Leh Hill Council Election 2020: लेह हिल काउंसिल चुनाव बना भाजपा की प्रतिष्ठा का मुद्दा
Leh Hill Council Election 2020 लेह में स्वायत हिल काउंसिल का चुनाव बड़ी सरगर्मियां पैदा कर रहा है। लद्दाख के लोगों के हितों के संरक्षण व छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर चल रहे आंदोलन के बहाने विपक्षी दल अपना जनाधार टटोलने का प्रयास कर रहे हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। Leh Hill Council Election 2020: अपेक्षाकृत शांत दिखने वाले लेह में स्वायत हिल काउंसिल का चुनाव बड़ी सरगर्मियां पैदा कर रहा है। लद्दाख के लोगों के हितों के संरक्षण और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर चल रहे आंदोलन के बहाने विपक्षी दल अपना जनाधार फिर से टटोलने का प्रयास कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। यही वजह है कि पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही। यहां तक कि प्रचार में केंद्रीय मंत्रियों को भी उतार दिया है। केंद्र शासित प्रदेश और विकास के मसले पर लोकसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने लद्दाख में अपना गढ़ मजबूत बना लिया था। ऐसे में लेह हिल काउंसिल के चुनाव से ठीक पहले छठी अनुसूची में शामिल करने के मसले पर भाजपा में उभरे अंतर्विरोध को कांग्रेस भुनाने में जुट गई है।
लद्दाख के लोगों के हितों के संरक्षण को लेकर लेह में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री की मौजूदगी में हुए प्रदर्शनों में पार्टी की चुनौती बढ़ती दिख रही थी। इस आक्रोश से हो रहे नुकसान की भरपाई और लोगों से संवाद बढ़ाने के लिएभाजपा हाईकमान ने प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है। तीन दिन में भाजपा के दो केंद्रीय मंत्री लेह में प्रचार कर चुके हैं। आने वाले दिनों में दो और केंद्रीय मंत्री प्रचार के लिए आने वाले हैं। इससे पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी लद्दाख के प्रतिनिधियों से मिल आश्वासन दे चुके हैं। गृह मंत्री के आश्वासन के बाद पीपुल्स मूवमेंट ने भले ही हिल काउंसिल के चुनाव का बहिष्कार करने के फैसले को वापस ले लिया, लेकिन प्रचार में भाजपा को इस मुद्दे पर जोरशोर से घेरा जा रहा है।
भाजपा इसका मुकाबला व्यापक प्रचार से कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने जागरण को बताया कि लद्दाख भाजपा के गठन के बाद पार्टी के कुछ नेता नजरअंदाज होने से आहत हैं। इनमें से कुछ को हिल काउंसिल चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया गया है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री लेह आकर लोगों को विश्वास दिला रहे हैं कि छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग जल्द पूरी होगी। इसके साथ केंद्रीय मंत्री पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ा रहे हैं।
यह है विवाद
लद्दाख के अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद एक ग्रुप को लगता है कि अब देशभर के लोग लद्दाख पहुंचेंगे। ऐसे में यह समूह उनकी संस्कृति और स्थानीय लोगों के हितों के संरक्षण के लिए ठोस उपाय करने की मांग कर रहा था। उनकी मांग है कि पूर्वोत्तर के राज्यों की तर्ज पर लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि स्थानीय हितों का संरक्षण हो। अब लेह हिल काउंसिल के चुनाव से ठीक पहले सभी राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक संगठनों ने पीपुल्स मूवमेंट का गठन कर आंदोलन शुरू कर दिया थी। लद्दाख में भाजपा के कई पुराने नेता भी पार्टी की राह में चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। पीपुल्स मूवमेंट के मंच से लेह में चुनाव बहिष्कार करने वाले नेताओं में भाजपा छोड़ चुके पूर्व सांसद थुप्सतान छिवांग, पूर्व मंत्री छीरिंग दोरजे व उनके कई समर्थक भी थे।
कांग्रेस लोगों का रोष भुनाने की फिराक में
प्रदेश कांग्रेस लेह में छठे शेडयूल को जल्द प्रभावी बनाने की मांग को लेकर उपजे रोष को हिल काउंसिल चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी का चुनाव के लिए एक बड़ा मुद्दा मिला है। भाजपा के मजबूत होने से लद्दाख में कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है, ऐसे में पार्टी की पूरी कोशिश है कि किसी भी तरीके से वर्ष 2015 के हिल काउंसिल चुनाव का बदला लिया जाए। हालांकि इस आंदोलन से कांग्रेस को भी झटके लगे हैं। लेह हिल काउंसिल के पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर रिगजिन स्पालबार कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके साथ लद्दाख कांग्रेस के कुछ और नेता भी पार्टी से छोड़ चुके हैं। इस झटके से पार पाना भी कांग्रेस के लिए चुनौती से कम नहीं है।
लेह हिल कांउसिल से जुड़ा है लद्दाख लोकसभा सीट का गणित
लेह हिल काउंसिल की 26 सीटों पर चुनाव हो रहा है। वर्ष 2015 में हुए चुनाव में भाजपा ने 26 में से 18 सीटें जीतकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था। इससे पहले वर्ष 2010 में कांग्रेस ने लेह में 22 सीटें जीत कर अपनी काउंसिल का गठन किया था। तब भाजपा को सिर्फ 4 सीटें ही मिली थी। दो बार से लोकसभा सीट पर भी भाजपा ही काबिज है। भाजपा इस सीट पर अपना वर्चस्व बरकरार रखना चाहती है और साथ ही कारगिल में भी अपना आधार बढ़ाने की मशक्कत में जुटी है। इसके लिए आवश्यक है कि लेह हिल काउंसिल पर उसका कब्जा बरकरार रहे। कारगिल हिल काउंसिल के चुनाव 2023 में होने प्रस्तावित हैं।