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Kashmir Situation: जम्मू-कश्मीर में भी होगा लोकायुक्त, उपराज्यपाल के निर्देश पर समिति गठित

Kashmir Situation नए जम्मू कश्मीर में भी अब देश के अन्य राज्यों की तरह प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकायुक्त होगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 09:07 AM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 09:07 AM (IST)
Kashmir Situation: जम्मू-कश्मीर में भी होगा लोकायुक्त, उपराज्यपाल के निर्देश पर समिति गठित
Kashmir Situation: जम्मू-कश्मीर में भी होगा लोकायुक्त, उपराज्यपाल के निर्देश पर समिति गठित

जम्मू, राज्य ब्यूरो। नए जम्मू कश्मीर में भी अब देश के अन्य राज्यों की तरह प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकायुक्त होगा। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को जम्मू कश्मीर में लागू करने की संभावना तलाशने के लिए उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के निर्देश पर पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है। समिति 13 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट देगी। समिति सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कामकाज और गतिविधियों का भी जायजा लेगी।

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उपराज्यपाल के निर्देशानुसार, महा प्रशासनिक विभाग ने समिति के गठन की अधिसूचना जारी की है। इसके मुताबिक समिति की अध्यक्षता कानून, न्याय एवं संसदीय मामलों के सचिव करेंगे। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक, महाप्रशासनिक विभाग के अतिरिक्त सचिव के अलावा कानून, न्याय और संसदीय मामलों विभाग के दो अधिकारी जो समिति अध्यक्ष द्वारा चुने जाएंगे, इसके सदस्य होंगे। समिति भारतीय दंड संहिता के तहत केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में नौकरशाह, जनसेवक, सरकारी अधिकारी की परिभाषा से जुड़े मामलों का अध्ययन करेगी।

केंद्र शासित प्रदेशों में होता है लोकायुक्त लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को एक जनवरी 2014 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी। अधिनियम के तहत भारतीय गणराज्य के लिए लोकपाल, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति होती है। लोकपाल और लोकायुक्त सरकारी अधिकारियों, कर्मियों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच में समर्थ हैं।

अलबत्ता, यह कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं हो पाया था, क्योंकि पांच अगस्त 2019 से पूर्व अनुच्छेद 370 लागू था। इसके अलावा पुराने जम्मू कश्मीर, जो अब दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित हो चुका है, में निर्वाचित प्रतिनिधियों पर कार्रवाई के लिए एहतिसाब आयोग और सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से जु़ड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए सतर्कता आयोग था।

एहतिसाब आयोग के पास थे अधिकार सर्वाेच्च न्यायालय ने 23 मार्च 2018 को जम्मू कश्मीर समेत 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम के लागू होने के पांच साल बीतने पर भी लोकायुक्त की नियुक्ति न करने पर दो सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा था। अलबत्ता, 10 जुलाई 2018 को तत्कालीन राज्य सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय को बताया था कि जम्मू कश्मीर एहतिसाब आयोग-2002 के प्रावधान और जम्मू कश्मीर राज्य सतर्कता आयोग अधिनियम-2011, का गठन राज्य कानून के तहत हुआ है।

यह अधिनियम के तहत होने वाले कार्यो को पूरा करते हैं और उनके समान ही अधिकिार व शक्तियां रखते हैं।एहतिसाब व सतर्कता आयोग का कार्यकाल पूरा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित राज्यों में 31 अक्टूबर को विभाजित होने के साथ ही जम्मू कश्मीर एहतिसाब आयोग भी समाप्त हो गया। इसी तरह मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों का कार्यकाल भी पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के तहत 31 अक्टूबर को पूरा हो गया है। 

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