ममता बनर्जी ने स्वीकारा, सिंगूर में कम हुई है खेती; विपक्ष ने साधा निशाना Kolkata News
farming in Singur. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वीकार किया कि हुगली जिले के सिंगूर में खेती में कम हुई है। वहीं विपक्ष ने निशाना साधा है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को विधानसभा में स्वीकार किया कि हुगली जिले के सिंगूर में खेती में कमी आई है। वहीं, विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला है और कहा है कि सिंगूर से टाटा के बाद वहां न तो खेती योग्य जमीन बची और ना ही रोजगार का अवसर मिला और सिंगूर अब सरकार के गले का फांस बन गया है।
माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती के सवाल का जवाब देते हुए ममता ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में सिंगूर में 260 एकड़ जमीन पर खेती हुई है। सरकार किसानों को सभी प्रकार से सहायता मुहैया करा रही है फिर भी यदि खेती में कमी आई है तो इसे लेकर मैं अधिक टिप्पणी नहीं कर सकती। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दावा किया कि सिंगूर में मिट्टी परीक्षण के बाद बीज व 10 हजार रुपये प्रत्येक किसान को खेती के लिए दी गई अब मैं किसानों को जबरदस्ती खेती करने को तो बोल नहीं सकती क्योंकि यह भी देखा जा रहा है कि कई किसान अधिक दाम मिलने पर अपना जमीन भी बिक्री कर दे रहे हैं। बता दें कि बीते वित्तीय वर्ष में यहां 600 एकड़ जमीन पर खेती हुई थी।
उल्लेखनीय है कि सिंगूर में कुल 977.11 एकड़ जमीन है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से किसानों को जमीन वापस करने का फैसला आने के बाद 955.90 एकड़ जमीन किसानों को वापस किया गया है जबकि करीब 41.21 जमीन का मालिकाना हक अब तक किसी ने साबित नहीं किया है। आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में 641 एकड़ जमीन पर खेती हुई थी जबकि 2018-19 में 260 एकड़ जमीन पर ही खेती हुई है। यानि कि सिंगूर में खेती में गिरावट आई है। सरकार की ओर से खाली पड़े जमीन पर मालिकाना हक पता लगाने के लिए जिला प्रशासन व भूमि सुधार विभाग को निर्देश दिया गया है।
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
विपक्षी दलों ने सिंगूर में खेती में आई गिरावट को लेकर सरकार पर हमला बोला गया है। माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि हम पहले से ही कह रहे थे कि सिंगूर की जमीन टाटा के हटने के बाद खेती के लायक नहीं बची है अब ममता बनर्जी भी इसे स्वीकार कर रही हैं। विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक मनोज चक्रवर्ती ने कहा कि विवाद के बाद सिंगूर से टाटा के चले जाने के बाद भी बातचीत की जा सकती थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।
बेसक न्यायालय का फैसला जमीन लौटाने को लेकर आया लेकिन यदि वहां टाटा का नैनो प्लांट लगा होता तो आज राज्य से युवाओं को दूसरे प्रदेशों में नहीं जाना पड़ता। भाजपा विधायक मनोज टिग्गा ने कहा कि राज्य में टाटा के जाने के बाद से कोई भी बड़ा निवेश नहीं हुआ है। बेरोजगारी बढ़ी है जहां तक सिंगूर का सवाल है तो वहां तो ना अब खेती लायक जमीन बची है और ना ही कारखाना स्थापित हो सका ऐसे में वहां के किसान परेशान हैं।
दास्तां-ए-सिंगूर
2006 में हुगली जिले के सिंगुर में टाटा मोटर्स के नैनो कारखाने के लिए बंगाल की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने 997.11 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। कुछ किसान जमीन देने के इच्छुक नहीं थे। उनसे जबरन उनकी जमीन ली गई थी। 400 एकड़ जमीन लौटाने की मांग पर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आंदोलन शुरू किया था।
सिंगूर को लेकर ममता ने कोलकाता के मेट्रो चैनल पर 26 दिनों तक अनशन भी किया था। विपक्ष के भारी विरोध के कारण 23 सितंबर, 2008 को टाटा ने कारखाने को सिंगुर से गुजरात शिफ्ट करने का फैसला किया, हालांकि जमीन लौटाने को लेकर अदालत में मामला चला। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर, 2016 को अनिच्छुक किसानों की जमीन लौटाने का फैसला सुनाया, जिसके बाद उन्हें जमीन लौटा दी गई।