ममता सरकार ने दी राहत, बंगाल के चाय बागानों व बीड़ी कारखानों में 50 फीसद श्रमिकों संग होगा काम
बंगाल सरकार ने केंद्र के निर्देश के बाद अब छूट की सीमा बढ़ाते हुए चाय बागानों व बीड़ी कारखानों में 50 फीसद श्रमिकों के साथ काम की अनुमति प्रदान कर दी है।
राज्य ब्यूरो कोलकाता : बंगाल सरकार ने केंद्र के निर्देश के बाद अब छूट की सीमा बढ़ाते हुए चाय बागानों व बीड़ी कारखानों में 50 फीसद श्रमिकों के साथ काम की अनुमति प्रदान कर दी है। राज्य सचिवालय नवान्न की ओर से सोमवार को इस बाबत निर्देशिका भी जारी कर दिया गया। हालांकि निर्देशिका में साफ कहा गया है कि काम के दौरान सभी श्रमिकों को शारीरिक दूरी के नियमों का पूरा पालन व सभी को मास्क का प्रयोग करना होगा। बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार ने उत्तर बंगाल के चाय बागानों में 25 फीसद कर्मियों के साथ काम की इजाजत दी थी। शुरुआत में तो 15 फीसद कर्मियों के साथ ही बागानों में काम की अनुमति दी गई थी। इसके बाद इसे बढ़ाकर 25 फीसद किया गया था।
अब जाकर राज्य सरकार ने राहत देते हुए 50 फीसद कार्यबल के साथ चाय बागानों में काम की अनुमति दे दी है। चाय बागान मालिक व इससे जुड़े श्रमिक संगठन भी छूट की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इसी तरह बीड़ी कारखानों में भी 50 फीसद श्रमिकों के साथ काम करने की राज्य सरकार ने अनुमति दी है। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से जारी लॉकडाउन को देखते हुए केंद्र सरकार धीरे- धीरे कई उद्योगों व अन्य क्षेत्रों में काम शुरू करने के लिए अब छूट देने का फैसला किया है। इसी कड़ी में यह कदम उठाया गया है। इस फैसले से चाय बागानों व बीड़ी कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को भी बड़ी राहत मिली है।
तीन लाख स्वर्ण कारीगरों को वापस बुलाए ममता सरकार: भाजपा
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : प्रदेश भाजपा ने प्रवासी स्वर्ण कारीगरों की बंगाल वापसी के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाते हुए राज्य प्रशासन को तीन लाख 29 हजार बंगाल के बाहर रहने वाले श्रमिकों की सूची भेजी है और राज्य सरकार से इनकी वापसी सुनिश्चित करने की अपील की है। बताते चलें कि इनमें 3 लाख स्वर्ण कारीगर है। प्रदेश भाजपा ने कहा है कि केंद्र सरकार ट्रेने चलवा रही है तो राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि अपने श्रमिकों को वापस लाने की पहल करे।
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने सोमवार को साल्टलेक स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इसके पहले उन्होंने प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए 12 राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और राज्य सरकार को पत्र भेजा था। इनमें 12,000 प्रवासी श्रमिकों की सूची दी गयी थी, लेकिन राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया और उनके द्वारा दिये गये तथ्यों पर सवाल खड़े किये गये। उन्होंने कहा कि आज वह 3.29 लाख प्रवासी श्रमिकों की सूची भेज रहे हैं। इनमें 90 प्रतिशत स्वर्ण कारीगर हैं। ये दूसरे राज्यों में रह रहे हैं और लॉकडाउन में इनकी स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक 330 ट्रेनें चलायी हैं और लगभग 4.30 लाख लोग अपने घर वापस आये हैं, जबकि पश्चिम बंगाल सरकार मात्र 2 ट्रेनों से अन्य राज्यों से लोगों को वापस लायी है। वह सभी विशेष संप्रदाय के हैं तथा 8 और ट्रेनों की अनुशंसा की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मदद करने के लिए तैयार है, लेकिन राज्य सरकार ने अमानवीय रवैया अपनाया हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोरोना मामले को संभालने में पूरी तरह से असफल रही है और मुख्यमंत्री कंप्लसरी वेटिंग में चली गयी हैं। प्रशांत किशोर को राज्य के आला ऑफिसर और पार्टी के नेता रिपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि राज्य सरकार अभी भी कदम नहीं उठाती है तो मई के अंत में राज्य की स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
उन्होंने कहा कि हुगली के तलिनीपाड़ा और मालदा के हरिश्चंद्रपुर की घटना बहुत ही चिंतनीय है। यहां की घटना ने साबित कर दिया कि जांच ने सामुदायिक तनाव का रूप अख्तियार कर लिया है। उन्होंने कहा पुलिस का मनोबल पूरी तरह से टूट चुका है। कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा गयी है। कई घरों पर हमले किये गये हैं। राज्य सरकार को तत्काल कड़े कदम उठाने चाहिए।
श्री घोष ने आरोप लगाया कि मिड डे मील के बाबत केंद्र सरकार पैसे मुहैया कराना चाहती हैं, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। कोरोना मुकाबले के लिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मांगे जाने पर श्री घोष ने कहा कि भाजपा राज्य सरकार को हर संभव मदद के लिए तैयार हैं लेकिन राज्य सरकार ना तो विरोधी पार्टियों से मदद ले रही हैं और ना ही अपने कार्यकर्ताओं से ही मदद ले रही है। राज्य सरकार केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत व किसान निधि योजना आदि का लाभ नहीं उठा रही है। इससे राज्य को लगभग 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार जो पैसे आवंटित करती है, राज्य सरकार उनका हिसाब नहीं देती और उन्हें अन्य मद में खर्च करती है।