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Unnao Case : 25 साल में बनी कुलदीप की सियासी जमीन 20 माह में खिसकी, बाहुबली में थी गिनती

Unnao Case विधायक कुलदीप सेंगर ने कई दल बदलकर अबतक का राजीनीतिक सफर तय किया था। उनके परिवार के कई सदस्य भी राजनीति से जुड़े रहे और प्रमुख पदों पर भी रहे।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 03:31 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 04:34 PM (IST)
Unnao Case : 25 साल में बनी कुलदीप की सियासी जमीन 20 माह में खिसकी, बाहुबली में थी गिनती
Unnao Case : 25 साल में बनी कुलदीप की सियासी जमीन 20 माह में खिसकी, बाहुबली में थी गिनती

कानपुर, जेएनएन। उन्नाव के चर्चित माखी कांड में विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्ली की कोर्ट ने दोषी करार दिया है। विधायक कुलदीप सेंगर ने कई दल बदलकर अबतक का राजीनीतिक सफर तय किया था। उनके परिवार के कई सदस्य भी राजनीति से जुड़े रहे और प्रमुख पदों पर भी रहे। वर्ष 2017 में विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ युवती का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ तो राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी।

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प्रधान बनकर शुरू किया था राजनीति का सफर

25 साल में ग्राम प्रधान से लेकर चार बार लगातार विधायक बनने से मजबूत हुई कुलदीप की सियासी जमीन 20 माह में खिसक गई। दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिए गए बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने करीब 25 वर्ष पूर्व ग्राम प्रधान के चुनाव से राजनीति की शुरुआत की थी। पहले ही चुनाव में वह ग्राम प्रधान चुने गए थे और उसके बाद वह युवक कांग्रेस में पदाधिकारी बने। 

लगातार चार बने विधायक

कई दलों को बदलते हुए कुलदीप लगातार चार बार विधायक बने। वर्ष 2002 में पहली बार बसपा का दामन थामा और सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विधायक बने। दूसरा चुनाव आया तो उन्होंने पाला बदलकर सपा का दामन थाम लिया। 2007 में सपा की टिकट पर बांगरमऊ विधायक चुने गए। वर्ष 2012 में वह भगवंतनागर विधानसभा से सपा से तीसरी बार विधायक बने। 2017 के चुनाव में उन्होंने फिर दल बदला और भाजपा में शामिल हो गए। चौथी बार वह बांगरमऊ से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने। लगातार जीत दर्ज करने से उनकी गिनती बाहुबली के रूप में की जाने लगी। 

राजनीतिक सियासत को लगा ग्रहण

कुलदीप की 25 वर्ष की सियासी सल्तनत का महल ढहने में 25 माह का भी वक्त नहीं लगा। चार अप्रैल 2018 से उनकी सियासत को ग्रहण लगना शुरू हुआ। 13 अप्रैल को दुष्कर्म के मामले में विधायक को सीबीआई ने लखनऊ से गिरफ्तार किया। उसके बाद उन्हें पहले उन्नाव और फिर सीतापुर जेल भेजा गया। 28 अगस्त को दुष्कर्म पीडि़त का रायबरेली मार्ग पर एक्सीडेंट हुआ तो विधायक और उनके करीबियों पर हत्या कराने के प्रयास का आरोप लगा। इसपर उन्हें तिहाड़ जेल दिल्ली भेज दिया गया। दिल्ली की तीसहजारी कोर्ट में सुनवाई हुई और सोमवार को न्यायाधीश ने विधायक को दोषी करार देने के बाद उनका सियासी महल भी भरभरा कर ढह गया है।

बाहुबली की रही छवि

कुलदीप सेंगर की क्षेत्र में छवि एक बाहुबली की रही है। उनका परिवार राजनीति से जुड़ा रहा। उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं तो भाई की पत्नी ग्राम प्रधान रहीं। कुलदीप के भाई मनोज सेंगर वर्ष 2005 से 2010 तक मियागंज के ब्लाक प्रमुख रहे। बीते अक्टूबर माह में मनोज की दिल्ली में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी, तब कुलदीप पैरोल पर भाई के अंतिम संस्कार शामिल होने कड़ी सुरक्षा में उन्नाव आए थे। क्षेत्र में मनोज सिंह सेंगर की दशहत थी और दोनों भाई बाहुबली माने जाते थे। 

विधायक का राजनीतिक सफर

  • कुलदीप सिंह सेंगर माखी ग्राम पंचायत से 1988 में प्रधान चुने गए।
  • 2002 में बसपा की टिकट से उन्नाव सदर सीट से विधानसभा पहुंचे।
  • 2007 में पाला बदल सपा में चले गए और बांगरमऊ के विधायक बने।
  • 2012 में विधानसभा क्षेत्र बदल कर भगवंतनगर सीट से चुनाव लड़ा और जीते।
  • 2017 में पार्टी बदल भाजपा से चुनाव लड़ा और बांगरमऊ से दोबारा विधायक बने।
  • 13 अप्रैल 2018 को किशोरी से दुष्कर्म के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया तब से जेल में बंद।

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