Jammu And Kashmir: कश्मीरी बुद्धिजीवी बोले-फारूक अब्दुल्ला का राष्ट्रविरोधी चेहरा उजागर, हताशा में चीन की शरण में
Farooq Abdullah जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक साक्षात्कार में कहा कि कश्मीरियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। इसे देखकर कश्मीरी चीन के साथ रहना पसंद करेंगे। उनके इस बयान पर कश्मीरियों ने निशाना साधा है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। Farooq Abdullah: चीन से करीबी जताकर डॉ. फारूक अब्दुल्ला का दोहरा चरित्र और राष्ट्रविरोधी चेहरा फिर उजागर हो गया है। कश्मीरी बुद्धिजीवी और सियासत के जानकारों ने इसे भारत ही नहीं कश्मीर की आवाम से भी धोखा करार दिया है। उनका कहना है कि अब्दुल्ला खानदान जम्मू-कश्मीर को अपनी सल्तनत समझता रहा और अब उनकी सियासत के दिन लद गए। उन्होंने कहा कि शुक्र मनाएं कि चीन में नहीं हैं, अगर होते तो कुछ भी बोलने का साहस नहीं कर पाते। बेहतर रहे कि वह कश्मीर और कश्मीरियों को उनके हाल पर छोड़ दें। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक साक्षात्कार में कहा कि कश्मीरियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। इसे देखकर कश्मीरी चीन के साथ रहना पसंद करेंगे।
उनके इस बयान से खफा पूर्व आतंकियों के कल्याण में जुटे हब्बाकदल निवासी सैफुल्ला ने कहा कि हमें केवल अब्दुल्ला, मुफ्ती जैसे लोगों से आजादी चाहिए थी, जो हमें इस्लाम और आजादी के नाम पर बरगलाकर यहां हुकूमत करते रहे। ऐसे लोगों के दुष्प्रचार से गुमराह होकर मैं आतंकी बना था। अगर अब्दुल्ला को कश्मीर और कश्मीरियों से प्यार होता तो वह चीन का जिक्र नहीं करते और कहते कि उईगर मुस्लिमों के साथ जो हो रहा है, वह कभी कश्मीरियों के साथ न हो। अगर वह मुस्लिमों के हमदर्द हैं तो उन्होंने उईगर मुस्लिमों के लिए आवाज क्यों नहीं उठाई। इस समय वह सिर्फ अपनी कुर्सी के लिए परेशान हैं।
समाजसेवी रफी रज्जाकी ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला ने खुद एक बार कहा था कि कश्मीर को तबाह करने के लिए चीन भी कश्मीरियों को पाकिस्तान की तरह बंदूक थमाना चाहता है। अब उनके इस बयान को सुनकर आहत हूं। मैं उन्हें असली हिंदुस्तानी मानता था। अब समझ आ गया है कि अगर अब्दुल्लाओं ने कश्मीर और कश्मीरियों के लिए सियासत की होती तो शायद यहां आतंकवाद और हुर्रियत पैदा नहीं होते। उनका असली चेहरा फिर सामने आ गया है।
हताशा में चीन की शरण में
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ डॉ. अजय चुरुंगु ने कहा कि कश्मीर में बीते 70 साल से कट्टर जिहादी मानसिकता के विस्तार का षड्यंत्र चल रहा है। इसमें पाकिस्तान, हुर्रियत, जमात ही नहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी जैसे संगठन भी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से शामिल रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला की भक्ति तो सिर्फ कुर्सी के लिए ही है। आप उन्हें किसी प्रदेश का गवर्नर बना दो, वह कहेंगे कि चीन को आग लगा दो। वह कभी राष्ट्रभक्त या सेक्युलर नहीं रहे, सिर्फ दिखावा करते हैं। अब यह मुखौटा भी उतर चुका है। अपनी सियासत खत्म होने लगी तो वह हताशा में चीन की शरण में जा रहे हैं।
सिर्फ सियासी स्टंट : भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने फारूक अब्दुल्ला के बयान को सियासी स्टंट करार दिया है। इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। वह सिर्फ खबरों में बने रहना चाहते हैं। कश्मीर में आम लोगों से बात करें, उनके जनाधार का पता चल जाएगा। वह हिंदोस्तान के ही नहीं कश्मीरियों के भी दुश्मन हैं। सभी जानते हैं कि कुर्सी के प्रति उनकी लालसा ने कश्मीर में आतंकवाद को जन्म दिया है। उन्हें लगता है कि अगर चीन बेहतर है तो वह वहां जाकर उईगर मुस्लिमों के हक में आवाज उठाएं।