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Lok Sabha Election 2019: राजस्थान के गांव-कस्बे और शहरों में पेयजल संकट सबसे बड़ा है मुद्दा इस रेगिस्तान का

राजस्थान के पहले चरण की वोटिंग के दौरान ही नहीं बल्कि 6 मई को होने वाले दूसरे और आखिरी दौर के मतदान वाली लोकसभा सीटों पर भी पानी जनता का सबसे बड़ा मुद्दा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 10:37 AM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 10:37 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: राजस्थान के गांव-कस्बे और शहरों में पेयजल संकट सबसे बड़ा है मुद्दा इस रेगिस्तान का
Lok Sabha Election 2019: राजस्थान के गांव-कस्बे और शहरों में पेयजल संकट सबसे बड़ा है मुद्दा इस रेगिस्तान का

अलवर, संजय मिश्र। राजनीतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव में भले बड़े-बड़े वायदों और सियासी मुद्दों को उछालने में खूब जोर लगा रही हैं। मगर पूरे राजस्थान में 'पानी' ऐसा मुद्दा है जो जनता के दिल के सबसे करीब है। सूबे के रेगिस्तानी जिले हों या मैदान का इलाका, सूबे के लोगों की अपने जनप्रतिनिधि से कोई सबसे बड़ी अपेक्षा है तो वह है पीने का पानी सहजता से उपलब्ध कराना। घरों तक सहज-सुलभ पेयजल पहुंचाए जाने की स्थिति में सूबे के अधिकांश इलाकों के लोग अपने सांसद को फ‌र्स्ट डिविजन ही नहीं बल्कि डिस्टिंक्शन के साथ योग्य जनप्रतिनिधि करार देने को तैयार हैं।

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राजस्थान के पहले चरण की वोटिंग के दौरान ही नहीं बल्कि 6 मई को होने वाले दूसरे और आखिरी दौर के मतदान वाली लोकसभा सीटों पर भी 'पानी' जनता का सबसे बड़ा मुद्दा है। सूबे की राजधानी जयपुर की शहरी और ग्रामीण दोनों सीटों के इलाकों में प्रचार के दौरान जनता की उम्मीदवारों से निरंतर पेयजल की व्यवस्था सबसे प्रमुख मांगों में दिखी।

अलवर शहर के पुरूषोत्तम शर्मा हों या गांव हाजीपुर के भुवन सिंह राणा दोनों, कहते हैं कि ठंड में दिक्कतों के बावजूद काम तो चल जाता है पर गर्मियों में पेयजल संकट आए दिन की बात होती है। बाडमेर-जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाकों में पानी की चिंता कहीं ज्यादा दिखी। शहर से करीब 60 किलोमीटर दूर दहसर गांव के लोगों का कहना था कि शुद्ध पेयजल तो दूर सामान्य पानी का भी गर्मियों में भयंकर संकट रहता है। गांव के मोहम्मद अमीन बताते हैं कि पानी के अभाव में गर्मियों में कई पशु मर जाते हैं और कई बार पालतू पशुओं की जान बचाने के लिए हम अपने पीने के लिए बचाए पानी में से घूंट-घूंट देकर पेयजल की अगली किस्त का इंतजार करते हैं। इसीलिए कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मानवेंद्र सिंह जब यहां प्रचार के लिए आए तो पानी की व्यवस्था ही गांव वालों की एकलौती मांग थी।

रेगिस्तानी इलाके ही नहीं, सूबे की न्यायिक राजधानी माने जाने वाले जोधपुर में भी पानी का मसला लोगों के लिए बेहद अहम है। नागौर, पाली और अजमेर में भी पानी को लेकर बड़ी समस्या दिखी। अजमेर के हाथीखेडा के निकट कालोनी में एक प्ले स्कूल की प्रिसिंपल सोनिया वर्मा का कहना था कि गर्मियों में अक्सर हर रोज पानी नहीं आता। लोगों की इस परेशानी को देखते हुए ही अजमेर से कांग्रेस उम्मीदवार रिजु झुनझुनवाला के प्रचार का सबसे बड़ा वादा शहर के पानी संकट को खत्म करना रहा। सूबे में पानी की समस्या की गंभीरता इसी से जाहिर होती है कि जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं स्टार एथलीट कृष्णा पुनिया पेयजल संकट को अपने एजेंडे में सबसे अहम रखने का संदेश अपनी सभाओं में देती हैं।

साथ ही भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री राज्यव‌र्द्धन राठौर पर पेयजल को लेकर वादा नहीं निभाने का आरोप लगाती हैं। जबकि राठौर अपनी सभाओं में बीते पांच साल में पानी लाने के अपने प्रयासों का जिक्र करते हैं। पानी को लेकर लोगों की चिंता को देखते हुए हरनोदा, रोजडी, खेड़ीराम जैसे गांव की अपनी सभाओं में राठौर कहते हैं कि अब गांवों को पानी के लिए राज्य सरकारों पर निर्भर नहीं रहना होगा। केंद्र ऐसी योजना शुरू करने जा रहा है कि वह दिन दूर नहीं जब गांवों में भी नल से पानी आने का सपना पूरा होगा। इसी तरह अलवर में कांग्रेस उम्मीदवार जितेंद्र सिंह और भाजपा प्रत्याशी बाबा बालकनाथ योगी बड़े मसलों के साथ पानी की चुनौतियों का समाधान निकालने का वादा करते दिखाई दिए।

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