें ज्यादातर की थीम भारतीय होती है। आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री करीब सात लाख करोड़ रु. से अधिक की है। सात लाख करोड़ रु. का इतना बड़ा कारोबार लेकिन भारत में उसका हिस्सा बहुत कम है। आप सोचिए जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परंपरा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए। उन्होंने टॉय इंडस्ट्री बहुत व्यापक है।

उन्होंने कहा कि गृह उद्योग हो, लघु उद्योग हो, एमएसएमई हो इसके साथ साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं। इसे आगे बढ़ाने के लिए मिलकर मेहनत करनी होगी। भारत में खिलौनों की परंपरा को लेकर पीएम ने कहा कि हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। जैसे कि यूपी के वाराणसी के साथ कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी कई ऐसे स्थान हैं, कई नाम गिना सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि वाराणसी में लकड़ी के खिलौने बनते थे। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के एति-कोप्पका टॉय एक समय में बहुत प्रचलित थे। यह खिलौने लकड़ी से बनते थे और इन खिलौनों में आपको कहीं कोई एंगल या कोण नहीं मिलता था।


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