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ऐश्‍वर्या के पिता को ले लालू परिवार दो फाड़- तेज प्रताप विरोध में, तेजस्‍वी कर रहे प्रचार

तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय बिहार के सारण से लोकसभा चुनाव में राजद के उम्‍मीदवार हैं। उनके चुनाव लड़ने को लेकर लालू परिवार में मची जंग पर डालते हैं एक नजर।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 02 May 2019 09:23 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 11:31 PM (IST)
ऐश्‍वर्या के पिता को ले लालू परिवार दो फाड़- तेज प्रताप विरोध में, तेजस्‍वी कर रहे प्रचार
ऐश्‍वर्या के पिता को ले लालू परिवार दो फाड़- तेज प्रताप विरोध में, तेजस्‍वी कर रहे प्रचार

पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार की सारण संसदीय सीट इस बार खास है। यहां राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी चंद्रिका राय के मुद्दे पर लालू प्रसाद यादव का परिवार ही दो धड़ों में बंट गया है। चंद्रिका राय के दामाद और लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव चाहते हैं कि उनके ससुर चुनाव हार जाएं। जबकि, तेज प्रताप के भाई तेजस्वी यादव की कोशिश है कि चंद्रिका राय जीतें। तेज प्रताप के लोग चंद्रिका का सहयोग-समर्थन नहीं कर रहे, किंतु तेजस्वी जी-जान से जुटे हैं। ऐसे में चुनाव में हार या जीत का असर दोनों परिवारों के संबंधों पर भी पडऩा तय है।

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चंद्रिका की हार-जीत पर निर्भर तेज प्रताप व तेजस्‍वी के इकबाल
सारण में चंद्रिका राय का परिवार भी प्रतिष्ठित है। उनके पिता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय ने इसी क्षेत्र के परसा विधानसभा क्षेत्र का लगातार कई बार प्रतिनिधित्व किया है। चंद्रिका राय भी अभी यहीं से विधायक हैं। चंद्रिका अगर हार जाते हैं तो तेज प्रताप का इकबाल बढ़ सकता है और जीतने पर तेजस्वी का।

ऐश्वर्या व तेज प्रताप के संबंधों को सुधारना प्राथमिकता
दोनों हालात में दोनों परिवारों के संबंधों को नए तरीके से व्यवस्थित करने की जरूरत पड़ेगी। नाजुक दौर से गुजर रहे ऐश्वर्या और तेजप्रताप के संबंधों को सुधारना दोनों परिवारों की प्राथमिकता होगी।

चंद्रिका राय का परिवार दावा कर रहा है कि तेज प्रताप मान जाएंगे और तलाक की अर्जी वापस ले लेंगे, किंतु तेज प्रताप इससे स्‍पष्‍ट इनकार कर रहे हैं। दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने गुरुवार की शाम सारण में चंद्रिका के लिए लंबा रोड शो किया।

चंद्रिका को सारण से प्रत्याशी नहीं बनने देना चाहते थे तेज प्रताप
चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही तेज प्रताप ने सारण सीट से खुद ही निर्दलीय लडऩे का एलान किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने खुद को संशोधित किया और मां राबड़ी देवी से आग्रह किया कि परिवार की परंपरागत सीट बचाने की वह खुद पहल करें। तेज प्रताप किसी भी हाल में चंद्रिका राय को सारण से प्रत्याशी नहीं बनने देना चाहते थे। किंतु उनकी कोशिश कामयाब नहीं हुई।

नेतृत्व ने चंद्रिका राय को टिकट थमा दिया। तेज प्रताप ने विरोध जारी रखा। धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ और छात्र राजद के सदस्य सारण में चंद्रिका के लिए काम नहीं कर रहे। दोनों का नेतृत्व तेज प्रताप संभालते हैं।

सारण से चार बार जीत चुके हैं लालू
सारण (पुराना छपरा) को लालू परिवार से जोड़कर देखा जाता है। पहली बार वह इसी क्षेत्र से 1977 में सांसद बने थे। उसके बाद 1989, 2004 और 2009 में भी सांसद चुने गए थे। लालू के सामने जब भी सियासी चुनौती आई, सारण ने उन्हें सहारा दिया। 2009 में वह सारण और पाटलिपुत्र दो जगहों से लड़े थे। पाटलिपुत्र से हार गए, किंतु सारण ने तब भी साथ नहीं छोड़ा। हालांकि, यहां से तीन बार लालू परिवार हार भी चुका है। दो बार लालू (1980 और 1884) में खुद हार गए थे। 2014 में राबड़ी देवी को भी हार का सामना करना पड़ा था।

 

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