Move to Jagran APP

Maratha Reservation: मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी महाराष्ट्र सरकार

Maratha Reservation महाराष्ट्र के मंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने वीरवार को कहा है कि महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 08:31 PM (IST)
Maratha Reservation: मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी महाराष्ट्र सरकार
Maratha Reservation: मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी महाराष्ट्र सरकार

मुंबई, एएनआइ। Maratha Reservation: महाराष्ट्र के मंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने वीरवार को कहा है कि महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी। सुप्रीम कोर्ट ने गत दिनों मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरी में दिए गए आरक्षण पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया है। तब से इस मामले को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई हुई है। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण की तरफदारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट से आरक्षण की तय 50 फीसद की अधिकतम सीमा पर पुनर्विचार किए जाने की मांग की। राज्य सरकार ने कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा करीब 30 साल पहले नौ न्यायाधीशों की पीठ ने इन्द्रा साहनी फैसले में व्यवस्था देते हुए तय की थी। अब इस पर पुनर्विचार होना चाहिए।

loksabha election banner

आरक्षण की अधिकतम सीमा पर पुनर्विचार का मामला 11 न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाना चाहिए, क्योंकि राज्य की 70-80 फीसद आबादी पिछड़ी है और उसे आनुपातिक आरक्षण से वंचित करना ठीक नहीं होगा। राज्य सरकार की ओर से ये दलील बुधवार को मराठा आरक्षण मामले में चल रही सुनवाई के दौरान दी गई। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ महाराष्ट्र में 12 फीसद मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण का मामला संविधान पीठ को भेजा है। उसमें भी 50 फीसद की सीमा उल्लंघन का मामला शामिल है। जिसे 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्द्रासाहनी फैसले में तय किया था।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा ने 29 नवंबर, 2018 को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 फीसद आरक्षण देने के लिए एक विधेयक पारित किया था। इसके बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी थी। बांबे हाई कोर्ट ने भी जून, 2019 में आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। बाद में महाराष्ट्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.