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India-Nepal tension: नेपाल में भारतीय चैनलों पर रोक को मधेशी नेताओं ने तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया

Indo-Nepal tension नेपाल में भारतीय न्यूज चैनलों पर प्रतिबंध को मधेशियों ने तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 07:01 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 07:47 AM (IST)
India-Nepal tension: नेपाल में भारतीय चैनलों पर रोक को मधेशी नेताओं ने तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया
India-Nepal tension: नेपाल में भारतीय चैनलों पर रोक को मधेशी नेताओं ने तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया

महराजगंज, जेएनएननेपाल में गुरुवार को भारतीय न्यूज़ चैनलों के प्रसारण पर रोक का आदेश आते ही नेपाल सरकार के फैसले के खिलाफ अनुकरणोश के स्वर उठने लगे हैं। सीमा से सटे नेपाल के मधेश क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व स्थानीय जनता ने इस निर्णय को तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया है। लोगों ने कहा कि यह निर्णय उचित नहीं है।

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बता दें कि मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (एमएसओ) ने नेपाल में  भारतीय समाचार चैनल दूरदर्शन को छोड़कर अन्य चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया है। मेगा मैक्स टीवी के उपाध्यक्ष ध्रुव शर्मा ने बताया कि गुरुवार शाम से दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया गया है। भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर रोक संबंधी आदेश को लेकर  नेपाल के भैरहवा क्षेत्र से  विधायक संतोष पांडेय ने कहा कि चैनल वितरकों ने नेपाल सरकार के पक्ष में खुद से ऐसा निर्णय लिया है। चैनल वितरकों के इस कदम के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा। किसी भी संस्था को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़े।

मेगा मैक्स टीवी के उपाध्यक्ष ध्रुव शर्मा ने बताया कि गुरुवार शाम से दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय न्यूज़ चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया गया है। भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर रोक संबंधी आदेश को लेकर नेपाल के भैरहवा क्षेत्र से विधायक संतोष पांडेय ने कहा कि पटेल सरकार ने नेपाल सरकार के पक्ष में खुद से ऐसा निर्णय लिया है। चैनल चलाने के इस कदम के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा। किसी भी संस्था को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़े।

नेपाल के मधेशी नेता व सांसद प्रमोद यादव, विधायक अष्टभुजा पाठक व पूर्व मंत्री गुलजारी यादव ने भी भारतीय निजी समाचार पत्रों के प्रकाशन पर रोक संबंधी आदेश को तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया है। सभी जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में इस आदेश को वापस लेने के लिए नेपाल सरकार से मांग की है।


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