मध्य प्रदेश में जूते-चप्पल को लेकर गरमाई सियासत
शिवराज सरकार चरण पादुका योजना के तहत प्रदेश में 11 लाख 23 हजार पुरुषों को जूते, 11 लाख 11 हजार महिलाओं को चप्पल और सभी 22.34 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को पानी की बोतल बांट रही है
नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के 22 लाख 34 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे जा रहे जूतों में कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक रसायन की मौजूदगी का पता चलने के बाद आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने चुनावी दांव खेल दिया है।
जयस ने एलान किया है कि प्रदेशभर में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले आदिवासियों को सरकार की ओर से मुफ्त मिले जूते-चप्पल कलेक्टोरेट में जमा कराएंगे और फिर संगठन की ओर से उन्हें मुफ्त में जूते-चप्पल बांटे जाएंगे। जयस के संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा है कि मुफ्त के जूते-चप्पल देकर आदिवासियों को कैंसर के मुंह में झोंकने वाली शिवराज सरकार के खिलाफ प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन किया जाएगा।
गौरतलब है कि शिवराज सरकार चुनावी साल में आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए 'चरण पादुका' योजना के तहत प्रदेश में 11 लाख 23 हजार पुरुषों को जूते, 11 लाख 11 हजार महिलाओं को चप्पल और सभी 22.34 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को पानी की बोतल बांट रही है। इनमें से आठ लाख 14 हजार पुरुषों को जूते और 10 लाख 20 हजार महिलाओं को चप्पल बांटी जा चुकी हैं। इनमें से जूतों के इनर सोल में कैंसर पैदा करने वाले रसायन एजेडओ की पुष्टि हुई है। मप्र राज्य लघु वनोपज संघ ने ही जूतों की जांच करवाई थी। सूत्र बताते हैं कि जांच रिपोर्ट आने से पहले ही वनोपज संघ ने जूते बांट दिए।
वनमंत्री डॉ. शेजवार ने कहा- आरोप गलत
इस मामले में वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने सफाई दी है। उन्होंने शनिवार दोपहर को आनन-फानन में चुनिंदा न्यूज चैनल्स को बुलाकर कहा कि खतरनाक रसायन वाले जूते-चप्पल आदिवासियों को नहीं बांटे गए हैं। उन्होंने कहा कि जूते-चप्पल बांटने से पहले दो बार परीक्षण कराया गया है। रिपोर्ट से संतुष्ट होने के बाद ही जूते-चप्पल आदिवासियों तक पहुंचे हैं। जिन लॉट में रसायन पाया गया है, वह कंपनी को वापस किया जा रहा है और कंपनी ब्लैकलिस्ट कर दी गई है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने दागा सवाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मांग की है कि वितरित किए गए सभी जूते-चप्पलों को वापस लिया जाए और मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से सवाल किया है कि कितने जोड़ी जूते-चप्पल खरीदे गए, उनमें से कितने बांटे जा चुके हैं, कितने स्टॉक में हैं, योजना की शुरुआत कब की गई, वितरण के पहले गुणवत्ता की जांच कराई गई या नहीं?