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ममता बनर्जी ने सत्तापक्ष व विपक्ष के पिछड़ी जाति से आने वाले विधायक के साथ बैठक की

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पहली बार पिछड़ी जाति से आने वाले विधायकों के साथ बैठक की।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 09:34 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 11:14 AM (IST)
ममता बनर्जी ने सत्तापक्ष व विपक्ष के पिछड़ी जाति से आने वाले विधायक के साथ बैठक की
ममता बनर्जी ने सत्तापक्ष व विपक्ष के पिछड़ी जाति से आने वाले विधायक के साथ बैठक की

कोलकाता, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पहली बार पिछड़ी जाति से आने वाले विधायकों के साथ बैठक की। विधानसभा के नौशेर अली कक्ष में हुई इस बैठक में पिछड़ी जाति से आने वाले तृणमूल विधायकों के साथ विपक्षी माकपा, कांग्रेस और भाजपा के करीब 60 विधायकों ने हिस्सा लिया। बैठक में संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी, संबंधित विभाग के मंत्री राजीव बनर्जी व अन्य ने भी हिस्सा लिया।

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इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पिछड़ी जाति से संबंधित प्रमाण पत्र देने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति को मिलने वाला जाति प्रमाण पत्र बिना किसी लाग लपेट पहले आवेदन में ही मिलना चाहिए। विधानसभा में मुख्यमंत्री के साथ बैठक के दौरान आदिवासी समुदाय के अधिकतर विधायकों ने यह शिकायत की कि उनका जाति प्रमाण पत्र जल्दी नहीं दिया जाता। बार बार आवेदन करने के बावजूद सरकारी अधिकारी उन्हें परेशान करते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मुझे सीधे शिकायत करें। तत्काल कार्रवाई होगी।

उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर आदिवासियों के क्षेत्रों में शिविर लगाकर उन्हें जाति प्रमाण पत्र दिया जाए। बैठक के बाद राज्य के संसदीय कार्य और शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य में रहने वाले जो लोग भी जन्म से इस जाति से संबंधित हैं उन्हें आवेदन के साथ साथ जाति प्रमाण पत्र देने का निर्देश दिया गया है।

आवश्यकता पड़ने पर ब्लॉक स्तर पर शिविर भी लगाया जाएगा और आदिवासियों के बीच जाति प्रमाण पत्र बांटा जाएगा। राज्य के आदिवासी और पिछड़ा कल्याण विभाग के मंत्री राजीव बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों को उनका अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके बाद पार्थ चटर्जी ने एक बार फिर कहा कि राज्य में कुल आबादी का 23.50 फीसद एससी हैं जबकि 5.08 फीसद एसटी हैं। ओबीसी 37 फीसद हैं। पिछले 7 सालों में एससी समुदाय को 67 लाख 29 हजार 728 लोगों को जाति प्रमाण पत्र दिए गए हैं जबकि एसटी समुदाय के लोगों को छह लाक 90 हजार जाति प्रमाण पत्र मिले हैं। पहले प्रति महीने 35 हजार जाति प्रमाण पत्र दिए जाते थे अब 90 हजार दिए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ 37 विधायकों की करीब डेढ़ घंटे तक बैठक हुई है। इस बैठक में न केवल सत्तारूढ़ पार्टी बल्कि विपक्ष के भी एससी-एसटी-ओबीसी विधायक शामिल थे। बैठक में कांग्रेस विधायक सुखविलास वर्मा ने कहा था कि समुदाय के लोगों को मिलने वाला आर्थिक भत्ता और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा पिछड़ी जाति से उनकी जमीन भी छीन ली जा रही है, इसे भी रोकने की जरूरत है। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोग हमें सलाह दीजिए। उसके अनुसार हम लोग काम करेंगे।

इस बारे में भी पार्थ चटर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ठोस निर्देश दिया है कि उनकी जमीन को किसी भी तरह से नहीं छीना जा सकता। आवश्यकता पड़ने पर आदिवासी क्षेत्रों में जमीन, जल और जंगल की रक्षा के लिए कानून भी बनाया जाएगा। आदिवासियों की जमीनों को खरीद बिक्री की अनुमति नहीं होगी। पार्थ चटर्जी ने बताया कि इस साल करीब 47 हजार आदिवासियों और जंगली क्षेत्रों में रहने वाले अन्य 190 लोगों को जमीन का पट्टा दिया गया है। 


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